Tuesday, April 1, 2025
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कर्नाटक से आई एक नई रिपोर्ट ने निवेशकों को किया हैरान क्या शेयर बाजार में आ सकता है नया तूफान?

24 मार्च को कर्नाटक की स्थिति को बयां करती एक रिपोर्ट जारी हुई है जो की न केवल कर्नाटक बल्कि भारत की वित्तीय स्थिति के विषय में भी प्रकाश डालती है। इस रिपोर्ट के अनुसार कर्नाटक जिसे अभी तक माइक्रो फाइनेंस सेगमेंट के लिए एक सुरक्षित बाजार माना जाता था अभी गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है।

क्या भारत की माइक्रोफाइनेंस सेक्टर में उठने वाला है कोई तूफान?

इस रिपोर्ट में कहा जा रहा है कर्नाटक में माइक्रोफाइनेंस सेक्टर एक गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है। कर्नाटक राज्य में काफी ऐसे लोग हैं जिन्होंने एक से अधिक माइक्रोफाइनेंस कंपनियों से कर्जा लिया हुआ है और अब वो इसे चुका नहीं पा रहे हैं जिसके कारण कर्नाटक राज्य में डिफाल्टर लोगों की संख्या बढ़ रही है। इसके अलावा काफी सारी माइक्रोफाइनेंस कंपनी ऐसी भी है जिन्होंने लोन लेकर उस पैसे को किसी और को ऊंची ब्याज दरों पर कर्ज दे दिया है जिसके कारण लोन पेमेंट की साइकिल को भी खतरा बना हुआ है। कर्नाटक राज्य में इस तरह से लोन लेकर दूसरों को लोन देने का चलन बढ़ता जा रहा है जो की वित्तीय स्थिति से देखने पर सुखद स्थिति बिल्कुल भी नहीं है। इन स्थितियों के कारण कर्नाटक के बैंक और माइक्रोफाइनेंस कंपनियों जो बाहर से देखने पर तो अच्छी स्थिति में दिखाई देती है लेकिन अंदर से कमजोर होती जा रही है। अभी तक माइक्रोफाइनेंस सेक्टर को सबसे सुरक्षित बाजार माना जाता था लेकिन अब लगता है कि ऐसा लंबे समय तक नहीं रहने वाला।

माइक्रोफाइनेंस सेक्टर के संकट की मुख्य वजह क्या है?

माइक्रोफाइनेंस सेक्टर की सबसे बड़ी कमी है जरूरत से अधिक कर्ज देना। कंपनियां अधिक से अधिक कर्ज दे रही है बिना किसी गारंटी, बिना किसी जांच के लोगों को कर्ज दे रही है। खुद कर्ज लेकर दूसरों को कर्ज दे रही है और इसके अलावा कर्नाटक सरकार ने एक विवादित अध्यादेश लागू किया है जो कि पूरे सेक्टर में अस्थिरता प्रदान कर रहा है। इस अध्यादेश में कुछ ऐसा कहा गया है जिसके कारण अब कर्ज दारों को लग रहा है कि वह लोन चुकाता है या नहीं चुकाता है कोई फर्क नहीं पड़ता। इसके कारण लोन कलेक्शन में बहुत मुश्किल आ रही है। इकोनामिक सेक्टर में राजनीति के हस्तक्षेप का दुष्प्रभाव अब माइक्रो फाइनेंस सेगमेंट को झेलना पड़ रहा है।

अब माइक्रो फाइनेंस सेगमेंट कंपनियां क्या कदम उठा रही है?

माइक्रोफाइनेंस सेगमेंट कंपनियों ने आने वाले नुकसान से बचने के लिए नए लोगों को लोन देने पर रोक लगाने का फैसला किया है। वह पुराने लोन की कलैक्शन पर ही अधिक ध्यान दे रही है माइक्रो फाइनेंस सेगमेंट कंपनियों ने लोन को रिन्यू कराने पर भी नियमों को और मजबूत कर दिया है जिसके कारण रिन्यूअल रेट 30 से 40% हो गया है।

किन कंपनियों ने समय रहते खुद को कर लिया है सचेत और हो गई है मजबूत स्थिति में?

कर्नाटक की सबसे बड़ी माइक्रो फाइनेंस कंपनी क्रेडिट एक्सेस ग्रामीण ने अपने आप को समय रहते सचेत कर लिया और इसकी स्थिति अभी अच्छी बनी हुई है। इसने साप्ताहिक आधार पर वसूली और स्ट्रक्चर लैंडिंग के मॉडल को अपना लिया है। क्योंकि इससे पहले कंपनी माइक्रो फाइनेंस सेक्टर में आए संकट नोटबंदी और कोरोना महामारी जैसे संकटों का सामना कर चुकी है।

उज्जैन स्मॉल फाइनेंस बैंक ने भी बड़े टिकट लोन मंथली कलेक्शन मॉडल पर काम करके खुद को सुरक्षित बना लिया है। फिर भी यह कंपनीयां पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है क्योंकि मार्केट में बढ़ता हुआ तनाव और डिफॉल्ट के कारण पूरा माइक्रोफाइनेंस सेगमेंट प्रभावित होता है।

क्या होने वाला है आने वाले समय में?

कर्नाटक के अलावा पूरे देश के माइक्रोफाइनेंस सेगमेंट में आने वाले दो तिमाही बहुत खास होने वाले हैं क्योंकि अगर कर्नाटक सरकार अपनी पॉलिसी में सुधार नहीं करती तो डिफाल्टर व बकायदार काफी बढ़ जाएंगे जिसके कारण बैंक और स्मॉल सेक्टर कंपनियां, माइक्रोफाइनेंस सेगमेंट कंपनीयों के लिए परेशानी बढ़ जाएगी जिसके कारण निवेशक भी परेशान हो सकते हैं।

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