ईरान और इज़राइल के बीच जारी तनाव के बीच अमेरिका द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ को लेकर चौंकाने वाले विवरण सामने आए हैं। अमेरिका ने अत्याधुनिक B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स और टॉमहॉक क्रूज मिसाइलों का उपयोग कर ईरान की तीन प्रमुख न्यूक्लियर साइट्स — फोर्दो, नतांज और इस्फहान — पर एक सटीक और गोपनीय हमला किया।
✈️ मिशन की रणनीति और गोपनीयता
- हमले की शुरुआत मिसौरी स्थित व्हाइटमैन एयरबेस से हुई, जहां से 7 B-2 बॉम्बर विमानों ने 00:01 EDT पर उड़ान भरी।
- इन विमानों ने 18 घंटे लंबी उड़ान भरी, जिसमें कई बार मिड-एयर रिफ्यूलिंग की गई।
- इन बॉम्बर्स के साथ एक फाइटर सपोर्ट टीम भी मिडल ईस्ट में शामिल हुई।
- इसी दौरान, एक अलग टीम को पश्चिम की दिशा में भेजा गया ताकि असली हमले को छिपाया जा सके।
🕳️ टारगेट: फोर्दो, नतांज और इस्फहान
साइट | विशेषता | हमला विवरण |
---|---|---|
फोर्दो | 80-90 मीटर गहरे सुरंग में न्यूक्लियर साइट | 14 MOP (बंकर बस्टर) बम गिराए गए |
नतांज | परमाणु संवर्धन सुविधा | B-2 बॉम्बर्स द्वारा हमला |
इस्फहान | रडार व न्यूक्लियर सुविधा | टॉमहॉक मिसाइलों से हमला |
💣 बंकर बस्टर बम और उनका असर
- GBU-57 Massive Ordnance Penetrator (MOP) बम 18 मीटर कंक्रीट या 61 मीटर मिट्टी में घुस सकता है।
- पहली बार इन बमों का युद्ध में इस्तेमाल किया गया।
- इन बमों को सिर्फ अमेरिका ही बना और इस्तेमाल कर सकता है।
🛰️ सैटेलाइट, डिकॉय और साइबर चकमा
- अमेरिका ने इस हमले को गोपनीय रखने के लिए डिकॉय मिशन भी चलाया।
- एक अन्य B-2 टीम को पश्चिम की ओर भेजा गया जिससे ध्यान भटकाया जा सके।
- अमेरिका के अनुसार, ईरानी एयर डिफेंस सक्रिय नहीं हुई और कोई प्रतिरोध नहीं दिखा।
🇮🇷 ईरान की प्रतिक्रिया और क्षति का आकलन
- ईरान ने हमले की पुष्टि की लेकिन नुकसान को कमतर बताया।
- फोर्दो और अन्य साइट्स पर वास्तविक क्षति का आकलन जारी है।
🔍 निष्कर्ष और सामरिक विश्लेषण
विषय | विवरण |
कुल हथियार प्रयुक्त | 75 प्रिसीजन गाइडेड वेपन्स |
विमान शामिल | 125 से अधिक अमेरिकी विमान |
अभियान अवधि | लगभग 25 मिनट में सभी टारगेट पर हमला |
अमेरिकी दावा | “ईरान के न्यूक्लियर इंफ्रास्ट्रक्चर का विध्वंस” |
विश्लेषकों की राय | “तकनीकी रूप से सफल, लेकिन रणनीतिक परिणाम अनिश्चित” |
यह ऑपरेशन न केवल अमेरिका की सैन्य क्षमताओं का परिचायक है बल्कि यह भी दर्शाता है कि आज के युग में युद्ध केवल हथियारों से नहीं, बल्कि गोपनीयता, रणनीति और तकनीकी दक्षता से भी लड़े जाते हैं। हालांकि, ईरान की न्यूक्लियर क्षमताओं पर इसका कितना प्रभाव पड़ा है, यह आने वाले हफ्तों में ही स्पष्ट होगा।