Wednesday, February 5, 2025
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बजट के बाद रुपया औधे मुंह डॉलर के मुकाबले पहली बार 87 के पार

रुपया पहली बार 87 के पास पहुंच गया है। आज दिन की शुरुआत में रुपया 67 पैसों की गिरावट के साथ 87.29 प्रति डॉलर के अभी तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कनाडा, मेक्सिको, चीन पर टैरिफ लगाने के बाद व्यापार युद्ध की आशंकाओं के बीच रुपए में यह गिरावट आ रही है। मैक्सिको कनाडा ने भी जवाबी कार्रवाई करने के लिए कहा है। इसलिए लग रहा है कि व्यापार युद्ध होकर ही रहेगा।

दिन प्रतिदिन रुपया क्यों हो रहा है डॉलर के मुकाबले कमजोर

डोनाल्ड ट्रंप ने जब से कनाडा मेक्सिको और चीन पर टैरिफ लगाया है तब से यह देश भी अमेरिका के खिलाफ युद्ध मोड में आ गए हैं जिसके कारण विश्व व्यापार में खलबली मच गई है। दूसरी तरफ विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी हो रही है। और तेल आयातकों की तरफ से डॉलर की निरंतर मांग बढ़ रही है। जिसके कारण विदेशी बाजार में अमेरिकी मुद्रा की मजबूती बढ़ती जा रही है। डॉलर की मजबूती से रुपए पर दबाव पड़ रहा है और यह दबाव बढ़ता जा रहा है। अंतर बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपये की शुरुआत 87 रुपए प्रति डॉलर रही। बाद में यह और कमजोर होकर 87.29 पर पहुंच गया। अंत में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 86.62 पर बंद हुआ।

क्या स्थिति रही अन्य मुद्राओं की

अमेरिकी डॉलर की स्थिति अमेरिकी डॉलर की स्थिति 1.30% की बढ़त के साथ 109.77 पर रही। इस समय अमेरिकी डॉलर ऑफशोर ट्रेडिंग में चीनी युआन के मुकाबले रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। कनाडा की करेंसी के मुकाबले यह उच्चतम स्तर पर है और मैक्सिकन पैसों के मुकाबले 2022 के बाद सबसे मजबूत स्तर पर रहा है ब्रेड क्रूड 0.7% बढ़कर 76.21 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा है।

डोनाल्ड ट्रंप के फैसलों का रुपए पर क्यों पड़ रहा है असर

इस समय 6 प्रमुख वैश्विक मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर मजबूती पर है। डॉलर 0.3% बढ़कर 109.8 पर पहुंच गया है जिससे उसे मजबूती और मिल गई है। चीनी युआन 0.5% गिर कर 7.35 के स्तर पर आ गया है। भारतीय रुपए और चीनी युआन दोनों का रुझान आमतौर पर एक समान ही होता है यूआन में कमजोरी का भी असर रुपए पर पड़ रहा है यूआन में कमजोरी होने के कारण भी रुपए पर दबाव पड़ा है।

भारतीय रुपए के गिरने से क्या फर्क पड़ेगा भारतीय अर्थव्यवस्था पर

रुपए के गिरने से आयात महंगा होगा और व्यापार घाटा बढ़ सकता है। हमारे देश की महंगाई भी बढ़ सकती है। कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। हम अपनी 80% कच्चे तेल की जरूरत आयात से पूरी करते हैं। रूपए के कमजोर होने से तेल आयात महंगा होगा जिससे पेट्रोल, डीजल की कीमतें बढ़ेगी जिससे व्यापार में सामानों को लाने ले जाने में लगने वाला धन अधिक लगेगा। रुपए के गिरने से विदेशी निवेशक भारत में निवेश नहीं करना चाहेंगे भारत का फॉरेन इंस्टिट्यूट नेशनल इन्वेस्टर्स और एफडी फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट भी प्रभावित हो सकता है हमारे शेयर बाजार में भी हमें उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। हमारे देश में बाहर से आने वाला कच्चा माल महंगा हो जाएगा जिसके कारण हमारे देश के माल की उत्पाद कीमत बढ़ जाएगी। इस वजह से आईटी, ऑटोमोबाइल, फार्मा सेक्टर के क्षेत्र में कंपनियां प्रभावित हो सकती है। विदेश में पढ़ने का खर्च और महंगा होगा। विदेश यात्रा महंगी होगी क्योंकि टिकट व यात्रा में लगने वाला खर्च डॉलरों में होगा।

अगर रुपया और गिरता है तो सरकार की क्या प्रतिक्रिया होगी

परिस्थितियों को देखते हुए लग रहा है कि अमेरिकी डॉलर और मजबूत बना रहेगा। अगर व्यापार युद्ध की स्थिति बनती है तो रुपया और गिर सकता है ऐसे में भारतीय रिजर्व बैंक रुपए को स्थिर करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप कर सकता है‌। केंद्रीय बैंक डॉलर बेचकर रुपए की गिरावट को कम करने की कोशिश कर सकता है। सरकार को रुपए की स्थिरता बनाए रखने के लिए नीतिगत फैसले लेने पड़ेंगे। सरकार को विदेशी निवेश को आकर्षित करने, निर्यात को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता कम करने जैसे फैसले लेने की आवश्यकता होगी।

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