Tuesday, April 1, 2025
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मौसम बदलते ही बड़ा डेंगू बुखार का प्रकोप : जानें लक्षण और बचाव के उपाय

मौसम बदल गया है और गर्मी आने को ही है ऐसे में गर्मियों के आते ही मक्खी और मच्छरों का मौसम भी शुरू होने वाला है रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र सीडीसी ने डेंगू बुखार के बढ़ने की चेतावनी भी दे डाली है। अभी तो यह चेतावनी अमेरिका में दी गई है लेकिन हम सभी को अब मच्छरों से सावधान रहने की आवश्यकता है तो आईए जानते हैं डेंगू मच्छर से बचने के उपाय और क्या है डेंगू?

क्या है डेंगू बुखार

डेंगू बुखार एक वायरस संक्रमण है जो कि संक्रमित मच्छरों के काटने से होता है। यह बुखार एडीज इजिप्टी मच्छर के कारण होता है। यह मच्छर दिन और रात दोनों समय काट सकता है

डेंगू बुखार के लक्षण

डेंगू बुखार के लक्षण में शामिल है रोगी को बुखार होना, उसके शरीर में दर्द रहना, हड्डियों में दर्द होना, मांसपेशियों में दर्द होना। डेंगू बुखार के लक्षणों में रोगी अपनी आंखों के पीछे भी दर्द बताते हैं। रोगी को उल्टी, मतली और दस्त की भी समस्या हो सकती है। रोगी के पेट में तेज दर्द हो सकता है। उसे लगातार उल्टी रह सकती है व्यक्ति के मसूड़े या नाक से खून आ सकता है। चोट के निशान की तरह लगने वाला त्वचा के नीचे खून आ सकता है। है व्यक्ति को थकान रह सकती है रोगी हमेशा चिड़चिड़ा महसूस करता है। उसे बेचैनी बनी रहती है वह तेज गति से सांस लेता है या उसे सांस लेने में कठिनाई का भी अनुभव हो सकता है।

डेंगू का क्या है इलाज

डेंगू का इलाज अभी तक खोज नहीं जा चुका है डेंगू बुखार के लिए अभी तो कोई एंटीवायरस टीका या कोई दवाई बन ही नहीं पाई है डॉक्टर डेंगू का इलाज करने के लिए बुखार को कम करने का प्रयास करते हैं वह दवाई देकर बुखार का तापमान काम करते हैं डॉक्टर का कहना है कि डेंगू के मरीजों को अधिक तरल पदार्थ लेना चाहिए। और कुछ थोड़ा बहुत खाते रहना चाहिए शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए और अगर आराम ना मिले तो जल्दी से जल्दी अस्पताल में भर्ती होना चाहिए।

वैक्सीन को कर लिया गया है स्वीकार

अभी तक डेंगू का कोई स्थाई इलाज नहीं है फिर भी एक वैक्सीन बनाई गई है और यह 9 साल से 16 वर्ष के बच्चों के लिए स्वीकार कर ली गई है लेकिन अमेरिका में अभी वैक्सीन को स्वीकृति नहीं मिली है डॉक्टर का कहना है कि आप इसे अच्छे लोगों को देते हैं जिनमें पहले से डेंगू संक्रमण के प्रति रक्षात्मक सबूत मौजूद है और फिर आप उन्हें दवा देते हैं ताकि उन्हें दोबारा संक्रमित होने से बचाया जा सके।

इन उपाय के द्वारा आप डेंगू से बच सकते हैं

मच्छरों से कटने से बचने के लिए घर में बगीचे में या ऐसी किसी भी जगह जहां मच्छर हो सकते हैं वहां पर डीडीटी, या लेमन यूकेलिप्टस के तेल के साथ बग स्प्रे मिलाकर स्प्रे करें।

डेंगू का मच्छर स्थिर पानी में पनपता है इसीलिए स्थिर पानी को हटा दे क्योंकि मच्छर स्थिर पानी में ही अंडे देते हैं।

कूलर, गमले की प्लेट ऐसी जगह जहां पानी इकट्ठा हो सकता है वहां से उसे हटा दे।

खिड़कियों की जालियां हमेशा लगा कर रखें। दरवाजे पर हमेशा जाली लगाये जिससे कि मच्छर घर के अंदर प्रवेश न कर सके

पूरी बाहों के कपड़े पहने। आपकी टांगे भी पूरी ढकी होनी चाहिए। पूरी बाहों की शर्ट, कुर्ता और पैंट या सलवार पहने।

लेडीज इजिप्ट मच्छर केवल डेंगू बुखार के लिए ही नहीं बल्कि प्लीज चिकन गुनिया और जीका जैसे बुखार के लिए भी जिम्मेदार है।

डेंगू मच्छर कहां पाया जाता है

डेंगू मच्छर का वायरस उष्णकटिबंधीय प्रदेशों और अर्ध कटिबंधीय प्रदेशों में पाया जाता है। डेंगू वायरस के चार अलग-अलग जीरो टाइप है इस मच्छर के द्वारा काटने पर वायरस ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश करता है और जिसके कारण डेंगू फैलता है।

डेंगू कैसे फैलता है

जब डेंगू वायरस मच्छर के शरीर में प्रवेश करता है तो यह इसके शरीर में वृद्धि करता है और इसके अन्य टिशूज में फैल जाता है। यह वाइरस मच्छर की थकाने वाली ग्रंथियां में भी फैल जाता है इस समय और इस प्रक्रिया को एक्सट्रैक्ट इनक्यूबेशन पीरियड कहते हैं। इस प्रक्रिया में वायरस को फैमिली में 8 से 12 दिन लग जाते हैं। इस वायरस का फैलना उस जगह के तापमान, वायरस के प्रकार और वायरस के एक्स्ट्रा क्वेश्चन पीरियड की अवधि पर निर्भर करता है। एक बार मच्छर संक्रमित हो जाता है तो यह अपने पूरे जीवन भर वायरस को फैलाता रहता है।

मनुष्य से मच्छरों को संक्रमण

ऐसा नहीं है कि सिर्फ इंसानों को ही मच्छर काटते हैं अगर संक्रमित मनुष्य को किसी मच्छर ने काट लिया तो वह मच्छर भी संक्रमित हो जाता है।

ऐसे संक्रमित व्यक्ति बुखार होने के 2 दिन पहले और बुखार होने के 2 दिन बाद भी मच्छर को संक्रमित कर सकते हैं। जिस व्यक्ति को तीव्र बुखार होता है उसी व्यक्ति के द्वारा मच्छर के संक्रमित होने की संभावना भी बढ़ जाती है। विशिष्ट एंटीबॉडी वाले व्यक्तियों में वायरस के मच्छर तक पहुंचाने की संभावना कम होती है।

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