अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले भी पनामा नहर को लेकर अपने विचार व्यक्त किए थे और अभी हाल ही में उन्होंने अपने कहे हुए को पूरा चीन, मेक्सिको और कनाडा पर टैरिफ लगाकर कर दिखाया है अब ऐसे में उनका कहना कि कुछ बड़ा और शक्तिशाली होने वाला है काफी सारे लोगों को चिंता में डालने वाला है। अभी हाल ही में अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो पनामा के राष्ट्रपति से मुलाकात भी करने वाले हैं।
तो आईए जानते हैं की डोनाल्ड ट्रंप के ऐसा कहने की क्या वजह हो सकती है?
डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि चीन है पनामा नहर को चला रहा है जबकि पनामा नहर को चीन को नहीं दिया गया था
डोनाल्ड ट्रंप ने मीडिया से कहा कि चीन ही पनामा नहर को चल रहा है। पनामा राष्ट्र ने समझौते का उल्लंघन किया था और अब हम इसे वापस ले रहे हैं यह कुछ ऐसा है जो बहुत शक्तिशाली होने वाला है ऐसा लग रहा है कि चीन और पनामा जैसे देशों को लेकर यह बयान डोनाल्ड ट्रंप की एक बड़ी धमकी माना जा रहा है। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि हमने बेवकूफ आना तरीके से पनामा नहर को पनामा को सौंप दिया था लेकिन अब जब उन्होंने समझौते का उल्लंघन किया है तो हम इसे वापस ले लेंगे। डोनॉल्ड ट्रंप ने कहा की अगर नैतिक और कानूनी दोनों सिद्धांतों का पालन किया जाए तो हम मांग करेंगे कि पनामा नहर को जल्दी ही अमेरिका को वापस कर दिया जाए।
अमेरिकी विदेश मंत्री ने दी पनामा को धमकी
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने पनामा को धमकी दी और उन्होंने पनामा के राष्ट्रपति जोंस राउल मुलिनो से कहा की जलमार्ग से चीन का नियंत्रण खत्म किया जाए अगर ऐसा नहीं किया जाता तो वॉशिंगटन बड़े कदम उठाने के लिए तैयार है।
पनामा नहर का क्या है इतिहास
पनामा नहर 82 किलोमीटर लंबी है जो की अटलांटिक और प्रशांत महासागर को जोड़ती है। अमेरिका ने 1900 में पनामा नहर का निर्माण किया था। 1977 में एक संधि के तहत पनामा नहर पर पनामा और अमेरिका दोनों का संयुक्त नियंत्रण था। 1999 में एक संधि की गई जिसमें पनामा नहर पर पनामा राष्ट्र का नियंत्रण हो गया था। बाद में पनामा पर चीन का नियंत्रण बढ़ गया जो की संधि में कहीं पर भी नहीं था। इस साल पनामा ने ताइवान से अपनी राजनायिक संबंध खत्म किये और चीन से अपने संबंधों को स्थापित कर लिया था। पनामा नहर पर अब चीन ने काफी निवेश करना शुरू कर दिया है जिसका अमेरिका विरोध कर रहा है। इस समय चीन पनामा का विशेष सहयोगी बन गया है। इसी मुद्दे को लेकर अमेरिका के उच्च अधिकारियों ने पनामा के मंत्रियों व अधिकारियों से वार्ता भी की है।
क्या कहना है पनामा के राष्ट्रपति का अमेरिका के विदेश मंत्री की पनामा यात्रा के विषय में
पनामा के राष्ट्रपति मुलिनो ने कहा की अमेरिका की विदेश मंत्री का ऊर्जा संयंत्र और नहर का दौरा करने का कार्यक्रम है। नहर के स्वामित्व को लेकर अमेरिका के साथ कोई बातचीत नहीं होगी। मुलिनो का कहना है कि रूबियो की यात्रा प्रवास और मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने जैसे मुद्दों पर आधारित होगी। उनका कहना है कि यह वार्ता अमेरिका और पनामा के सांझा हितों के विषय में होगी। पनामा में कुछ लोगों ने ट्रंप की योजनाओं और ट्रंप के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है।
पनामा है डरा हुआ, बनाई चीन से दूरी
ऐसा नहीं है कि डोनाल्ड ट्रंप की धमकी का पनामा पर कोई असर नहीं हो रहा। पनामा डोनाल्ड ट्रंप की धमकी से डरा हुआ है और पनामा ने साल 2017 में चीन के साथ हुए BRI समझौते को दोबारा न करने का निश्चय किया है। पनामा के राष्ट्रपति मुलिनो ने कहा कि पनामा नहर के आसपास चीनी उपस्थित पर अमेरिकी चिंता से वह परिचित हैं और चीन के साथ बी आर ए समझौता जल्दी ही समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका की विदेश मंत्री की यह यात्रा संभावनाओं के नए दरवाजे खोलेगी और पनामा में अमेरिकी निवेश जितना संभव होगा उतना बढ़ेगा।