नई दिल्ली:
केंद्र सरकार ने सोमवार को पेट्रोल और डीज़ल पर उत्पाद शुल्क (Excise Duty) में ₹2 प्रति लीटर की बढ़ोतरी की घोषणा की, जो 8 अप्रैल 2025 से लागू होगी। हालांकि, आम उपभोक्ताओं के लिए राहत की बात यह है कि खुदरा कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
सरकारी आदेश के मुताबिक, पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी अब बढ़कर ₹13 प्रति लीटर और डीज़ल पर ₹10 प्रति लीटर हो गई है। लेकिन खुदरा मूल्य में कोई इजाफा नहीं किया जाएगा, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के चलते खुदरा दरों में जो कमी अपेक्षित थी, उसकी भरपाई इसी ड्यूटी वृद्धि से की जाएगी।
अंतरराष्ट्रीय तेल बाज़ार में गिरावट
अमेरिका और चीन के बीच तेज़ होती व्यापारिक तनातनी के चलते वैश्विक मंदी की आशंका ने अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों को अप्रैल 2021 के बाद सबसे निचले स्तर पर ला दिया है।
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ब्रेंट क्रूड की कीमतें सोमवार को $2.43 या 3.7% गिरकर $63.15 प्रति बैरल पर पहुंचीं।
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वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) क्रूड $2.42 या 3.9% गिरकर $59.57 प्रति बैरल पर आ गया।
भारत अपनी तेल ज़रूरतों का लगभग 85% आयात पर निर्भर करता है, इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में उतार-चढ़ाव का सीधा असर देश के ऊर्जा मूल्य पर पड़ता है।
PSU Oil Marketing Companies have informed that there will be no increase in retail prices of #Petrol and #Diesel, subsequent to the increase effected in Excise Duty Rates today.#MoPNG
— Ministry of Petroleum and Natural Gas #MoPNG (@PetroleumMin) April 7, 2025
तेल मंत्रालय का बयान
तेल मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर जानकारी दी कि, “PSU ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने बताया है कि एक्साइज ड्यूटी बढ़ाए जाने के बावजूद पेट्रोल और डीज़ल के खुदरा मूल्य में कोई इज़ाफा नहीं होगा।”
मोदी सरकार की टैक्स नीति का इतिहास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने 11 वर्षों के शासनकाल में अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की गिरती कीमतों का लाभ उठाते हुए कई बार उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी की है।
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नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच पेट्रोल और डीज़ल पर एक्साइज ड्यूटी को 9 बार बढ़ाया गया।
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इस अवधि में पेट्रोल पर कुल ₹11.77 और डीज़ल पर ₹13.47 प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई, जिससे सरकार का एक्साइज कलेक्शन ₹99,000 करोड़ (2014-15) से बढ़कर ₹2,42,000 करोड़ (2016-17) तक पहुंच गया।
टैक्स कटौती और बढ़ोतरी का चक्र
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अक्टूबर 2017 में एक्साइज ड्यूटी ₹2 प्रति लीटर कम की गई।
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2018 में ₹1.50 की कटौती हुई, लेकिन जुलाई 2019 में फिर ₹2 की बढ़ोतरी कर दी गई।
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मार्च 2020 में ₹3 प्रति लीटर और उसके बाद मई 2020 तक कुल ₹13 (पेट्रोल) और ₹16 (डीज़ल) की भारी वृद्धि की गई।
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बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दामों के चलते बाद के वर्षों में इन बढ़ोतरी को आंशिक रूप से वापस लिया गया, जिससे पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें क्रमशः ₹105.41 और ₹96.67 के रिकॉर्ड स्तर से नीचे आईं।
चुनाव से पहले राहत
पिछले साल आम चुनाव की घोषणा से ठीक पहले, सरकार ने पेट्रोल और डीज़ल पर ₹2 प्रति लीटर की कटौती की थी। फिलहाल दिल्ली में पेट्रोल ₹94.77 प्रति लीटर और डीज़ल ₹87.67 प्रति लीटर के स्तर पर बिक रहा है।
निष्कर्ष
सरकार की इस नीति का उद्देश्य उपभोक्ताओं को मूल्य स्थिरता देना है, जबकि राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखना भी एक प्रमुख कारण है। भले ही उत्पाद शुल्क में वृद्धि की गई है, लेकिन फिलहाल आम जनता को खुदरा दरों में कोई बोझ उठाना नहीं पड़ेगा।