अमेरिकी कंपनी ‘द रॉबिन्स’ के प्रोजेक्ट मैनेजर ने बाल-बाल बचाई जान
समय के खिलाफ दौड़ जारी है। भारत की नौ शीर्ष एजेंसियां, जो प्राकृतिक आपदाओं में बचाव अभियानों के लिए जानी जाती हैं, दिन-रात एक करके तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में श्रीसैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) टनल में फंसे आठ लोगों को बचाने की कोशिश कर रही हैं। इस टनल का एक हिस्सा 22 फरवरी 2025 (शनिवार) को ढह गया था।
तेलंगाना के सिंचाई मंत्री एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने सोमवार (24 फरवरी 2025) को द हिंदू को बताया, “भारतीय सेना, नौसेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF), राज्य आपदा मोचन बल (SDRF), राष्ट्रीय जलविद्युत अनुसंधान एजेंसी और अन्य संबंधित विभागों के अनुभवी विशेषज्ञों को मिलाकर एक संयुक्त कमान बनाई गई है, जो इस बचाव अभियान की निगरानी कर रही है।”
लगातार रणनीति बना रहे हैं विशेषज्ञ
शनिवार को हादसे की खबर मिलते ही मंत्री रेड्डी विभिन्न एजेंसियों के साथ समन्वय स्थापित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सभी वरिष्ठ विशेषज्ञ हर कुछ घंटों में बैठक कर स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं और सामने आ रही चुनौतियों से निपटने की रणनीति बना रहे हैं। सेना और नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर मौजूद हैं। इस आपदा प्रबंधन अभियान की निगरानी के लिए विशेष मुख्य सचिव (राजस्व – आपदा प्रबंधन) अरविंद कुमार को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।
हादसे के दिन 70 कर्मचारी टनल में थे मौजूद
शनिवार की सुबह, अमेरिकी कंपनी ‘द रॉबिन्स’ (जो विश्व की प्रसिद्ध टनल बोरिंग मशीनें बनाती है) के प्रोजेक्ट मैनेजर ग्लेन के नेतृत्व में 70 कर्मचारी टनल के अंदर काम कर रहे थे। मंत्री रेड्डी ने ग्लेन के हवाले से कहा,
“सुबह 8 बजे सभी कर्मचारी रोज की तरह टनल में घुसे। कुछ कर्मचारी आगे थे, जबकि बाकी पीछे। अचानक एक छोटा रिसाव दिखाई दिया। साइट इंजीनियरों ने इसे गंभीर नहीं माना, क्योंकि इतने बड़े प्रोजेक्ट में छोटे रिसाव सामान्य होते हैं और काम जारी रहता है।”
अचानक आया जलप्रलय, मची अफरातफरी
परिस्थितियां सामान्य लग रही थीं, लेकिन कुछ ही देर बाद जलधारा और मलबे का ऐसा तेज़ बहाव आया कि भारी-भरकम मशीनें पीछे की ओर धकेल दी गईं। कर्मचारी जान बचाने के लिए भागे, लेकिन आठ लोग उस जगह के बेहद करीब थे, जहां टनल धंस गई। वे समय रहते नहीं निकल पाए और वहीं फंस गए।
प्रोजेक्ट मैनेजर ग्लेन खुद किसी तरह भागकर अपनी जान बचाने में सफल रहे। प्रारंभिक आकलन में साइट इंजीनियरों ने इसे एक भूगर्भीय दोष (geological fault line) का परिणाम बताया है। उल्लेखनीय है कि यह प्रोजेक्ट पूर्ववर्ती भारत राष्ट्र समिति (BRS) सरकार के कार्यकाल में पांच वर्षों तक ठप पड़ा था। कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद ही काम दोबारा शुरू हुआ था।
2005 में हुआ था SLBC प्रोजेक्ट का समझौता
मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी के अनुसार, SLBC परियोजना की संकल्पना दिवंगत मुख्यमंत्री वाई.एस. राजशेखर रेड्डी के कार्यकाल में 2005 में की गई थी। उस समय परियोजना की लागत ₹4,600 करोड़ थी और यह टनल 44 किलोमीटर लंबी बनाई जा रही है, जिसमें से 35 किलोमीटर का कार्य पूरा हो चुका है।
दिलचस्प बात यह है कि यह टनल अमराबाद टाइगर रिजर्व के 400 मीटर नीचे बनाई जा रही है। पर्यावरणीय स्वीकृति तभी मिली थी, जब सरकार ने आश्वासन दिया कि यह टनल श्रीसैलम से देवरेकोंडा तक ‘एंड टू एंड’ खुलेगी।
चार लाख एकड़ भूमि को मिलेगा सिंचाई लाभ
यह परियोजना पूर्ण होने के बाद 30 TMCFT पानी की आपूर्ति करेगी, जिससे नलगोंडा और खम्मम जिलों में चार लाख एकड़ भूमि को सिंचाई का लाभ मिलेगा। यह दुनिया की सबसे लंबी सिंचाई टनल भी होगी।
बचाव अभियान: सफलता की उम्मीद
इस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना को मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी ने ‘असामान्य’ (freak accident) घटना करार दिया और कहा कि अभी यह निश्चित नहीं है कि बचाव अभियान कब तक पूरा होगा।
उन्होंने कहा, “संयुक्त बचाव दल पूरी क्षमता से काम कर रहा है। हम हरसंभव प्रयास कर रहे हैं कि यह हादसा एक सुखद अंत के साथ समाप्त हो।”