Monday, March 10, 2025
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होली 2025: होली कब है, 13 या 14 मार्च जानें सही तारीख, होलिका दहन का समय, पूर्णिमा तिथि और बहुत कुछ

आज अम्ल की एकादशी है और आज से होली में सिर्फ चार दिन पर रह जाते हैं रंगों का त्योहार होली अपनी दस्तक दे चुका है पर हम सभी के मन में खलबली है की होली कब है 13 मार्च को या 14 मार्च को आईए जानते हैं की दिन हम होली मनाएंगे होलिका दहन का समय क्या होगा और कैसे होली मनाई आईए जानते हैं

क्या कहते हैं हमारे विद्वान कब मनाएं होली

होलिका दहन के दिन को छोटी होली के नाम से जानते हैं। पूर्णिमा के दिन होली जलाई जाती है और उसके अगले दिन यानी की प्रथमा के दिन होली खेली जाती है। इस साल पंडितों और ज्योतिष शास्त्र की माने तो होलिका दहन पर भद्रा का साया है जिसके कारण शुभ मुहूर्त को लेकर लोगों में असमंजस है। इसीलिए होलिका दहन 13 मार्च 2025 को शुभ मुहूर्त में किया जाएगा और रंगों का त्योहार 14 मार्च 2025 को मनाया जाएगा।

13 मार्च के दिन पूर्णिमा रहेगी कब तक?

पूर्णिमा 13 मार्च 2025 को सुबह 10:35 से 14 मार्च 2025 की दोपहर 12:00 तक रहेगी 13 मार्च को सुबह और रात में दोनों समय पूर्णिमा होने के कारण होलिका दहन 13 मार्च को ही किया जाएगा। होलिका वाले दिन सुबह 10:35 से रात 11:29 तक भद्रा रहने वाली है ऐसे में होलिका दहन कब होगा आइए जाने इससे पहले होली पूजन का शुभ मुहूर्त क्या है यह भी जानते हैं क्योंकि होली के दिन होली जलने से पहले उसकी पूजा की जाती है होली पूजन राहुकाल में नहीं होता इसलिए आए जानते हैं होली पूजन का शुभ मुहूर्त क्या होगा।

होली पूजन का शुभ मुहूर्त क्या होगा?

होली पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 10:35 से शुरू होगा और यह 1:30 बजे तक रहेगा क्योंकि 13 मार्च को 1:30 से दोपहर 3:00 बजे तक राहुकाल रहेगा। ऐसे में होली पूजन सुबह 10:00 से कर लें या फिर दोपहर 1:30 बजे से पहले कर लें।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

होलिका दहन प्रदोष काल में अत्यंत शुभ माना जाता है लेकिन 13 मार्च को रात 11:29 तक भद्रा रहेगी ऐसे में भद्रा काल में होलिका दहन नहीं होगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च को रात 11:29 पर भद्र समाप्त होने के बाद हो सकता है। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात्रि 11:30 से रात 1:04 तक रहेगा।

पूर्णिमा के व्रत में चंद्रमा को कब दे अर्धंय

कुछ लोग पूर्णिमा कुमार का व्रत भी रखते हैं तो ऐसे में पूर्णिमा का व्रत रखने पर चंद्रमा को अर्जी भी दिया जाता है और फागण पूर्णिमा तो बहुत शुभ मानी जाती है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा होती है। भगवान चंद्रमा को अर्घ्य भद्रा समाप्त होने के बाद ही दे दे। गंगाजल में कच्चा दूध मिलाकर चंद्रमा को आरती देना चाहिए पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से मानसिक शांति और स्थिरता बनी रहती है।

भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा के लिए करें लक्ष्मी नारायण की कैसे करें पूजा

फागुन पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी की पूजा करें। फागुन पूर्णिमा के दिन विष्णु भगवान की पूजा करें तो उन्हें पीले रंग के फल और फूल भगवान को चढ़ाए। लक्ष्मी माता को गुलाबी रंग, लाल रंग बहुत पसंद है इसलिए मां लक्ष्मी का श्रृंगार लाल रंग के वस्त्र,फल और फूलों से करें ।भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के नाम का जाप करें। ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान कर सके तो अवश्य करें नहीं तो गंगाजल में जल मिलाकर घर में स्नान करें।

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