पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्विट्जरलैंड के दावोस में हो रहे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में वर्चुअल संबोधन के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध पर अपना बयान दिया। ट्रंप ने दावा किया कि अगर तेल की कीमतें घटाई जातीं, तो इस युद्ध को तुरंत समाप्त किया जा सकता है। उन्होंने इस बात पर आश्चर्य जताया कि ऐसा कदम उनके कार्यकाल से पहले क्यों नहीं उठाया गया।
ओपेक देशों से हस्तक्षेप की अपील
ट्रंप ने सऊदी अरब और अन्य ओपेक देशों से तेल की कीमतों को कम करने की अपील की। उन्होंने जोर देकर कहा कि वैश्विक स्थिरता बनाए रखने में इन देशों की अहम भूमिका है। ट्रंप ने कहा, “मैं सऊदी अरब और ओपेक से तुरंत तेल की कीमतें कम करने की मांग करता हूं। ईमानदारी से कहूं तो यह काम पहले ही हो जाना चाहिए था—चुनाव से पहले। यह उनके प्यार की कमी को दर्शाता है।” उन्होंने तर्क दिया कि तेल की ऊंची कीमतें युद्ध को खींचने का काम कर रही हैं और इसे खत्म करने के लिए आर्थिक दबाव बनाया जाना चाहिए।
युद्ध समाप्ति के लिए आर्थिक रणनीति
ट्रंप ने अपनी आर्थिक योजना पर विस्तार से बात करते हुए तेल की कीमतों और युद्ध के बीच गहरा संबंध बताया। उन्होंने कहा कि अगर तेल की कीमतें कम होती हैं, तो इसका असर न केवल युद्ध पर पड़ेगा, बल्कि वैश्विक ब्याज दरों पर भी पड़ेगा। ट्रंप ने कहा, “तेल की मौजूदा ऊंची कीमतें इस युद्ध को जारी रखने में मदद कर रही हैं। इन्हें तुरंत कम किया जाना चाहिए, और ब्याज दरें भी घटनी चाहिए—न सिर्फ अमेरिका में बल्कि दुनियाभर में। लाखों जानें जा रही हैं, और इसमें ओपेक की भूमिका बहुत अहम है।”
युद्ध के समाधान की फिर से अपील
दावोस में अपने संबोधन से पहले, ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को जल्द समाप्त करने की मांग दोहराई। उन्होंने रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों जैसे “टैक्स, टैरिफ और सैंक्शंस” की बात की। हालांकि, क्रेमलिन की नीतियों की आलोचना करने के बावजूद ट्रंप ने रूसी लोगों और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रति सकारात्मक रुख अपनाया।
ट्रंप ने कहा, “मैं रूसी लोगों का गहरा सम्मान करता हूं। राष्ट्रपति पुतिन के साथ मेरा हमेशा अच्छा रिश्ता रहा है, भले ही ‘रूस होक्स’ के नाम पर कट्टरपंथी वामपंथियों ने झूठ फैलाया हो। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि रूस ने द्वितीय विश्व युद्ध में हमें जीतने में मदद की थी, जिसमें लगभग 6 करोड़ जानें गई थीं।” उन्होंने आगे कहा, “इसके बावजूद, मैं रूस की डगमगाती अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और स्थायित्व लाने के लिए कदम उठाने को तैयार हूं।”
युद्ध का पृष्ठभूमि
रूस-यूक्रेन युद्ध जनवरी 2022 में तब शुरू हुआ जब रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया। इसका कारण यूक्रेन का नाटो में शामिल होने का निर्णय था। मॉस्को ने मांग की थी कि नाटो पूर्वी यूरोप में किसी भी सैन्य गतिविधि को रोकने की गारंटी दे। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस युद्ध को यह कहते हुए सही ठहराया कि यूक्रेन पश्चिमी देशों की कठपुतली है।
युद्ध का मानवीय संकट
युद्ध शुरू होने के बाद से इसने भारी मानवीय नुकसान पहुंचाया है। अब तक 14,000 से अधिक नागरिक अपनी जान गंवा चुके हैं, जबकि लाखों लोग बेघर हो गए हैं। कुछ ने देश के भीतर ही शरण ली है, जबकि अन्य को देश छोड़कर भागना पड़ा। दोनों देशों के बीच सैन्य हताहतों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है, जिससे इस संकट की गहराई और बढ़ गई है।
दावोस में ट्रंप का बयान यह दर्शाता है कि वे भू-राजनीतिक संघर्षों को हल करने के लिए आर्थिक दबाव का उपयोग करने में विश्वास करते हैं। हालांकि, तेल की कीमतों में कटौती और ब्याज दरों को घटाने से शांति की संभावना को कितना बल मिलेगा, यह अभी भी बहस का विषय है।