भारतीय शेयर बाजार में 20 फरवरी को गिरावट का माहौल रहा। निवेशकों की धारणा पर कमज़ोर कमाई, ऊँचे वैल्यूएशन और अमेरिकी व्यापार नीतियों को लेकर बढ़ती अनिश्चितता का साया दिखा। सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट आई, खासकर फाइनेंशियल स्टॉक्स के कारण, जबकि मिड-कैप और स्मॉल-कैप स्टॉक्स ने बाज़ी मारी और बेहतर प्रदर्शन किया।
1:20 PM पर सेंसेक्स 250 अंक यानी 0.3% गिरकर 75,691 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 50 अंक यानी 0.2% की गिरावट के साथ 22,885 पर आ गया। NSE पर मार्केट ब्रेड्थ पॉजिटिव रही, जहां 1,797 शेयरों में तेज़ी और 759 शेयरों में गिरावट देखने को मिली। साल 2025 की शुरुआत से अब तक भारतीय बाज़ारों में 3% की गिरावट आ चुकी है और वे अपने सितंबर के ऑल-टाइम हाई से करीब 13% नीचे हैं।
वैश्विक व्यापार तनाव ने बढ़ाई चिंता
सत्र की शुरुआत ही गिरावट के साथ हुई, जो एशियाई बाज़ारों में कमजोरी को दर्शा रही थी। निवेशकों को अमेरिका की नई टैरिफ पॉलिसी से महंगाई बढ़ने की आशंका सता रही है। 19 फरवरी को डोनाल्ड ट्रंप ने ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल और सेमीकंडक्टर आयात पर 25% या उससे अधिक टैरिफ लगाने की योजना का ऐलान किया। दक्षिण कोरिया और जापान के ऑटो सेक्टर पर सीधा असर पड़ने की संभावना है, वहीं भारत की फार्मा इंडस्ट्री के लिए भी यह झटका हो सकता है।
तौरस कॉर्पोरेट एडवाइजरी सर्विसेस के रिसर्च एनालिस्ट अमिश शाह ने कहा, “कमाई के सीजन का असर बाज़ार पर अब कम हो चुका है। साथ ही, ट्रंप की अधिकांश घोषणाएं पहले ही बाज़ार में डिस्काउंट हो चुकी हैं। इसलिए इस वक्त कोई बड़ा ट्रिगर नहीं है जो बाज़ार को प्रभावित कर सके।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि Q4 नतीजों की उम्मीदें पहले से ही बाज़ार में शामिल हैं। “जब तक विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) फिर से मजबूत तरीके से खरीदारी नहीं करते या उनकी बिकवाली धीमी नहीं होती, तब तक बाज़ार इसी रेंज में फंसा रह सकता है,” शाह ने कहा।
FII की बिकवाली और अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की चिंताएं
अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की जनवरी मीटिंग के मिनट्स ने यह संकेत दिया कि ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी महंगाई बढ़ा सकती है, जिससे ब्याज दरों में कटौती टल सकती है। उच्च अमेरिकी ब्याज दरें आमतौर पर भारत जैसे उभरते बाज़ारों से पूंजी निकालने का कारण बनती हैं।
केवल फरवरी में ही, FIIs ने ₹30,216 करोड़ के भारतीय शेयर बेचे हैं, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने करीब ₹35,809 करोड़ की खरीदारी कर इस दबाव को कम किया।
अमिश शाह ने कहा, “अब यह बात किसी से छिपी नहीं है कि भारत की आर्थिक रफ्तार धीमी हो रही है। इसके अलावा, कॉर्पोरेट कमाई भी उम्मीदों पर खरी नहीं उतर रही है, जिससे निवेशकों की चिंता बढ़ रही है।”
