जस्टिन ट्रूडो जो कि कनाडा के प्रधानमंत्री हैं। हालात बता रहे हैं कि वो अब शायद ही कनाडा के प्रधानमंत्री रहे। आईए जानते हैं क्या है वजह और कब देंगें प्रधानमंत्री त्याग पत्र बुधवार 8 जनवरी को होने वाली नेशनल काॅकस की बैठक में प्रधानमंत्री टूडो त्यागपत्र देने वाले हैं
ऐसा टूडो अपने ही सांसदों के विरोध के कारण करने वाले हैं। प्रधानमंत्री जस्टिन टुडो को अपनी ही लिबरल पार्टी के अंदर एक भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। लिबरल पार्टी के ही आधे से अधिक सदस्य टुडे को नेता के पद से हटाना चाहते हैं।
क्यों है सांसद जस्टिन टुडे से नाराज
पिछले काफी समय से प्रधानमंत्री टुडो अपनी घरेलू राजनीति पर ध्यान देने की बजाय भारत से निरंतर एक दूरी बनाए हुए थे। वे खालीस्थान को समर्थन दे रहे थे। जिसके कारण कनाडा के लिबरल पार्टी के सांसद उनसे नाराज हो गए थे। विरोधी उनसे लगातार महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर सवाल कर रहे थे। ट्रंप के निशाने पर भी जस्टिन टुडे थे। लेकिन जस्टिन ट्रूडो अपने देश के हित में कुछ सार्थक नहीं कर पा रहे थे। ऐसी स्थिति में जबकि उनके अपने सांसद उनसे नाराज हो गए थे। उन्होंने अपनी बदनामी से बचने के लिए त्यागपत्र देने के विषय में सोचना शुरू किया है। क्योंकि अगर वह स्वयं त्यागपत्र नहीं देते तो उन्हें कुर्सी से जबरन हटा दिया जाता। लिहाजा उन्हें त्यागपत्र देने के लिए मजबूर होना पड़ा है। लिबरल पार्टी के 20 से अधिक सांसद उनसे उनके त्यागपत्र की मांग कर चुके हैं। जस्टिन टुडे से काफी लंबे समय से समय-समय पर लगातार त्यागपत्र की मांग की जा रही है। और कहा जा रहा है कि त्यागपत्र के अलावा उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं शेष है।
कौन सा सर्वे बना है वजह जस्टिन टुडो के त्यागपत्र की
जस्टिन टुडू को लेकर पूरे कनाडा में एक नकारात्मक माहौल बन चुका है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि अभी हाल ही में हुए एक सर्वे के नतीजे में प्रधानमंत्री टुडे के नेतृत्व में लिबरल पार्टी की हार की संभावना व्यक्त की जा रही है। सिर्फ 28% लोगों का कहना है कि टुडू को दोबारा चुनाव लड़ने चाहिए। टूडो की अप्रूवल रेटिंग घट कर 30% आ गई है और उन्हें नापसंद करने वाले लोगों की संख्या 65% तक बढ़ गई है। कहा जा रहा है कि इस साल पूरे बहुमत से कंजरवेटिव पार्टी की जीत हो सकती है।
कैसा रहा है अब तक जस्टिन टुडू का राजनीतिक सफर
जस्टिन ट्रूडो पहली बार 2015 में प्रधानमंत्री बने थे। और उन्होंने एक उदारवादी नेता के रूप में भी पहचान बनाई थी वह अभी तक तीन बार प्रधानमंत्री बन चुके हैं। अभी फिलहाल कनाडा की हाउस ऑफ़ कॉमंस में लिबरल पार्टी के 153 सांसद है। कनाडा के हाउस ऑफ़ कॉमंस में 338 सीट हैं। जिसमें बहुमत का आंकड़ा 170 है। पिछले साल टुडो सरकार की सहयोगी पार्टी न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी ने अपने 25 सदस्यों के साथ अपना समर्थन वापस ले लिया था। एनडीपी खालिस्तानी समर्थक सांसद जगमीत सिंह की पार्टी है। टुडो की विपक्षी कंजरवेटिव पार्टी के पास 120 सीटें इस समय है। टुडो का एनडीपी के साथ गठबंधन टूटने के बाद 1 अक्टूबर को हुए चुनाव में टुडो की लिबरल पार्टी को एक दूसरी पार्टी ने समर्थन दे दिया था और इस वजह से टूडो की लिबरल पार्टी जीत गई थी। काफी समय से कनाडा में कट्टरपंथी लोगों के, अप्रवासियों के बढ़ने, और कोविड-19 के बाद बने हालात के कारण इस समय टुडे राजनीतिक चुनौतियों से घिरे हुए हैं। डोनाल्ड ट्रंप के साथ भी उनके रिश्ते कड़वे होते जा रहे हैं।
कब बड़ी जस्टिन टूङो की सबसे ज्यादा मुश्किल
अभी हाल ही में जस्टिन टुडे का दाहिना हाथ कहे जाने वाली क्रिश्चिटिया ने जब अपना इस्तीफा दे दिया तभी से जस्टिन ट्रूडो के लिए मुश्किलें बढ़ गई है। क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने देश के वित्त मंत्री और उप प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। क्योंकि उन्होंने कहा था कि की जस्टिन टुडो उनसे वित्त मंत्री का पद छोड़ने और कोई नया पद संभालने की गुजारिश कर रहे थे।
कौन लेगा जस्टिन टूडो की जगह
जस्टिन टुडू की जगह कौन लेगा यह तो अभी समय के गर्भ में है पर फिर भी फ्रीलैंड, लेब्लांक, पूर्व कनाडाई आवास मंत्री सीन फ्रेजर, विदेश मंत्री मैलानी जोली, ब्रिटिश कोलंबिया के पूर्व प्रीमियर क्रिस्टी क्लार्क के नाम इस लिस्ट में शामिल हैं।