Tuesday, March 4, 2025
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सर्बियाई की संसद में हंगामा, आंसू गैस और धुएं के बीच क्या छिपा है बड़ा राज

विरोधी नेताओं और सुरक्षा बलों में झड़प, राजनीतिक तनाव चरम पर

मंगलवार को सर्बियाई संसद में भारी हंगामा हुआ जब विपक्षी सांसदों ने सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध जताते हुए आंसू गैस और धुआं बम फेंक दिए। यह नाटकीय घटनाक्रम छात्र प्रदर्शनकारियों के समर्थन में और सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शित करने के लिए किया गया।

जनता का गुस्सा बढ़ा, प्रदर्शन हुए तेज़

यह विरोध प्रदर्शन चार महीने पहले एक रेलवे स्टेशन की छत गिरने से हुई 15 लोगों की मौत के बाद शुरू हुए थे। प्रारंभिक विरोध अब सरकार के खिलाफ एक बड़े राजनीतिक संकट में बदल चुका है। छात्र दिसंबर से विश्वविद्यालयों को अवरुद्ध कर रहे हैं और उच्च शिक्षा के लिए अधिक धनराशि एवं जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।

सांसदों ने स्पीकर के मंच पर किया कब्जा

संसद में तब तनाव चरम पर पहुंच गया जब सत्तारूढ़ सर्बियन प्रोग्रेसिव पार्टी (SNS) गठबंधन ने दिन के एजेंडे को मंजूरी दी। इसके विरोध में विपक्षी सांसद अपनी सीटों से उठकर स्पीकर की ओर बढ़े और सुरक्षा बलों से भिड़ गए। स्थिति और गंभीर तब हो गई जब कुछ सांसदों ने संसद भवन के भीतर आंसू गैस और धुआं बम फेंक दिए।

संसद में धुएं का गुबार

लाइव टेलीविजन प्रसारण में संसद भवन के अंदर काले और गुलाबी धुएं के दृश्य कैद हुए। स्पीकर अना ब्रनाबिच ने जानकारी दी कि इस घटना में दो सांसद घायल हो गए। इनमें सत्तारूढ़ SNS पार्टी की सांसद जैस्मिना ओब्राडोविच को स्ट्रोक आया, जिसके चलते उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है। ब्रनाबिच ने सख्त लहजे में कहा, “संसद का काम जारी रहेगा और सर्बिया की रक्षा की जाएगी

प्रमुख विधेयकों पर मतदान के बीच राजनीतिक उथल-पुथल

अराजकता के बावजूद, संसद विश्वविद्यालयों के लिए धन बढ़ाने से संबंधित एक महत्वपूर्ण विधेयक पर मतदान करने जा रही थी, जो कि छात्र आंदोलनकारियों की प्रमुख मांगों में से एक थी। साथ ही, प्रधानमंत्री मिलोस वुसेविच के इस्तीफे की स्वीकृति भी एजेंडे में शामिल थी। हालांकि, सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा एजेंडे में अन्य मुद्दों को जोड़ने से विपक्ष और अधिक भड़क गया, जिससे राजनीतिक संकट और गहरा गया।

अनिश्चित भविष्य, बढ़ता संकट

जैसे-जैसे सर्बिया सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज़ हो रहे हैं, सरकार पर जनता की मांगों को पूरा करने का दबाव बढ़ता जा रहा है। संसद में हुई हिंसा इस राजनीतिक अस्थिरता को और उजागर करती है, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह संकट जल्द खत्म होने वाला नहीं है।

 

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