मिड और स्मॉल-कैप्स की शानदार वापसी
जहां सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट रही, वहीं मिड-कैप और स्मॉल-कैप शेयरों में मजबूती दिखी। BSE मिडकैप इंडेक्स 0.6% चढ़ा, जबकि BSE स्मॉलकैप इंडेक्स में 1% की बढ़त दर्ज की गई। हालांकि, दोनों इंडेक्स अपने ऑल-टाइम हाई से अभी भी काफी नीचे हैं—मिडकैप में 17% और स्मॉलकैप में 21% की गिरावट बनी हुई है।
फिडेंट एसेट मैनेजमेंट के फाउंडर और CIO ऐश्वर्या दाधीच ने कहा, “स्मॉलकैप्स में अब और ज्यादा गिरावट की गुंजाइश कम है, लेकिन मिडकैप्स में ज्यादा दबाव रह सकता है क्योंकि उनमें FIIs की भागीदारी ज्यादा है और वैल्यूएशन भी महंगे हैं।”
उन्होंने आगाह किया कि अगर GDP ग्रोथ और वैश्विक आर्थिक स्थिति और बिगड़ती है तो मिड और स्मॉलकैप्स पर और दबाव बन सकता है।
सेक्टर वाइज परफॉर्मेंस: फाइनेंशियल्स डूबे, ऑयल और ऑटो चमके
सेक्टरल प्रदर्शन में मिला-जुला रुख दिखा। फाइनेंशियल स्टॉक्स में सबसे ज्यादा गिरावट आई। निफ्टी बैंक और निफ्टी प्राइवेट बैंक इंडेक्स में 0.5% से ज्यादा की गिरावट रही। दूसरी ओर, ऑयल & गैस और ऑटो स्टॉक्स में मजबूती दिखी, दोनों में करीब 1% की बढ़त रही।
निफ्टी FMCG इंडेक्स ने अपनी लगातार गिरावट का रिकॉर्ड तोड़ दिया। 14वें सेशन में गिरावट के साथ निवेशकों को ₹2.7 लाख करोड़ का नुकसान हुआ। बजट के बाद हुई तेजी अब धीमी मांग और मुनाफे पर दबाव के कारण फीकी पड़ गई है।
तंबाकू कंपनियों के शेयरों में भी गिरावट देखने को मिली, क्योंकि खबरें आईं कि GST काउंसिल सिगरेट और तंबाकू उत्पादों पर GST दरें बढ़ाने पर विचार कर रही है। ITC के शेयर 1% गिरे, गोडफ्रे फिलिप्स में 6% और VST इंडस्ट्रीज में 4% की गिरावट रही।
स्टॉक्स हाइलाइट: कौन चमका, कौन फिसला
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सबसे ज्यादा गिरने वाले स्टॉक्स (Nifty 50):
- ITC (-1%)
- Tech Mahindra (-1.5%)
- Tata Consumer (-1.8%)
- Maruti Suzuki (-1.2%)
- HDFC Bank (-2%)
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सबसे ज्यादा बढ़ने वाले स्टॉक्स (Nifty 50):
- Hindalco (+3%)
- Adani Ports (+2.7%)
- Mahindra & Mahindra (M&M) (+2.5%)
- NTPC (+2.2%)
- Shriram Finance (+2%)
RateGain के शेयरों में 4% की तेजी आई जब थाईलैंड की Nok Air ने AirGain के साथ साझेदारी की घोषणा की। वहीं, Palantir Technologies के शेयरों में 10% की गिरावट आई, जब खबर आई कि अमेरिकी रक्षा सचिव Pete Hesgeth सैन्य खर्च में कटौती की योजना बना रहे हैं।
टेक्निकल आउटलुक: कहां है बाजार का सपोर्ट
टेक्निकल एनालिस्ट्स के मुताबिक, निफ्टी के लिए 22,800-22,700 के स्तर अहम सपोर्ट जोन हैं। अमिश शाह ने कहा, “लेकिन मौजूदा उतार-चढ़ाव को देखते हुए इन लेवल्स को रोज़ाना रिव्यू करना होगा।”
बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है और निवेशक फिलहाल इंतज़ार कर रहे हैं कि आगे कौन-सा संकेत बाजार की दिशा तय करेगा।