Thursday, January 9, 2025
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भारत में एचएमपीवी वायरस के मामलों में डॉक्टर का कहना है कि इस वायरस का है किडनी संबंधी जटिलताओं से संबंध

6 जनवरी 2025 को स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि मानव मेटा न्यूमो वायरस पहले से ही भारत सहित विश्व स्तर पर है। जबकि भारत में सामने आए किसी भी मामले में कोई यात्रा इतिहास नहीं है और सभी संक्रमित व्यक्ति ठीक हो रहे हैं। अभी भारत के बेंगलुरु में दो बच्चे एचएमपीवी वायरस से संक्रमित माने गए हैं। उसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट जारी की है।

स्वास्थ्य मंत्रालय का क्या कहना है

स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि भारत में इस वायरस का आना कोई नई बात नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने एक वीडियो में कहा कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ ने स्पष्ट किया है कि एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है। पहली बार यह वायरस 2001 में पहचाना गया था और उसके बाद यह कई सालों से पूरी दुनिया में है। एचएमपीवी हवा के जरिए सांस के थ्रू हमारे शरीर में फैलता है। ऐसा नहीं कि यह वायरस बच्चों और बड़ों को ही प्रभावित करता है यह सभी आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित कर सकता है। अभी हम सब सुरक्षित हैं चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि देश की स्वास्थ्य प्रणाली और सतर्कता प्रणाली अपनी तरफ से सक्रिय है।

देश के साथ विदेश पर भी है नजर

भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग भारत की एजेंसियों पर तो नजर रखी रहा है लेकिन साथ ही साथ पड़ोसी देश मुख्यतः चीन पर अपनी कड़ी निगरानी रखे हुए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यू एच ओ के संपर्क में भी भारत का स्वास्थ्य मंत्रालय है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम आईडिएसपी के वर्तमान आंकड़ों से पता चला है कि देश में इससमय इन्फ्लूएंजा या गंभीर स्वसन बीमारी एसएआरआई में अभी हाल ही में कोई वृद्धि नहीं देखी गई है।

क्या एचएमपीवी वायरस का है किडनी से कोई संबंध?

अभी हाल ही में किए गए रिसर्च के द्वारा एचएमपीवी वायरस और किडनी हेल्थ के बीच में एक रिश्ता निकल कर आया है। अस्पताल में भर्ती बच्चों पर यह अध्ययन किया गया था। इसलिए ऐसे मरीज जो अस्पताल में भर्ती हैं और जिनको पहले से किडनी की प्रॉब्लम है उनको नियमित किडनी चेकअप की आवश्यकता है।

किन पेशेंट को ज्यादा ध्यान रखने की आवश्यकता है?

जिन मरीजों का किडनी या फेफड़ा प्रत्यारोपण हुआ है ऐसे रोगियों को विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। ऐसे व्यक्तियों को अगर एचएमपीवी वायरस का संक्रमण हो जाता है तो प्रतिरक्षा दमनकारी दवाई वायरस के प्रभाव को बढ़ा सकती हैं। जिसके कारण गंभीर स्वसन संक्रमण हो सकता है किडनी के फंक्शन में जटिलता आ सकती है और एआरडीएस भी हो सकता है।

क्या है एशियाई इंस्टिट्यूट ऑफ़ नेफ्रोलॉजी और यूरोलॉजि डिपार्टमेंट के सलाहकार डॉ विजय किरण का,?

डॉ विजय करण ने कहा की अस्पताल में भर्ती बच्चों पर किए गए अध्ययन से पता चला है कि एचएमवी वायरस किडनी की चोट एकेआई से जुड़ा हो सकता है। रिसर्च से पता चला है की उम्र के बढ़ने के साथ-साथ किडनी की चोट एकेआई का जोखिम बढ़ जाता है।

क्या पता चला है रिसर्च से

रिसर्च पता चला है कि एचएमपीवी वायरस को केवल एक श्वसन रोग जनक के रूप में न देखकर संभावित प्रणालिगत प्रभावों वाले वायरस के रूप में देखने की आवश्यकता है। एचएमटीवी वायरस से जुड़े एकेआई को रोकने और उसका इलाज करने के लिए पर्याप्त उपकरणों को जुटाने की आवश्यकता है। इस तंत्र को समझने और लक्षित हस्तक्षेप विकसित करने के लिए और व्यापक अध्ययन करने की आवश्यकता है।

किडनी पेशेंट को समय-समय पर जांच कराना है आवश्यक

रिसर्च से पता चला है कि किडनी पेशेंट को अपनी किडनी की समय-समय पर जांच करनी है ताकि उनकी किडनी पर इस वायरस का कोई भी नकारात्मक प्रभाव में पढ़ पाए।

क्या है लक्षण एचएमपीवी वायरस के

बुखार, खांसी, नाक बंद होना, थकान गले में खराश सांस लेने में कठिनाई, ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट फेफड़े का संक्रमण बिगड़ी हुई खांसी ये सारे लक्षण एचएमपीवी वायरस के हैं।

कौन हो सकता है इस बीमारी का आसान शिकार गंभीर बीमारी के जोखिम वाले व्यक्ति, छोटे बच्चे, बुजुर्ग व्यक्ति, अस्थमा या सीओपीडी जैसी पुरानी स्वसन बीमारी वाले लोग, इम्यूनिटी सिस्टम में कमी वाले लोग इस बीमारी के मुख्य शिकार हो सकते हैं।

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