यूपीआई चार्जेस में सुविधा शुल्क के विषय में तो हम सोच ही नहीं सकते क्योंकि अभी हम यूपीआई से ही अच्छी तरह फैमिलीयर नहीं हो पाए हैं लेकिन आरबीआई के गवर्नर ने संकेत दे दिए हैं कि यूपीआई भी अब लंबे समय तक फ्री नहीं रहने वाला आईए जानते हैं इसके बारे में
यूपीआई चार्जेस होता क्या है
जब हम अपनी ई वॉलेट से कोई लेनदेन करते हैं तो यह यूपीआई के थ्रू होता है। आप अपने मोबाइल में किसी भी यूपीआई अकाउंट को खोलते हैं। अपने फोन के कैमरे से जिसे आपको यूपीआई पेमेंट करना होता है
उसके नंबर को स्कैन करते हैं या फिर स्कैनर से किसी कोड को स्कैन करते हैं और यूपीआई अकाउंट खोलते हैं और आपका मिनटों में पैसे का ट्रांजैक्शन हो जाता है और इसमें आपको कोई पैसा खर्च नहीं करना पड़ता। अभी तक तो आपको यूपीआई चार्जेस नहीं देने पड़ते थे।
यूपीआई पेमेंट पर अभी तक हमें नहीं देना पड़ता था कोई चार्ज
चाहे गूगल पे हो चाहे पेटीएम हो यह सब यूपीआई के थ्रू काम करते हैं लेकिन अब केंद्रीय बैंक आरबीआई ने संकेत दिए हैं कि आने वाले समय में यूपीआई के जरिए पेमेंट पर भी चार्ज लग सकता है। केंद्रीय बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने संकेत दिए हैं की यूपीआई पेमेंट पर अभी तक हमें कोई चार्ज नहीं देना पड़ता था पर अब यह लंबे समय तक संभव नहीं है।
फ्री यूपीआई पेमेंट अब संभव नहीं है लंबे समय तक
- फ्री यूपीआई पेमेंट को लेकर आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने संकेत दिए हैं कि यूपीआई पेमेंट अब लंबे समय तक फ्री नहीं रहने वाला। एक मीडिया इवेंट में संजय मल्होत्रा ने कहा कि अभी यूपीआई सिस्टम बिना किसी चार्ज के काम करता है और इसके लिए किसी यूजर को कोई चार्ज नहीं देना पड़ता।
- लेकिन सरकार इसके लिए बैंकों और अन्य सहयोगियों को सब्सिडी प्रदान करती है जिससे कि यूपीआई सिस्टम आसानी से कम कर सके संजय मल्होत्रा का कहना है कि हम डिजिटल पेमेंट को और सुरक्षित और बेहतर बनाने के लिए प्रयासरत है।
- लेकिन ऐसे में इंफ्रास्ट्रक्चर की स्थिरता पर भी ध्यान देना होगा जिसके लिए खर्च भी करना होगा और यह खर्च किसी को तो वहन करना ही होगा।
यूपीआई पेमेंट के जरिए करते हैं अधिकतर युवा पेमेंट
यूपीआई पेमेंट अधिक युवा वर्ग में विशेष रूप से प्रचलन में है आने वाले समय में यूपीआई पेमेंट और बढ़ने वाला है। यूपीआई पेमेंट अभी 2 सालों से ही विशेष रूप से प्रचलन में आया है लेकिन इन 2 सालों में ही ट्रांजैक्शन लगभग दोगुना हो चुका है दो साल पहले यह 31 करोड़ रुपए था अब यह 60 करोड़ रुपए तक हो चुका है।
इतनी तेज ग्रोथ होने के कारण इंफ्रास्ट्रक्चर भी और बेहतर करने की आवश्यकता है क्योंकि इस तेज ग्रोथ में बैकेंड इंफ्रास्ट्रक्चर पर दबाव बनाया है।
यूपीआई पेमेंट में क्या रोल है बैकेंड इंफ्रास्ट्रक्चर का
यूपीआई पेमेंट में बैंकेंड इंफ्रास्ट्रक्चर का काम बैंक, पेमेंट, सर्विस प्रोवाइडर्स और नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया के द्वारा संचालित किया जाता है। अभी तक यूपीआई के अंतर्गत भारत सरकार को कोई रेवेन्यू नहीं मिलता क्योंकि मरचेंट डिस्काउंट रेट शून्य है। ऐसे में आरबीआई के गवर्नर का कहना है कि यह मॉडल वित्तीय तौर पर अधिक लंबे समय तक काम नहीं कर पाएगा।
गवर्नर ने किया दरों में कटौती को लेकर खुलासा
आरबीआई के गवर्नर ने दरों में कटौती को लेकर कहा कि मौद्रिक नीतियां आने वाले समय के हिसाब से तय होंगी। उन्होंने कहा हालांकि इस समय महंगाई दर कम है लेकिन अगले 6 से 12 महीने में महंगाई के मौजूदा आंकड़े यह तय करेंगे कि बाजार की कैसी स्थिति रहेगी अभी महंगाई दर 2.1 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा सिर्फ दो महीने में रेपो रेट में 50 बीपीएस की कटौती अब पूरी तरह से नए लोन में बदल गई है। हालांकि क्रेडिट ग्रोथ पहले की तुलना में कम है लेकिन 10 साल की औसत से अभी भी अधिक बनी हुई है।
गवर्नर ने क्या कहा डिजिटल करेंसी को लेकर
आरबीआई के गवर्नर का कहना है कि आरबीआई अभी डिजिटल करेंसी को लेकर सतर्कता बरत रही है। आरबीआई के प्रतिनिधियों की कमेटी इसके अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ रहे हैं इसको लेकर परीक्षण कर रही है।
निष्कर्ष
आरबीआई के गवर्नर का कहना है की आने वाले समय में यूपीआई पेमेंट के लिए हमें सुविधा शुल्क भुगतान करना होगा।