संजय रॉय का नाम हाल ही में RG कर मेडिकल कॉलेज में हुए एक भयावह अपराध के बाद चर्चा में आया। इस केस में CCTV फुटेज और उनके जवाबों ने उन्हें दोषी ठहराने में अहम भूमिका निभाई। यहां हम इस केस की पूरी जानकारी साझा करेंगे, जो SEO फ्रेंडली और उपयोगी जानकारी के साथ तैयार की गई है।
संजय रॉय केस का पूरा विवरण
9 अगस्त को RG कर मेडिकल कॉलेज में 31 वर्षीय महिला डॉक्टर की हत्या और बलात्कार का मामला सामने आया। सेमिनार हॉल, जहां पीड़िता 16 घंटे की शिफ्ट के बाद आराम करने गई थी, अपराध स्थल बन गया।
CCTV फुटेज ने कैसे मदद की?
CCTV कैमरे के फुटेज में सुबह 4:31 बजे संजय रॉय को चेस्ट विभाग से बाहर जाते हुए देखा गया। उनके हाथ में हेलमेट था, लेकिन ब्लूटूथ ईयरफोन गायब थे। अदालत ने पाया कि 4:03 से 4:31 बजे तक उनकी उपस्थिति ने उन्हें अपराध स्थल से जोड़ दिया।
अभियोजन और बचाव के तर्क
- अभियोजन का पक्ष:
- CCTV फुटेज में दिखने वाले व्यक्ति को रॉय ने खुद स्वीकार किया।
- पीड़िता के शरीर पर उनकी लार के निशान पाए गए।
- रॉय का बचाव:
- दावा किया कि वे एक सर्जरी करवाने वाले मरीज से मिलने आए थे।
- पुलिस पर हिरासत में सबूत गढ़ने का आरोप लगाया।
अदालत का फैसला
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिर्बान दास ने 172 पन्नों में दिए फैसले में कहा कि रॉय के बचाव के सभी तर्क कमजोर साबित हुए। फॉरेंसिक जांच ने उनके दावों को खारिज कर दिया।
केस से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु
- CCTV फुटेज की भूमिका:
अदालत ने इसे सबसे ठोस सबूत माना। रॉय ने फुटेज की सत्यता पर कोई सवाल नहीं उठाया। - ACID-आधारित अपराध विश्लेषण:
उनके बचाव में हर तर्क उन्हीं के खिलाफ गया। अदालत ने इसे “बचाव का भंवर” कहा।
सीख और सामाजिक संदेश
यह मामला न केवल न्याय प्रणाली की ताकत को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सबूतों की सटीकता कैसे अपराधियों को सजा दिला सकती है।
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