नई दिल्ली: 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक अहम मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को हत्या और हिंसा भड़काने के गंभीर आरोपों में दोषी करार दिया है। अदालत ने उन्हें सरस्वती विहार इलाके में दो सिख नागरिकों की निर्मम हत्या का जिम्मेदार ठहराया। यह घटना 1 नवंबर 1984 को हुई थी, जब देशभर में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद व्यापक दंगे भड़क उठे थे।
क्या है पूरा मामला?
इस मामले में पीड़ित जसवंत सिंह और उनके पुत्र तरूणदीप सिंह को एक उन्मादी भीड़ ने जलाकर मार डाला। अदालत के फैसले के अनुसार, सज्जन कुमार ने इस भीड़ को उकसाने, हिंसा को दिशा देने और पीड़ितों पर अत्याचार कराने में अग्रणी भूमिका निभाई। इसके अलावा, उग्र भीड़ ने जसवंत सिंह के घर को जला दिया, उनकी संपत्ति को नष्ट कर दिया और परिवार के अन्य सदस्यों को गंभीर रूप से घायल कर दिया।
सज्जन कुमार ने अदालत में खुद को बताया निर्दोष
1 नवंबर 2023 को सज्जन कुमार का बयान दर्ज किया गया, जिसमें उन्होंने सभी आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि वह इस घटना में किसी भी प्रकार से संलिप्त नहीं थे। हालांकि, अदालत ने उनकी दलीलों को खारिज कर दिया और जांच एजेंसियों द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों और गवाहों के बयान के आधार पर उन्हें दोषी करार दिया।
कैसे पहुंचा मामला कोर्ट तक?
इस केस की शुरुआत पंजाबी बाग पुलिस स्टेशन में दर्ज एक एफआईआर (FIR) से हुई थी। हालांकि, बाद में जब 1984 दंगों की पुन: जांच के लिए न्यायमूर्ति जीपी माथुर समिति का गठन हुआ, तब विशेष जांच दल (SIT) ने इस केस को अपने हाथ में लिया। एसआईटी द्वारा की गई विस्तृत जांच में कई नए सबूत और गवाह सामने आए, जिसके बाद अदालत में चार्जशीट दाखिल की गई।
पहले से काट रहे हैं उम्रकैद की सजा
सज्जन कुमार पहले से ही दिल्ली कैंट में हुए एक अन्य सिख विरोधी दंगा मामले में दोषी पाए जा चुके हैं और उम्रकैद की सजा भुगत रहे हैं। ताजा अदालती फैसले के बाद उनके खिलाफ कानूनी शिकंजा और कस गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे अदालत उन्हें कितनी सख्त सजा सुनाती है और क्या अतिरिक्त दंड भी लगाया जाता है।
1984 दंगे: एक काला अध्याय
1984 के सिख विरोधी दंगे भारतीय इतिहास के सबसे भयावह और दुखद घटनाक्रमों में से एक थे। 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उनके दो सिख अंगरक्षकों द्वारा की गई, जिसके बाद पूरे देश, खासकर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में सिख समुदाय के खिलाफ व्यापक हिंसा भड़क उठी। हजारों निर्दोष सिखों की हत्या कर दी गई, उनके घर और दुकानों को जला दिया गया, और सिख महिलाओं पर अत्याचार किए गए।
क्या है आगे की प्रक्रिया?
अब जबकि अदालत ने सज्जन कुमार को दोषी करार दे दिया है, अगली सुनवाई में उनके सजा की अवधि तय की जाएगी। यदि उन्हें इस मामले में भी उम्रकैद या उससे अधिक कठोर दंड दिया जाता है, तो यह सिख समुदाय के लिए न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
निष्कर्ष
1984 दंगे भारतीय इतिहास का एक ऐसा अध्याय हैं, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस मामले में सज्जन कुमार को दोषी ठहराए जाने से यह साबित होता है कि चाहे कितने ही साल बीत जाएं, न्याय मिलने में देरी हो सकती है, लेकिन अन्याय के खिलाफ आवाज कभी नहीं दबती।