अब हम सब जितना अपने स्वास्थ्य के लिए जागरूक हो रहे हैं उतना ही हमें नई-नई चीजों की जानकारी हो रही है। इसी विषय में प्रोबायोटिक और प्री बायोटिक्स का जिक्र आता है। हममें से अधिकतर लोग इन दोनों के विषय में ज्यादा नहीं जानते। तो आईए आज जानते हैं कि क्या है प्रीबायोटिक्स और क्या है प्रोबायोटिक्स और क्या अंतर है इन दोनों में
प्रोबायोटिक्स
प्रोबायोटिक्स हमारे शरीर के गुड बैक्टीरिया होते हैं। प्रोबायोटिक्स हमारे शरीर के अंदर पहले से ही रहते हैं। प्रोबायोटिक्स को विभिन्न खाद्य पदार्थों के माध्यम से भी शरीर में लिया भी जा सकता है। ये आंतों के अंदर पाये जाते हैं। प्रोबायोटिक्स शरीर के अंदर मौजूद बैंड बैक्टीरिया को मारने का काम करते हैं। ये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं।
प्रीबायोटिक्स
प्रीबायोटिक्स प्रोबायोटिक्स का भोजन होते हैं। इनमें कार्बोहाइड्रेट के साथ फाइबर होता है। इनके पोषक तत्वों को पचाने का काम आंतों में मौजूद गुड बैक्टीरिया करते हैं। आप ये समझ लीजिए कि प्री बायोटिक्स प्रोबायोटिक्स का भोजन होते हैं।
क्या है अंतर प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स में
1* प्रोबायोटिक्स गुड बैक्टीरिया होते हैं जोकि हमारे शरीर में पाए जाते हैं। प्रीबायोटिक्स प्रोबायोटिक्स का भोजन होते हैं।
2* प्रोबायोटिक्स ऑटो में मौजूद गुड बैक्टीरिया होते हैं जो की वजन कम करने में भी मददगार होते हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं। प्रीबायोटिक्स इन गुड बैक्टीरिया को भोजन प्रदान करते हैं तो वजन कम करने में तो प्रोबायोटिक्स भी कारगर होते हैं लेकिन प्रोबायोटिक की मदद से।
3* प्रोबायोटिक्स दही, पनीर, खमीर, किमची, अचार आदि में मिलता है। प्रीबायोटिक्स लहसुन, प्याज, केला, मशरूम, दलिया, फ्लैक्स सीड्स और जौ में पाए जाने वाला आहार फाइबर है। जो कि प्रोबायोटिक में पाए जानेवाले गुड बैक्टीरिया द्वारा भोजन के रूप में लिया जाता है।
किस आहार में मिलेगा प्रोबायोटिक्स और हमारे शरीर में क्या प्रोबायोटिक्स पहले से ही मौजूद होता है
प्रोबायोटिक्स खमीर युक्त पदार्थ में पाया जाता है। हमारे शरीर में, हमारी आंतों में कई सारे गुड बैक्टीरिया अनेक नाम से मौजूद होते हैं। उन्हीं में से एक प्रोबाटयोटिक लैक्टोबैसिलस एसिडोफिलस नाम का प्रोबायोटिक गुड बैक्टीरिया है। जो दही में मौजूद गुड बैक्टीरिया के समान ही होता है।
प्रोबायोटिक्स दही, पनीर, खमीर, खिमची, अचार आदि में मिलता है। प्री बायोटिक्स लहसुन, प्याज, केला, मशरूम, दलिया, फ्लैक्स सीड्स और जौ में पाए जाने वाला आहार फाइबर है। अचार, किमची, जैतून, खमीरी पदार्थ को बिना प्रिजर्व किये ही खाना चाहिए। क्योंकि प्रिजर्व करने से या गर्म करने से इनके गुड बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं।
कितना लें और कब लें प्रोबायोटिक्स सप्लीमेंट
सामान्य व्यक्ति को एक दिन में 30 मिलीग्राम फाइबर लेना चाहिए। लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पता एक आम इंसान एक दिन में इसका एक तिहाई भी फाइबर नहीं ले पता है। ऐसी स्थिति में प्रोबायोटिक सप्लीमेंट एक कारगर उपाय हो सकते हैं। प्रोबायोटिक्स सप्लीमेंट में घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार के फाइबर मौजूद होते हैं। प्रोबायोटिक्स सप्लीमेंट को डॉक्टर की सलाह से शुरू किया जा सकता है। प्रोबायोटिक्स सप्लीमेंट सुबह खाली पेट लेना सबसे अधिक फ़ायदेमंद होता है।
क्या फायदा होता है प्रोबायोटिक सप्लीमेंट लेने से
प्रो बायोटिक्स हमारे पाचन तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। हमारे वजन को कम करने में कारगर होते हैं।अगर हम सुबह इन्हें खाली पेट लें तो यह हमारी आंतों में मौजूद बैड बैक्टीरिया को मारने का काम करते हैं।
प्रोबायोटिक और प्री बायोटिक सप्लीमेंट को क्या लेना चाहिए एक साथ
प्रीबायोटिक्स सप्लीमेंट का काम प्रोबायोटिक्स सप्लीमेंट को आहार प्रदान करना ही है इसलिए आप दोनों सप्लीमेंट्स को एक साथ ले सकते हैं।
सारांश
प्रोबायोटिक्स गुड बैक्टीरिया है जो कि हमारे पाचन तंत्र में शामिल होते हैं। ये हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेड बैक्टीरिया को मार कर मजबूत करते हैं। इन्हें हम दही पनीर आदि में ले सकते हैं। प्री बायोटिक्स आहार फाइबर हैं जो कि प्रोबायोटिक्स में मौजूद गुड बैक्टीरिया द्वारा अवशोषित किये जातें हैं। प्रोबायोटिक्स प्रीबायोटिक्स को अपनी आहार रूपी एनर्जी में परिवर्तित करते हैं।