चीन और अमेरिका की टैरिफ नीति अब टैरिफ वार में बदल चुकी है। जहां अमेरिका ने चीन पर 145 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। वही चीन ने अमेरिका पर 151% टैरिफ लगा दिया है।
अमेरिका ने 75 देशों को 90 दिन की टैरिफ में रियायत दी है और उनके टैरिफ को 10% कर दिया है वही चीन पर टैरिफ को 145% और तत्काल से प्रभावी कर दिया था अब इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिका पर 125% टैरिफ लगा दिया था इससे पहले चीन पर अमेरिका ने 20% टैरिफ बढ़ाते हुए 145 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी थी। हाल ही में चीन ने अमेरिका पर 151% टैरिफ लगा दिया है। लेकिन इसी बीच चीन ने भारत को 5% डिस्काउंट का ऑफर दे कर सबको हैरान कर दिया है।
अमेरिका का क्या कहना है सिर्फ चीन पर टैरिफ लगाने के विषय में
अमेरिका का कहना है कि चीन के अतिरिक्त सभी देश टैरिफ पर बात करने के लिए अमेरिका से लगातार संपर्क में हैं। लेकिन चीन ने अमेरिका से टैरिफ के विषय में कोई बात नहीं की है। अभी भी अमेरिका इस उम्मीद में है कि चीन के राष्ट्रपति अमेरिका फोन करेंगे। आगामी समय में विश्व के कई देश टैरिफ को लेकर अमेरिका से बात करने वाले हैं लेकिन चीन उन देशों में शामिल नहीं है। डोनाल्ड ट्रंप का कहना है की चीन हमसे डील करना चाहता है लेकिन उसे नहीं पता यह डील शुरू कैसे हो
चीन का क्या कहना है इस विषय में
चीन की सरकार चीनी लोगों को अधिक खर्च करने के लिए प्रेरित करके निर्यात को हुए नुकसान की भरपाई करने का प्रयास कर रही है। चीन के मुख्य अखबार में एक लेख में लिखा गया कि चीनी उपभोक्ता खर्च को आर्थिक विकास का आधार बनाएगा और एक बहुत बड़ा बाजार होने का खुद लाभ उठायेगा। एक अन्य अखबार में कहा गया की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से संभली हुई है और उत्पादक और उपभोक्ता एक ही है।
चीन ने दर्ज कराई है WTO (वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन) में शिकायत
चीन एक तरफ तो अमेरिका पर रेसिप्रोकल टैरिफ लग रहा है दूसरी तरह अमेरिका की शिकायत भी कर रहा है चीन ने वर्ल्ड ट्रेडआर्गेनाइजेशन में अमेरिका की शिकायत की है विश्व व्यापार संगठन में चीन ने शुक्रवार को कहा कि हमने अमेरिकी टैरिफ को लेकर व्यापार निकाय में एक अतिरिक्त शिकायत दर्ज कराई है।
चीन के द्वारा जारी बयान में कहा गया की 10 अप्रैल को संयुक्त राज्य अमेरिका ने कार्यकारी आदेश जारी किया था जिसमे चीनी उत्पादों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का आदेश जारी किया था जिससे चीनी अर्थव्यवस्था संकट में आ गई है। संयुक्त राज्य अमेरिका के टैरिफ उपाय के खिलाफ वर्ल्ड हेल्थ वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन में शिकायत दर्ज करवाई है।
चीन ने भारत को इलेक्ट्रिक इलेक्ट्रॉनिक सामान पर 5% डिस्काउंट का ऑफर दिया
चीन के इस डिस्काउंट ऑफर की वजह अमेरिका द्वारा लगाया गया 125% रिसिप्रोकल टैरिफ है जिसके कारण चीन की इलेक्ट्रॉनिक इंडस्ट्री को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। चीन का उद्देश्य इस ऑफर के द्वारा अपने सामान को बर्बाद होने से बचाना है। अपनी हिस्सेदारी बनाए रखना है और भारत के जरिए अमेरिकी बाजार में अपनी जगह बनाये रखना है क्योंकि उसे लगता है कि अब भारत की कंपनियां उससे सामान खरीद कर अमेरिका को निर्यात करेंगे और अभी भारत पर 90 दिनों के लिए टैरिफ में छूट है इसलिए चीन का सामान बेकार होने के बजाय भारत के जरिए अमेरिका के बाजार में जा पाएगा।
क्या भारत स्वीकृत करेगा इस ऑफर को
भारत को इस ऑफर को स्वीकार नहीं करना चाहिए अब जबकि चीन की मंशा सामने आ ही गई है और चीन अभी तक भारत का धुर विरोधी ही रहा था अभी भी चीन भारत को बांग्लादेश के जरिए परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा तो ऐसे में भारत को चीन से इस मामले में कोई समझौता नहीं करना चाहिए।