सूत्रों की मानें तो डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के दोबारा से राष्ट्रपति बनने के बाद अपनी नीतियों में बदलाव करने वाले हैं। इसी में से एक इमीग्रेशन नीति भी है जिसमे डोनाल्ड ट्रंप कुछ नए और कड़े नियम लाने वाले हैं। जिसके कारण विदेश से आने वाले लोगों का अमेरिका में आकर नौकरी कर पाना या फिर पढ़ पाना मुश्किल होने वाला है। ट्रंप के पहले कार्यकाल में नियम काफी कड़े थे। यात्राओं पर प्रतिबंध थे। डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल में वीजा मिलना आसान नहीं था अब फिर से यूनिवर्सिटीज को वही डर सता रहा है पॉलिसी परिवर्तन की भी चिंता यूनिवर्सिटीज को हो रही है। इस समय अधिकतर छात्र क्रिसमस ब्रेक के चलते अपने घरों में चले जाते हैं या फिर सेमेस्टर ब्रेक और स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत दूसरे देशों में चले जाते हैं उन सभी को अमेरिकी यूनिवर्सिटी ने वापस आने का अल्टीमेटम दिया है। ट्रंप के कार्यभार संभालने से पहले अगर ये विद्यार्थी वापस नहीं आते हैं तो हो सकता है उनका वीजा मिलने में परेशानी आए या फिर कुछ देशों के छात्रों पर डोनाल्ड ट्रंप बैन लगा सकते हैं जिसके कारण उनके लिए अमेरिका दोबारा आना संभव नहीं होगा।
अमेरिकी यूनिवर्सिटी को क्यों है ऐसा अंदेशा
ऐसा जरूरी नहीं की डोनाल्ड ट्रंप विदेशी छात्रों पर बैन लगा ही दें। लेकिन अमेरिकी यूनिवर्सिटी पिछली बार के डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल को देखते हुए अपनी तरफ से एडवाइजरी देना आवश्यक समझ रही है ।पिछली बार २०१७ में डोनाल्ड ट्रंप ने कई देशों के नागरिकों को बैन कर दिया था। कुछ देशों के नागरिकों को ट्रैवल बैन भी कर दिया गया था। हो सकता है डोनाल्ड ट्रंप अपना वही रवैया दोबारा अपनाए इसीलिए यूनिवर्सिटी विद्यार्थियों को इस समय अमेरिका में ही रहने के लिए कह रही है । पिछली बार 2017 में ट्रंप ने अपने कार्यकाल में एक कार्यकारी आदेश पर साइन किया जिसके जरिए सात मुस्लिम बहुत देश की एंट्री को बैन कर दिया गया था बाद में उत्तर कोरिया और वेनेजुएला को भी इसी कड़ी में शामिल कर लिया गया जिसकी वजह से काफी छात्र बीच में ही फंस गए थे और कई छात्रों को स्वदेश वापस लौटना पड़ा था दो फैकल्टी सदस्यों को बोस्टन के एयरपोर्ट पर घंटों हिरासत में रखकर फिर रिहा किया गया था जबकि उनके पास अमेरिका में रहने के लिए परमानेंट रेजिडेंट सर्टिफिकेट भी था। उस समय यूनिवर्सिटीज को अपने छात्रों और अपने स्टाफ सदस्यों की मदद के लिए आगे आना पड़ा था इसलिए इस समय अमेरिकी यूनिवर्सिटीज अपने स्टाफ और अपने छात्रों को वापस अमेरिका आने के लिए अल्टीमेटम दे रही है।
किन छात्रों पर पड़ने वाला है असर
इस समय 1.1 बिलियन अंतरराष्ट्रीय छात्र है जिसमें सबसे अधिक संख्या भारतीय छात्रों की है। 33000 छात्र ऐसे हैं जो कि भारत से है। इमीग्रेशन डिपार्टमेंट के अनुसार 4 लाख से ज्यादा छात्र ऐसे हैं जो कि अमेरिकी उच्च शिक्षा में एनरोल है लेकिन उनके पास जरूरी दस्तावेज नहीं है। सबसे ज्यादा मुश्किलें उन्हीं छात्रों के लिए होने वाली है। भारत से आने वाले करीब 3 लाख 33000 एफ वीजा वाले छात्र है।उन पर ट्रंप प्रशासन के द्वारा लगाए गए वीजा प्रतिबंधों का कोई असर नहीं दिखाई देगा।
क्या कहना है अधिकारियों का
विश्वविद्यालय के अधिकारियों का कहना है चुनाव संबंधी परिवर्तनों के कारण अमेरिकी दूतावास के स्टाफ पर भी असर पड़ेगा जिससे यूनिवर्सिटी की प्रवेश प्रक्रिया में भी असर आना निश्चित है।अधिकारियों का कहना है कि जो छात्र समय से नहीं लौट पाएंगे उनको प्रवेश वीजा प्रणाली के जारी होने का इंतजार करना पड़ेगा जिससे उनकी वापस लौटने की स्थिति भी प्रभावित हो सकती है। अधिकारियों ने कहा कि अगर छात्र किसी विदेशी दौरे पर जाने की इच्छा रख रहे हो तो इस समय उन्हें तत्काल वापस आना पड़ेगा अन्यथा बाद में उनके लिए मुश्किलें बढ़ जाएगी।
अमेरिका में है कितने देशों के विद्यार्थी
अमेरिका में इस समय 120 देश से अधिक देशों के विद्यार्थी विभिन्न यूनिवर्सिटी में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं इसके साथ ही स्टाफ मेंबर्स भी है यूनिवर्सिटी ईमेल के द्वारा देश से बाहर गए हुए विद्यार्थी और स्टाफ मेंबर्स को वापस बुला रही है जिससे कि वे सुरक्षित और समय से अमेरिका में पहुंच जाए।
सारांश
डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को कार्यभार संभालने वाले हैं उनके कार्यभार संभालने के बाद विदेशी छात्रों के लिए `नियम और मुश्किल होने वाले हैं।विद्यार्थियों को आने वाली परेशानियों से बचने के लिए अमेरिकी यूनिवर्सिटीज उन्हें 20 जनवरी से पहले वापस लौटने के लिए अल्टीमेटम दे रही हैं ।