Saturday, July 12, 2025
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क्या पिता की प्रॉपर्टी में बेटियों का हक हमेशा है, क्या पत्नी के नाम से पति के द्वारा खरीदी के संपत्ति को बेच सकती है पत्नी

2005 में पिता की संपत्ति में बेटे और बेटियों का हक बराबर का है इस विषय में सरकार ने एक नियम निकाला है, दि पत्नी के नाम पर संपत्ति उसकी अपनी कमाई से नहीं खरीदी गई है तो यह संपत्ति पारिवारिक संपत्ति मानी जाएगी।

पिता की संपत्ति में बेटियों का हक है या नहीं और पत्नी के नाम की संपत्ति जो पति ने खरीदी हो क्या पत्नी बेच सकती है आइये जाने

2005 में किया था सरकार ने नियमों में संशोधन

2005 में पिता की संपत्ति में बेटे और बेटियों का हक बराबर का है इस विषय में सरकार ने एक नियम निकाला है 2005 से पहले लड़कियां पिता की संपत्ति पर को अधिकार नहीं दिखा सकती थी। पिता की संपत्ति को लेकर बेटियां अभी भी दावा करने में संकोच करती है जिसके कारण उन्हें अभी भी अपना अधिकार नहीं मिल पाता 

2005 में सरकार ने किया था कानून में संशोधन 

भारत सरकार ने समाज के बदलती आर्थिक और सामाजिक परिस्थितियों को देखते हुए 2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में संशोधन किया था। इस नियम में बताया गया था कि पिता की संपत्ति पर बेटे और बेटी का हक बराबर का ही है। इस नियम में बताया गया था कि पिता के संपत्ति पर जितना है बेटों का है उतना ही बेटियों का भी है चाहे बिटिया विवाहित हो या अविवाहित पिता की संपत्ति में उनके बराबर का ही अधिकार होगा। 

पुश्तैनी संपत्ति में भी होगा बराबर का अधिकार 

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अंतर्गत बेटी का अधिकार सिर्फ पिता की संपत्ति नहीं होगा बल्कि पाकिस्तानी संपत्ति में भी होगा। 2005 से पहले पिता की पैतृक संपत्ति में बेटी का अधिकार न के बराबर होता था।

पिता कर सकता है वसीयत बनाकर बेटी को संपत्ति देने से इंकार

अगर पिता ने वसीयत बना रखी है तो अपनी मर्जी के मुताबिक अपनी संपत्ति का बंटवारा कर सकता है। पिता ने अगर वसीयत में बेटे को संपत्ति देने से इनकार कर दिया है तो बेटी इसे चैलेंज नहीं कर सकती।

बेटियों को यह अधिकार है जन्म से ही 

पिता की संपत्ति में बेटियों को जन्म से ही अधिकार मिला है और यह अधिकार पिता के जीवित होने या मृत होने तो नहीं स्थितियों पर लागू होता है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला 

2020 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में बताया की 2005 की संशोधन की तिथि पर पिताजी जीवित है या नहीं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। 

वसीयत ना होने पर

अगर पिता नहीं बनाते वसीयत तो कर सकती है बेटी संपत्ति पर दावा । अगर पिता ने अपनी वसीयत बनाई है तो अपनी संपत्ति अपनी इच्छा अनुसार किसी को भी दे सकते हैं।

तलाकशुदा या दूसरी शादी की बेटी को भी है अधिकार 

अगर किसी महिला की शादी चल नहीं पाई है उसका तलाक हो गया या पिता ने दूसरी शादी की है तो भी बेटी को पिता की प्रति संपत्ति में पूरा अधिकार मिलेगा। ऐसे बच्चों को क्लास वन वारसी माना जाएगा। 

झगड़ों से बचने के लिए क्या करें परिवार 

पारिवारिक विवादों से बचने के लिए माता-पिता को अपनी संपत्ति का बंटवारा अपने जीते जी वसीयत गिफ्ट के जारी कर देना चाहिए। इससे बच्चों में झगड़ा नहीं होगा और हर किसी को उसके कानूनी रूप से अधिकार मिल जाएगें इस प्रक्रिया में किसी वकील की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

पत्नी के नाम प्रॉपर्टी खरीदते समय हो जाएं सावधान 

अगर महिलाओं के नाम संपत्ति खरीदी जाती है तो स्टैंप ड्यूटी कम लगती है और कुछ राज्यों में तो एक से दो प्रतिशत की छूट भी मिलती है इसलिए लोग टैक्स बचाने के लिए अपनी पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदते हैं।पत्नी के नाम की पति के संपत्ति पर परिवार के अन्य सदस्यों का अधिकार हो जाता है ऐसे में पत्नी को पति द्वारा अर्जित संपत्ति को बेचने नीलाम करने या दान का कोई अधिकार नहीं होता। 

 

टैक्स बचाने के लिए पत्नी के नाम संपत्ति 

जो लोग टैक्स बचाने के लिए अपने पति के नाम संपत्ति पंजीकृत करते हैं कि थोड़ा खर्च कम हो जाएगा साथ ही साथ पत्नी को भी आर्थिक सुरक्षा का एहसास होगा उन सभी को उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है यदि पत्नी के नाम पर संपत्ति उसकी अपनी कमाई से नहीं खरीदी गई है तो यह संपत्ति पारिवारिक संपत्ति मानी जाएगी। कई महिलाओं के पास अपनी आय का कोई जरिया नहीं होता और पति अपनी आय से पति के नाम पर संपत्ति खरीदने हैं तो पत्नी अगर यह प्रूफ नहीं कर पाती कि उसकी अपनी आय से खरीदी की संपत्ति है तो उसके नाम की संपत्ति अर्जित की मानी जाएगी।

पत्नी को कब मिलते हैं अधिकार 

भारतीय कानून के अनुसार पति के जीवित रहते हुए पत्नी का उसकी संपत्ति का पर कोई सीधा मालिकाना अधिकार नहीं होता पति की मृत्यु के बाद पत्नी और बच्चों को पति संपत्ति में समान अधिकार प्राप्त होते हैं यदि पति वसीयत नहीं बनता तो पत्नी को संपत्ति में कुछ हिस्सा मिल सकता है लेकिन यह संपत्ति व किसी तीसरे व्यक्ति को बेच के हस्तांतरित नहीं कर सकती।

निष्कर्ष

अब 2005 से बेटियों को भी पिता की संपत्ति में स्थान प्राप्त है चाहे वह पैतृक हो या पिता की खुद की कमाई हो लेकिन अगर पिता ने वसीयत बनवा रखी हो या गिफ्ट डीड के द्वारा अपनी संपत्ति का बंटवारा कर रखा हो तो बेटी उस पर अपना अधिकार नहीं दिखा सकती लेकिन हां पैतृक संपत्ति पर फिर भी उसका अधिकार है साथ ही साथ अगर पति ने पत्नी के नाम संपत्ति खरीदी है तो पत्नी उसे पति के जीवित रहते बेच नहीं सकती नीलाम नहीं कर सकती और नहीं किसी को दान कर सकती है

 

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