कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले पॉडकास्ट इंटरव्यू पर तंज कसा है। यह इंटरव्यू ज़ेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ के “पीपल बाय WTF” चैनल पर हुआ। कांग्रेस ने इसे “डैमेज कंट्रोल” बताते हुए प्रधानमंत्री पर निशाना साधा। यह टिप्पणी मोदी के उस बयान के संदर्भ में है, जिसमें उन्होंने खुद को “गैर-जीववैज्ञानिक” और “भगवान द्वारा भेजा गया” बताया था।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “यह उसी व्यक्ति का बयान है जिसने आठ महीने पहले खुद को ‘गैर-जीववैज्ञानिक’ घोषित किया था। यह स्पष्ट रूप से डैमेज कंट्रोल है।”
इस पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए दिए गए एक पुराने भाषण को याद किया। उन्होंने कहा, “जब मैं मुख्यमंत्री बना, तो मैंने तीन बातें कहीं—पहली, मैं अपनी पूरी कोशिश करूंगा; दूसरी, मैं अपने लिए कुछ नहीं करूंगा; और तीसरी, मैं इंसान हूं, मुझसे गलतियां हो सकती हैं, लेकिन मेरी नीयत कभी गलत नहीं होगी।”
मोदी ने आगे कहा, “मैंने एक बार कुछ असंवेदनशील तरीके से कहा था। गलतियां होती हैं। मैं इंसान हूं, भगवान नहीं।” यह बयान उनके लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए उस बयान से बिल्कुल अलग था, जिसमें उन्होंने खुद को “भगवान द्वारा भेजा गया” बताया था। इस टिप्पणी के बाद कांग्रेस ने उन्हें “गैर-जीववैज्ञानिक” और “दिव्य” कहकर तंज कसा था।
मिशन-चालित राजनीति की वकालत
पॉडकास्ट के दौरान प्रधानमंत्री ने राजनीति में मिशन-चालित व्यक्तियों की आवश्यकता पर जोर दिया। उनके अनुसार, राजनीति में आने वाले लोगों को व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा से ऊपर उठकर जनसेवा को प्राथमिकता देनी चाहिए। मोदी ने कहा, “राजनीति आत्म-सेवा का मंच नहीं है, यह राष्ट्र की प्रगति में योगदान देने का माध्यम है। नेताओं को खुद से पहले मिशन को प्राथमिकता देनी चाहिए।”
यह पॉडकास्ट प्रधानमंत्री मोदी के लिए एक उल्लेखनीय शुरुआत थी। हालांकि वह ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम और टेलीविजन साक्षात्कारों के माध्यम से जनता से नियमित रूप से जुड़ते हैं, लेकिन पॉडकास्ट प्रारूप में यह उनका पहला कदम था। इस एपिसोड के माध्यम से मोदी ने युवा और तकनीक-प्रेमी दर्शकों से जुड़ने की कोशिश की।
क्या यह छवि सुधारने की रणनीति है?
जहां भाजपा ने मोदी के पॉडकास्ट डेब्यू को राजनीतिक संचार के आधुनिकीकरण की दिशा में एक कदम बताया, वहीं कांग्रेस ने इसे पिछली गलतियों को सुधारने के लिए एक जनसंपर्क अभियान करार दिया। जयराम रमेश की टिप्पणी विपक्ष के इस नजरिए को रेखांकित करती है कि यह कदम जुड़ाव से अधिक छवि प्रबंधन का हिस्सा है।
गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल और मानवीय कमजोरियों को स्वीकार करने वाले मोदी के बयान उनके समर्थकों के बीच सराहना पा सकते हैं। लेकिन उनके आलोचकों के लिए, उनके इन बयानों और “गैर-जीववैज्ञानिक” टिप्पणी के बीच का विरोधाभास बहस का विषय बना हुआ है।
जैसे-जैसे मोदी पॉडकास्ट जैसे नए संवाद माध्यमों की ओर कदम बढ़ा रहे हैं, उनका संतुलित और आत्मविश्वासी दृष्टिकोण जनता की धारणा को परिभाषित करेगा। यह पॉडकास्ट प्रकरण एक नया मोड़ लाएगा या केवल बहस को और बढ़ावा देगा, यह समय ही बताएगा।