Tuesday, July 1, 2025
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इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को मिली अंतरिम ज़मानत: सांप्रदायिक वीडियो मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फ़ैसला

कोलकाता से शुरू हुई डिजिटल विवाद की एक नई कहानी

इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर और डिजिटल क्रिएटर शर्मिष्ठा पनोली एक बार फिर सुर्खियों में हैं। मामला सिर्फ़ एक वीडियो का नहीं था—बल्कि उसके पीछे छिपी भावनात्मक प्रतिक्रियाएं, सामाजिक तनाव और राजनीतिक समीकरणों का भी था। हाल ही में कलकत्ता हाईकोर्ट ने शर्मिष्ठा को उस विवादास्पद वीडियो मामले में अंतरिम ज़मानत प्रदान की है, जिसने देशभर में बहस छेड़ दी थी।

कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि शर्मिष्ठा ₹10,000 की जमानती राशि के साथ ज़मानत पा सकती हैं। साथ ही, उन्हें सुरक्षा भी प्रदान की जाएगी ताकि वे किसी तरह की धमकियों या उत्पीड़न का सामना न करें।

कौन हैं शर्मिष्ठा पनोली?

शर्मिष्ठा पनोली, सोशल मीडिया पर अपनी बेबाक राय और विचारों के लिए जानी जाती हैं। उनके वीडियो आमतौर पर सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर आधारित होते हैं। लेकिन इस बार उनका एक वीडियो इतना विवादास्पद हो गया कि मामला सीधा अदालत तक पहुँच गया।

क्या था वीडियो में?

मूल रूप से, शर्मिष्ठा ने एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें उन्होंने “ऑपरेशन सिंदूर” जैसे संवेदनशील विषय पर टिप्पणी करते हुए बॉलीवुड से उसकी चुप्पी पर सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि बॉलीवुड हस्तियाँ चुनिंदा मुद्दों पर ही बोलती हैं और जब हिंदू भावनाओं की बात आती है, तब वे चुप्पी साध लेते हैं।

वीडियो पोस्ट होते ही सोशल मीडिया पर बवाल मच गया। धमकियाँ, गाली-गलौच और ट्रोलिंग की बाढ़ आ गई। डर और दबाव के चलते शर्मिष्ठा ने 15 मई को वीडियो हटा दिया और सार्वजनिक रूप से माफ़ी भी माँगी।

लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। कोलकाता पुलिस ने उनके खिलाफ FIR दर्ज कर दी थी।

कैसे हुई गिरफ़्तारी?

पुलिस का दावा है कि शर्मिष्ठा और उनके परिवार को कई बार कानूनी नोटिस भेजने की कोशिश की गई, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसके बाद हरियाणा के गुरुग्राम से उन्हें गिरफ़्तार किया गया और कोलकाता की अलीपुर अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

अब नया मोड़: वजहात ख़ान क़ादरी पर भी एफआईआर

इस केस का दूसरा बड़ा चेहरा वजहात ख़ान क़ादरी हैं—जिनकी शिकायत पर शर्मिष्ठा को गिरफ़्तार किया गया था। लेकिन अब वही वजहात खुद कानूनी घेरे में आ गए हैं।

कोलकाता पुलिस ने उनके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि उन्होंने सोशल मीडिया पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली सामग्री साझा की, जो कि सांप्रदायिक नफरत फैलाने के उद्देश्य से पोस्ट की गई थी।

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, क़ादरी इस समय फ़रार हैं और उनके खिलाफ मुंबई और असम सहित देश के कई हिस्सों में नफरत फैलाने वाले भाषणों को लेकर शिकायतें दर्ज की गई हैं।

क़ादरी के खिलाफ दर्ज शिकायतें

श्रीराम स्वाभिमान परिषद ने क़ादरी के खिलाफ कोलकाता के गार्डन रीच पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है—यही वो थाना है, जहां से क़ादरी ने शर्मिष्ठा के खिलाफ शिकायत की थी।

हालांकि, क़ादरी के परिवार का दावा है कि वह निर्दोष हैं और हमेशा से धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के समर्थक रहे हैं।

सोशल मीडिया, विचारों की अभिव्यक्ति और कानूनी सीमाएं

इस पूरे मामले ने एक अहम बहस को जन्म दिया है—सोशल मीडिया पर विचार व्यक्त करने की आज़ादी बनाम धार्मिक और सामाजिक जिम्मेदारी। जहां एक ओर लोग अपनी बात कहने का अधिकार मांगते हैं, वहीं दूसरी ओर यह भी आवश्यक हो जाता है कि उनकी बात किसी समुदाय को ठेस न पहुँचाए

शर्मिष्ठा के समर्थन में भी आवाज़ें उठी हैं, जो मानते हैं कि उनका इरादा नफरत फैलाने का नहीं, बल्कि मौलिक अधिकारों के तहत सवाल पूछने का था।

निष्कर्ष: क्या यह मामला डिजिटल युग की एक नई मिसाल बनेगा?

शर्मिष्ठा पनोली को मिली अंतरिम ज़मानत फिलहाल उन्हें राहत जरूर देती है, लेकिन यह मामला आने वाले दिनों में कई कानूनी और सामाजिक सवालों को जन्म दे सकता है।

वहीं वजहात ख़ान क़ादरी पर दर्ज नए मुक़दमे यह दिखाते हैं कि अब सिर्फ आरोप लगाने वाले ही नहीं, बल्कि हर व्यक्ति की गतिविधियों की निष्पक्ष जांच की जा रही है।

यह प्रकरण केवल एक केस नहीं, बल्कि सोशल मीडिया के युग में अभिव्यक्ति, कानून और धर्म के संतुलन का उदाहरण बन गया है।

ABHISHEK KUMAR ABHAY
ABHISHEK KUMAR ABHAY
I’m Abhishek Kumar Abhay, a dedicated writer specializing in entertainment, national news, and global issues, with a keen focus on international relations and economic trends. Through my in-depth articles, I provide readers with sharp insights and current developments, delivering clarity and perspective on today’s most pressing topics.
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