अभिनेत्री और निर्देशक कंगना रनौत ने अपनी आगामी फिल्म इमरजेंसी में अनुपम खेर की भूमिका को लेकर बड़ी बात कही है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि अगर अनुपम खेर इस फिल्म का हिस्सा बनने से इनकार कर देते, तो वह इसे नहीं बनातीं। ANI से बातचीत में कंगना ने अनुपम खेर को फिल्म का “हीरो” करार देते हुए उनकी भूमिका की अनिवार्यता को रेखांकित किया।
इमरजेंसी में अनुपम खेर की उपस्थिति क्यों है महत्वपूर्ण
कंगना ने बातचीत के दौरान कहा, “इस फिल्म के लिए अनुपम जी का होना मेरे लिए बेहद जरूरी था। अगर उन्होंने इमरजेंसी करने से इनकार कर दिया होता, तो मैं इसे बनाती ही नहीं।” उन्होंने अनुपम खेर के व्यक्तित्व की तारीफ करते हुए कहा, “उनके चेहरे पर जो ईमानदारी है, वह बेमिसाल है। जयप्रकाश नारायण का किरदार उनसे बेहतर और कोई नहीं निभा सकता।”
अनुपम खेर, जो भारतीय सिनेमा के सबसे अनुभवी और बहुमुखी अभिनेताओं में से एक हैं, ने एक बार फिर यह साबित किया है कि उनके जैसे कलाकार की जगह लेना आसान नहीं है। कंगना का उनकी प्रतिभा पर यह विश्वास दर्शकों को फिल्म के लिए और अधिक उत्सुक बना देता है।
अनुपम खेर ने की कंगना रनौत की सराहना
अनुपम खेर ने भी कंगना की तारीफ में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने बताया कि इमरजेंसी के विषय से उनका व्यक्तिगत जुड़ाव है। “जब देश में आपातकाल लागू हुआ था, तब मैं दिल्ली में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में था। इसलिए इस किरदार के लिए मुझे बहुत ज्यादा शोध करने की जरूरत नहीं पड़ी। कंगना ने हर किरदार के लिए खुद विस्तार से शोध किया है। यह फिल्म राजनीतिक विषय पर बनी सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक होगी,” उन्होंने कहा।
उन्होंने कंगना की कार्यशैली और निर्देशन क्षमता की भी जमकर तारीफ की। “कंगना बिना किसी मेहनत का दिखावा किए हर काम सहजता से करती हैं। इमरजेंसी के लिए उन्होंने जितनी मेहनत की है, वह अद्भुत है। बतौर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का किरदार निभाते हुए पूरी फिल्म का निर्देशन करना आसान नहीं है, लेकिन कंगना ने इसे बखूबी किया है। वह अब तक की सबसे बेहतरीन निर्देशकों में से एक हैं, जिनके साथ मैंने काम किया है,” अनुपम खेर ने कहा।
राजनीतिक उथल-पुथल की कहानी
इमरजेंसी भारत के इतिहास के सबसे विवादास्पद और परिवर्तनकारी दौर – 1975 से 1977 तक लागू आपातकाल – पर आधारित है। फिल्म में इस दौर के राजनीतिक घटनाक्रम, नागरिक स्वतंत्रता के दमन और समाज पर पड़े प्रभावों को बारीकी से दिखाया गया है।
फिल्म में अनुपम खेर, जयप्रकाश नारायण की भूमिका में नजर आएंगे। जयप्रकाश नारायण वह क्रांतिकारी नेता थे, जिनके विरोध ने पूरे देश को झकझोर दिया और भारतीय राजनीति को नया आयाम दिया। कंगना रनौत, इंदिरा गांधी की भूमिका में नजर आएंगी, जो भारतीय राजनीति की सबसे विवादास्पद शख्सियतों में से एक थीं।
इतिहास को जीवंत करता कलाकारों का दमदार समूह
फिल्म में एक मजबूत कलाकारों की टीम है। श्रेयस तलपड़े, युवा अटल बिहारी वाजपेयी के किरदार में नजर आएंगे, जो बाद में भारत के प्रधानमंत्री बने। मिलिंद सोमन फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ का किरदार निभाएंगे, जिन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध में देश को जीत दिलाई थी। महिमा चौधरी, इंदिरा गांधी की सहयोगी और सांस्कृतिक इतिहासकार Pupul Jayakar की भूमिका में होंगी। वहीं, दिवंगत सतीश कौशिक, जगजीवन राम के किरदार में दिखाई देंगे, जो भारतीय राजनीति के एक प्रमुख चेहरा थे।
सिनेमाई उत्कृष्टता का निर्माण
इमरजेंसी को ज़ी स्टूडियोज़ का समर्थन प्राप्त है। इस फिल्म को कंगना रनौत ने निर्देशित किया है और उन्होंने रेनू पिट्टी के साथ मिलकर इसे प्रोड्यूस भी किया है। फिल्म की पटकथा और संवाद रितेश शाह ने लिखे हैं, जो सामाजिक विषयों पर गहरी पकड़ रखते हैं। वहीं, संगीत सांचित बल्हारा ने तैयार किया है, जो फिल्म के भावनात्मक और ऐतिहासिक पहलुओं को और अधिक सशक्त बनाएगा।
कंगना ने फिल्म के निर्माण में अपनी प्रतिबद्धता और परिश्रम को पूरी तरह झोंक दिया है। चाहे गहन शोध हो या निर्देशन और अभिनय की दोहरी जिम्मेदारी, उन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि इमरजेंसी एक प्रामाणिक और प्रभावशाली फिल्म बने। यह फिल्म भारतीय इतिहास के एक अहम अध्याय को उजागर करेगी, जो शक्ति, असहमति और साहस का प्रतीक है।
तारीख नोट करें
इमरजेंसी 17 जनवरी 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। अपनी दमदार कहानी, बेहतरीन कलाकारों और कंगना के साहसिक निर्देशन के साथ यह फिल्म राजनीतिक सिनेमा में एक नया मील का पत्थर साबित होने वाली है।
कंगना का कहना है, “यह कहानी सिर्फ एक राजनीतिक घटना की नहीं है, यह उस राष्ट्र की भावना की कहानी है, जो दमन के खिलाफ खड़ा हुआ।” इस दृष्टिकोण के साथ, इमरजेंसी भारतीय सिनेमा में एक अमिट छाप छोड़ने के लिए तैयार है।