Sunday, March 9, 2025
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एमके स्टालिन बनाम अमित शाह: हिंदी थोपने के आरोप और जवाबी हमले

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बीच एक बार फिर हिंदी भाषा को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। स्टालिन ने केंद्र सरकार पर गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर जबरन हिंदी थोपने का आरोप लगाया, जिसके जवाब में अमित शाह ने तमिल भाषा में मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम शुरू करने की चुनौती दी।

अमित शाह का पलटवार

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। उन्होंने कहा कि अब तक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की भर्ती परीक्षाओं में मातृभाषा को कोई स्थान नहीं दिया जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने इस परीक्षा को संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध सभी भाषाओं में उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया, जिसमें तमिल भी शामिल है।

अमित शाह ने स्टालिन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि तमिलनाडु सरकार को जल्द से जल्द मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों को तमिल भाषा में शुरू करना चाहिए, ताकि राज्य के छात्रों को लाभ मिल सके।

स्टालिन के आरोप

मुख्यमंत्री स्टालिन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत हिंदी को अनिवार्य बनाने के कथित प्रयासों की कड़ी निंदा की। उन्होंने केंद्र सरकार पर तमिलनाडु की भाषाई पहचान को खत्म करने का आरोप लगाया। स्टालिन ने कहा कि यह लड़ाई सिर्फ तमिलनाडु की नहीं, बल्कि पूरे देश के गैर-हिंदी भाषी राज्यों की अस्मिता का सवाल है।

स्टालिन ने अपने बयान में कहा, “पेड़ शांति चाहता है, लेकिन हवा उसे झकझोर देती है। केंद्र सरकार की हिंदी थोपने की नीतियां हमें संघर्ष के लिए मजबूर कर रही हैं। यह ऐसा है जैसे कोई एलकेजी (LKG) का छात्र पीएचडी धारक को उपदेश दे रहा हो। द्रविड़ संस्कृति दिल्ली से निर्देश नहीं लेती, बल्कि देश को दिशा दिखाती है।”

भाजपा की प्रतिक्रिया

तमिलनाडु भाजपा प्रमुख के. अन्नामलाई ने स्टालिन पर हिंदी थोपने के नाम पर झूठा नाटक करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा द्वारा शुरू किए गए ऑनलाइन हस्ताक्षर अभियान को 36 घंटों में दो लाख से अधिक लोगों का समर्थन मिल चुका है, और यह संख्या लगातार बढ़ रही है।

भाजपा ने स्टालिन के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) किसी भी भाषा को अनिवार्य नहीं बनाती, बल्कि यह छात्रों को अतिरिक्त भाषाएं सीखने का अवसर प्रदान करती है। भाजपा का तर्क है कि तीन-भाषा फॉर्मूला देशभर में यात्रा करने वाले लोगों के लिए फायदेमंद होगा, जबकि डीएमके (DMK) सरकार इसे एक राजनीतिक मुद्दा बना रही है।

तमिलनाडु की ऐतिहासिक लड़ाई

स्टालिन ने अपने बयान में ऐतिहासिक उदाहरण देते हुए कहा कि तमिलनाडु ने हमेशा हिंदी थोपने के प्रयासों का विरोध किया है और आगे भी करेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि जो भी तमिलनाडु पर हिंदी थोपने की कोशिश करेगा, उसे हार का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार योजनाओं, पुरस्कारों और सरकारी संस्थानों के नाम तक में हिंदी भाषा को थोप रही है, जिससे गैर-हिंदी भाषी नागरिकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

स्टालिन ने अपने बयान में कहा, “इतिहास गवाह है कि जो भी तमिलनाडु पर हिंदी थोपने की कोशिश करता है, वह या तो पराजित होता है या बाद में डीएमके के साथ जुड़ जाता है। तमिलनाडु ब्रिटिश उपनिवेशवाद को हिंदी उपनिवेशवाद से बदलने की अनुमति नहीं देगा।”

निष्कर्ष

तमिलनाडु में हिंदी बनाम क्षेत्रीय भाषा का मुद्दा लगातार तूल पकड़ता जा रहा है। डीएमके का मानना है कि राज्य की मौजूदा दो-भाषा नीति पर्याप्त है, जबकि भाजपा का तर्क है कि तीन-भाषा नीति भविष्य में तमिलनाडु के युवाओं के लिए लाभदायक होगी। स्टालिन की चुनौती और अमित शाह का पलटवार यह दर्शाते हैं कि यह मुद्दा आने वाले चुनावों में भी अहम भूमिका निभा सकता है।

ABHISHEK KUMAR ABHAY
ABHISHEK KUMAR ABHAY
I’m Abhishek Kumar Abhay, a dedicated writer specializing in entertainment, national news, and global issues, with a keen focus on international relations and economic trends. Through my in-depth articles, I provide readers with sharp insights and current developments, delivering clarity and perspective on today’s most pressing topics.
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