Wednesday, March 12, 2025
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सऊदी अरब में वार्ता से पहले ही अमेरिकी राजनयिक रबियो ने यूक्रेन को दे डाली समझाइश कि कुछ क्षेत्र छोड़ना पड़ेगा

रूस और यूक्रेन को लेकर पूरा विश्व इस समय असमंजस की स्थिति में है। अमेरिका और यूक्रेन की वार्ता का कोई सकारात्मक परिणाम न निकलने के कारण स्थितियां और उलझती हुई प्रतीत हो रही है। ऐसे में यूक्रेन के राष्ट्रपति सऊदी अरब में अमेरिका से वार्ता करने के लिए पहुंच रहे हैं। स्थितियां किस तरफ इंगित कर रही है आईए जानते हैं अभी तक की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए।

क्या सच में रूस यूक्रेन के साथ शांति वार्ता करना चाहता है?

अमेरिका और यूक्रेन के बीच वार्ता विफल हो गई है। इसके बाद अमेरिका ने यूक्रेन को सहायता देना बंद कर दिया है। साथ ही साथ अमेरिका ने यूक्रेन को दिए जाने वाली सूचनाओं को भी देने से मना कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ रूस ने यूक्रेन पर हमले करना जारी रखा है। अभी हाल ही में रूस ने यूक्रेन पर बमबारी की है। ऐसे में यह यक्ष प्रश्न है क्या सच में रूस यूक्रेन के साथ शांति वार्ता करना चाहता है? वही अमेरिका के शीर्ष राजनायिक ने वार्ता होने से पहले ही कह दिया है कि यूक्रेन को अपना कुछ हिस्सा छोड़ना होगा जाहिर है किसके लिए रूस के लिए ही तो।

अमेरिका है किसके साथ?

अमेरिका के राष्ट्रपति का कहना है कि अमेरिका यूक्रेन से अमेरिकी सैन्य समर्थन इसलिए वापस ले रहे हैं ताकि यूक्रेन उनके अनुसार काम करने के लिए बाध्य हो जाए। यूक्रेन के राष्ट्रपति खनिज सौदे पर हस्ताक्षर करने के साथ-साथ त्वरित युद्ध विराम के लिए भी तैयार हो जायें।वही डोनॉल्ड ट्रंप के डेमोक्रेटिक विरोधियों का कहना है कि अब डोनाल्ड ट्रंप रूस के साथ है।

क्या अमेरिका ने दिखाया है रूस को भी आक्रामक रुख ?

अमेरिका के रूस और यूक्रेन के बीच में पड़ने और बार-बार शांति वार्ता का पक्षधर होने पर भी जब रूस ने यूक्रेन पर बमबारी की है तो ऐसे में अमेरिका ने रूस को भी कड़ी चेतावनी दे दी है। अमेरिका रूस पर पहले ही काफी समय से कड़े टैरिफ लगा रहा है लेकिन अब अमेरिका ने रूस से कहा है कि अगर वह युद्ध विराम के लिए तैयार नहीं होता तो उसे और टैरिफ झेलने के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए।

क्या चाहता है यूक्रेन?

यूक्रेन अब लगातार चल रहे इस युद्ध से शांति चाहता है। पहले उसे लगता था कि अमेरिका उसके साथ है, यूरोप के अन्य देश भी उसके साथ हैं तो वह रूस के साथ लड़ सकता है लेकिन अब जब से अमेरिका ने उसे शर्तों और नियमों में बांधा है तब से यूक्रेन थक गया है। अमेरिका का साथ छोड़कर उसे पता है कि वह चल ही नहीं सकता इसीलिए अभी भी वह शांति वार्ता के लिए अमेरिका की ही आस लगाए बैठा है। यूक्रेन सऊदी अरब में इसीलिए जा रहा है ताकि रूस, अमेरिका दोनों से वह किसी दूसरे देश में जाकर ही सही शांति वार्ता तो कर सके।

रूस क्या चाहता है?

रूस को अभी तक यही लग रहा था कि यूक्रेन के साथ सारे यूरोपीय देश है, अमेरिका है तो वह शांति वार्ता करने के लिए भी उत्सुक था।अब जबकि उसे पता चल चुका है कि अमेरिका ने यूक्रेन को साथ देने से इंकार तो नहीं किया है पर ऐसे नियम और प्रतिबंधों में बांध दिया है जिसमें बध कर यूक्रेन का अपना कोई अस्तित्व ही नहीं रहेगा। ऐसे में रूस को लगता है कि वह यूक्रेन पर बमबारी कर उसे डराकर किसी भी तरह उसके ज्यादा से ज्यादा क्षेत्र पर कब्जा कर ले। अमेरिकी राजनायिक ने अभी यूक्रेन को समझाते हुए एक टिप्पणी दी थी कि यूक्रेन को अपने कुछ क्षेत्रों से कब्जा हटना होगा। इसका सीधा-साधा अर्थ यही है कि दूसरे देश भी अब यही सोचते हैं की रूस को यूक्रेन के कुछ हिस्से मिल ही जाने चाहिए। ऐसे में अब तो यही लगता है कि रूस यूक्रेन पर हमला करने की आक्रामक नीति अपनाकर यूक्रेन के अधिक से अधिक हिस्से पर अपना कब्जा जमाना चाहता है।

सारांश

इन सभी बिंदुओं पर नजर डालते हुए लगता है कि शायद यूक्रेन को नुकसान उठाना ही होगा। अब सारे यूरोपीय देश और अमेरिका भी इसी कोशिश में है कि यह नुकसान कम से कम हो और दोनों देशों की भलाई के लिए रूस और यूक्रेन में शांति बहाल हो जाए। अब अब परिणाम तो भविष्य के गर्भ में ही है कि आने वाले कल में सऊदी अरब में रूस, यूक्रेन, अमेरिका और अन्य देशों के राजनायिक मिलने वाले हैं तो इनके परिणाम क्या होते हैं?

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