Tuesday, July 1, 2025
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क्या है लकी गर्ल्स सिंड्रोम क्या सचमुच इससे बदलती है जिंदगी

रोज कुछ मैसेज नया होता है कुछ अच्छा होता है और कुछ बुरा भी होता है अभी इस समय मार्केट में एक नया ट्रेंड है लकी गर्ल्स सिंड्रोम जितना उसके विषय में जान रहे हैं उसके विषय में और जानने की इच्छा हो रही है। लकी गर्ल्स सिंड्रोम के विषय में सुनकर तो लग रहा है कि अच्छा ही होगा आइए जानते हैं क्या है लकी गर्ल्स सिंड्रोम 

क्या है लकी गर्ल्स सिंड्रोम 

लकी गर्ल्स सिंड्रोम एक निरंतर चलने वाला अभ्यास है जिसमें आपको खुद से बातें करते हुए स्वयं के लिए सकारात्मक बोलना होता है।आपको शीशे के सामने खड़ा होकर कहना होता है, मैं बहुत भाग्यशाली हूं मेरे लिए सब कुछ ठीक हो जाता है। और जब आप लगातार इसे दोहराते हैं तो फिर सच में यह सच होने लगता है वैज्ञानिक दृष्टि कोण से देखा जाए तो फिर इसमें आकर्षण का सिद्धांत काम करता है।

आकर्षण का सिद्धांत वह सिद्धांत होता है जिसमें सोच रहे हैं वैसा ही हो जाता है। फिर अगर हम सकारात्मक सोचते हैं तो परिणाम भी सकारात्मक होते हैं और अगर हम नकारात्मक सोचना शुरू करते हैं तो परिणाम भी नकारात्मक होने लगते हैं। इसे एक उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है जब आप देर से सो कर उठते हैं और आपको लगता है कि आपका दिन बेकार गुजर रहा है तब देखेंगे कुछ समय बाद हर जगह मुश्किलें आनी शुरू हो जाएंगे

पर अगर आप देर से उठने के बाद भी अपने मन को सकारात्मक समझ के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं। देर से उठने को गिल्ट के साथ ना करके एक रिलैक्सेशन थेरेपी के साथ करते हैं तो आप देखेंगे कि आपका पूरा दिन खुशियों से भरा बीतेगा यही सिद्धांत है लकी गर्ल्स सिड्रोम काहमारा सबकॉन्शियस माइंड इस बात को सच मानने लगता है। यूनिवर्स हमारी सोच को सपोर्ट करता है फ़िर चाहे वह सोच सकारात्मक हो या नकारात्मक

क्या कहना है लकी गर्ल्स सिंड्रोम आजमाने वाले लोगों का

मैं बहुत भाग्यशाली हूं मेरे लिए सब कुछ ठीक हो जाता है  लकी गर्ल्स सिंड्रोम आजमाने वाले लोगों का कहना है कि उन्होंने इस शक्तिशाली वाक्य को बोला है और उनके लिए सब कुछ ठीक हो गया है इस शक्तिशाली वाक्य ने उन्हें सच में सबसे भाग्यशाली बना दिया है उन्हें रोज नए अवसर मिल रहे हैं अपनी दिनचर्या से लेकर जीवन के बड़े कदमों में भी उन्हें रोज नए अवसर मिल रहे हैं।

 द लकी गर्ल्स सिड्रोम की अवधारणा है अपने सब कॉन्शियस माइंड को सकारात्मक संकेत देना

 यह अवधारणा आज से ही प्रचलित नहीं है काफी सालों पहले से ही आपके सबकॉन्शियस माइंड को स्ट्रांग बनाने के लिए प्रयोग किए जा रहे हैं। द पावर आफ सबकॉन्शियस माइंड और द मैजिक बुक नाम से आपके सबकॉन्शियस माइंड पर कई किताबें लिखी गई है। दशकों पहले से ही इस विषय में सोचा गया था लेकिन आज हम इसे एक नए रूप में जान रहे हैं। 

लकी गर्ल्स सिड्रोम के बारे में एक लेखिकानेविल गोडार्डने अपनी बुक लॉ ऑफ़ अजम्पशन इस एसेंशियल लेसन में क्या लिखा है

 लॉ ऑफ़ अजम्पशन इस एसेंशियल लेसन में लेखिका लिखती है कि हम जो भी सच मानते हैं वह आखिरकार सच हो ही जाता है चाहे वह अच्छा हो या बुरा। इस धारणा का नियम हमारी सोचने समझने की शक्ति पर हमारी कल्पना पर निर्भर करता है कि अगर हम जो सोच रहे है, वह सच में वास्तविकता में हो सकता है। फिर चाहे वह अच्छा हो या बुरा 

क्या लकी गर्ल्स सिंड्रोम सच में है अच्छा या है यह एक भ्रम ?

लकी गर्ल्स सिंड्रोम एक अवधारणा है यह हमारी सोच को सकारात्मक करने पर बल देती है। इस सोच को सकारात्मक करने के लिए हमें मन से बहुत स्ट्रांग होने की आवश्यकता है सिर्फ बोलने से आई एम द लक्की गर्ल काम नहीं चलने वाला आपको महसूस भी करना है कि आप एक भाग्यशाली इंसान है। ऐसे महसूस करने के लिए आवश्यक है कि आप ऐसा करें जिससे आप खुद को भाग्यशाली महसूस करें।

फिर चाहे वह दूसरों की मदद करना हो या फिर चाहे हर काम को समय और नयी ऊर्जा के साथ करना जब आप सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ किसी काम को करेंगे तो आप सकारात्मक महसूस भी करेंगे और फिर आपकी यह सोच सच में भी परिवर्तित होगी। 

 

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