दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने तीन दशकों के बाद सत्ता में वापसी कर ली है, और अब राज्य को नया मुख्यमंत्री मिलने वाला है। यह निर्णय पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा लिया जाएगा, और इसकी आधिकारिक घोषणा आज शाम तक हो सकती है।
दिल्ली के नए मुख्यमंत्री का चयन कैसे होगा?
आज दोपहर भाजपा की संसदीय बोर्ड – जो पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली इकाई है – की बैठक होगी। इसमें पर्यवेक्षकों का चयन किया जाएगा, जो बाद में नव-निर्वाचित विधायकों के बीच मुख्यमंत्री पद के लिए चुनाव प्रक्रिया को संचालित करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिनकी फ्रांस और अमेरिका यात्रा के कारण यह प्रक्रिया थोड़ी देरी से हो रही है, इस बैठक में भाग ले सकते हैं।
शपथ ग्रहण समारोह की भव्य तैयारी
शाम 6:15 बजे विधायकों की बैठक होगी, जहां वे अपने नेता का चयन करेंगे। चुने गए मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह गुरुवार सुबह 11 बजे दिल्ली के प्रतिष्ठित रामलीला मैदान में आयोजित किया जाएगा, जो दोपहर 12:34 बजे तक चलेगा। शपथ ग्रहण का मुख्य समय 12:05 बजे तय किया गया है।
सूत्रों के अनुसार, इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए तीन विशाल मंच तैयार किए जाएंगे:
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, उपराज्यपाल वीके सक्सेना और नए मुख्यमंत्री के लिए।
- आमंत्रित धर्मगुरुओं के लिए।
- 200 से अधिक भाजपा सांसदों और विधायकों के लिए।
दिल्ली के नए मुख्यमंत्री की रेस में कौन-कौन?
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा ने 48 नव-निर्वाचित विधायकों में से 15 नामों की संभावित सूची तैयार की है। इनमें मुख्यमंत्री, मंत्रीमंडल के सदस्य और विधानसभा अध्यक्ष के पदों के लिए संभावित उम्मीदवार शामिल हैं।
मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार
- प्रवेश वर्मा – दो बार के पूर्व सांसद, जिन्होंने अरविंद केजरीवाल को हराकर नई दिल्ली सीट पर शानदार जीत दर्ज की।
- वीरेंद्र सचदेवा – भाजपा दिल्ली इकाई के अध्यक्ष।
- बंसुरी स्वराज – पहली बार सांसद बनीं और दिवंगत सुषमा स्वराज की पुत्री।
- सतीश उपाध्याय – भाजपा के प्रमुख ब्राह्मण चेहरे में से एक।
क्या दिल्ली को पहली महिला मुख्यमंत्री मिलेगी?
यह भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि भाजपा पहली बार दिल्ली में महिला मुख्यमंत्री को मौका दे सकती है। इस दौड़ में चार नव-निर्वाचित महिला विधायक शामिल हैं:
- नीलम पहलवान – नजफगढ़ सीट से जीतने वाली पहली महिला विधायक।
- रेखा गुप्ता – दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ की पूर्व अध्यक्ष।
- पूनम शर्मा – वजीरपुर सीट से विजयी।
- शिखा रॉय – आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज को हराकर चर्चा में आईं।
जातीय समीकरण भी होंगे महत्वपूर्ण
भाजपा आमतौर पर मुख्यमंत्री पद के चयन में जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखती है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में 2023 के चुनावी जीत के बाद इसी कारण मुख्यमंत्री चयन में देरी हुई थी। दिल्ली में भी ऐसा ही कुछ हो सकता है।
अनुसूचित जाति समुदाय से चार नव-निर्वाचित विधायक भी इस दौड़ में शामिल हो सकते हैं:
- राज कुमार चौहान (मंगोलपुरी)
- रविकांत उज्जैन (त्रिलोकपुरी)
- रविंद्र इंद्राज सिंह (बवाना)
- कैलाश गंगवाल (मदीपुर)
दिल्ली चुनाव परिणाम और राजनीतिक समीकरण
8 फरवरी की दोपहर से ही दिल्ली के नए मुख्यमंत्री को लेकर अटकलें लगनी शुरू हो गई थीं। भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए 70 में से 48 सीटों पर कब्जा किया।
भाजपा की ऐतिहासिक जीत के प्रमुख कारण:
- 26 वर्षों बाद सत्ता में वापसी – भाजपा को कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) ने लंबे समय तक सत्ता से बाहर रखा था।
- AAP की गिरती लोकप्रियता – पार्टी को ‘शीशमहल’ और शराब नीति घोटाले ने बड़ा नुकसान पहुंचाया।
- मोदी लहर का असर – भाजपा ने लोकसभा चुनावों की तरह विधानसभा में भी अपनी पकड़ मजबूत की।
AAP, जो तीसरी बार सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही थी, सिर्फ 22 सीटों पर सिमट गई।
पिछले चुनावों से तुलना:
चुनाव वर्ष | बीजेपी सीटें | AAP सीटें | कांग्रेस सीटें |
---|---|---|---|
2015 | 03 | 67 | 00 |
2020 | 08 | 62 | 00 |
2025 | 48 | 22 | 00 |
कांग्रेस के लिए यह लगातार तीसरा बड़ा झटका साबित हुआ, जहां वह पूरी तरह सियासी परिदृश्य से बाहर हो गई।
निष्कर्ष
दिल्ली में भाजपा की सत्ता वापसी ने राजनीति को नई दिशा दी है। अब सभी की नजरें इस पर टिकी हैं कि भाजपा किसे मुख्यमंत्री बनाती है। क्या यह कोई अनुभवी नेता होंगे, कोई महिला मुख्यमंत्री होगी, या जातीय समीकरणों को देखते हुए कोई और नाम उभरेगा? यह फैसला न केवल दिल्ली की राजनीति, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होगा।
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