चीन की घुसपैठ और आर्थिक निर्भरता: राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा
लोकसभा में एक तीखी बहस के दौरान, कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर करारा हमला बोला। उन्होंने भारत की बढ़ती चीनी उत्पादों पर निर्भरता को एक गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा संकट बताया। गांधी ने दावा किया कि ‘मेक इन इंडिया’ की विफलता के कारण भारतीय क्षेत्र में चीनी सेना की मौजूदगी बढ़ रही है।
भारतीय सेना प्रमुख के बयान का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, “चीनी सेना हमारी जमीन के अंदर मौजूद है—यह कोई अटकल नहीं, बल्कि एक सच्चाई है। सवाल यह है कि ऐसा क्यों हुआ? चीन हमारी जमीन पर इसलिए बैठा है क्योंकि ‘मेक इन इंडिया’ पूरी तरह से असफल रहा है। भारत अपनी उत्पादन क्षमता को मजबूत करने से इनकार कर रहा है, और इसी वजह से हम एक बार फिर चीन को एक औद्योगिक क्रांति सौंप रहे हैं।”
युद्ध की स्थिति में भारत की सैन्य निर्भरता पर चिंता
राहुल गांधी ने भारत की रक्षा तैयारियों को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भारत और चीन के बीच युद्ध छिड़ता है, तो भारतीय सेना को चीनी उपकरणों पर निर्भर रहना पड़ेगा। “अगर हमें चीन से युद्ध करना पड़ा, तो हमारी सेना चीनी निर्मित इलेक्ट्रिक मोटर्स, बैटरियों और ऑप्टिक्स के साथ लड़ेगी। यहां तक कि जब हम लड़ाई की तैयारी कर रहे होंगे, तब भी हम उन्हीं चीनी कंपनियों से आवश्यक उपकरण खरीद रहे होंगे,” उन्होंने कहा। इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसदों ने कड़ी आपत्ति जताई।
अमेरिका के साथ औद्योगिक साझेदारी को मजबूत करने की जरूरत
राहुल गांधी ने भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की वकालत की। उन्होंने कहा, “अमेरिका हमारा रणनीतिक साझेदार है, लेकिन यह साझेदारी सिर्फ कूटनीति तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। इसे औद्योगिक विकास के क्षेत्र में भी विस्तार देना जरूरी है। सच्चाई यह है कि अमेरिका भारत के बिना एक सशक्त औद्योगिक तंत्र खड़ा नहीं कर सकता। उनके लागत ढांचे के कारण उनके लिए यह असंभव है। भारत में वह निर्माण शक्ति है, जिसकी कल्पना भी अमेरिका नहीं कर सकता,” उन्होंने कहा।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर तंज: ‘पुरानी बातों की दोहराव’
सरकार की नीतियों पर निशाना साधते हुए राहुल गांधी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण को केवल पुरानी उपलब्धियों की सूची बताया, जिसमें कोई ठोस दृष्टि नहीं थी। “यह वही भाषण था, जिसे मैंने पहले भी सुना है—लगभग वही बातें, वही उपलब्धियों की सूची। यह वह अभिभाषण नहीं था जिसकी उम्मीद की जाती है,” उन्होंने कहा।
उन्होंने बेरोजगारी के मुद्दे पर भी सरकार को घेरा और कहा कि न तो पिछली यूपीए सरकार और न ही मौजूदा एनडीए सरकार युवाओं को रोजगार के ठोस अवसर देने में सफल रही है। “‘मेक इन इंडिया’ एक अच्छा विचार था, लेकिन इसे सही तरीके से लागू नहीं किया गया। प्रधानमंत्री इस मिशन में बुरी तरह विफल रहे हैं,” उन्होंने तीखा हमला बोला।
विदेश नीति पर कटाक्ष और बीजेपी का जवाबी हमला
सरकार की विदेश नीति पर तंज कसते हुए राहुल गांधी ने कहा, “अगर हमारी सरकार होती, तो हम अपने विदेश मंत्री को अमेरिका यह अनुरोध करने के लिए नहीं भेजते कि हमारे प्रधानमंत्री को अमेरिकी राष्ट्रपति के ‘राज्याभिषेक’ में आमंत्रित किया जाए।”
उनके इस बयान पर संसद में जोरदार हंगामा हुआ। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए राहुल गांधी से अपने दावों को साबित करने को कहा। “आप इस तरह के निराधार आरोप नहीं लगा सकते,” रिजिजू ने पलटवार किया।
जैसे-जैसे बहस तेज होती गई, राहुल गांधी अपने रुख पर अडिग रहे। उन्होंने दोहराया कि उनकी आलोचना केवल विरोध करने के लिए नहीं, बल्कि एक बेहतर दृष्टिकोण की मांग के लिए है। “मैं सिर्फ आलोचना करने के लिए आलोचना नहीं कर रहा हूं—मुझे उम्मीद थी कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में भविष्य की स्पष्ट योजना होगी। लेकिन यह केवल एक और सरकारी उपलब्धियों की सूची बनकर रह गया,” उन्होंने कहा।
अब सवाल यह है कि क्या सरकार इन चिंताओं का समाधान करेगी, या इसे महज एक राजनीतिक बयानबाजी मानकर खारिज कर देगी?