अगर हम सर्दी के मौसम में अपनी त्वचा को सर्दी के सर्द थपेड़ों से बचा कर रखते हैं तो सर्दी का मौसम त्वचा के हिसाब से सबसे अच्छा कहा जाता है। फिर भी हम में से कुछ लोग सर्दी के मौसम में भी अपनी त्वचा में उभरते पिंपल्स से परेशान रहते हैं तो आईए जानते हैं क्या है सर्दी के मौसम में होने वाले पिंपल्स का इलाज और सर्दी के मौसम में पिंपल्स के होने की वजह सर्दी के मौसम में पिंपल्स और एक्ने क्यों होते हैं
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मीठा, तीखा, चटपटा खाना
शादी के मौसम में पिंपल्स और एक्ने होने की एक वजह तो तैलीय ,मसालेदार खाना खाना है। हम सभी सर्दी के मौसम में ठंड से बचने के लिए ड्राई फ्रूट्स के लड्डू गोंद के लड्डू रेवड़ी, गजक गाजर का हलवा केक न जाने कितनी सारी मिठाइयां खाते हैं और हम सभी जानते हैं कि एक्ने की एक बड़ी वजह एक्सेस तेल और सूगर कंटेंट का होना है। इन सभी चीजों को हमारा पेट अच्छे से डाइजेस्ट नहीं कर पाता। जिसके कारण हमारी पाचन प्रणाली कमजोर हो जाती है और इनफेक्टेड होकर हमारे शरीर की त्वचा पर भी अपने निशान छोड़ जाती है। इसलिए मीठे तीखे और चटपटे खाने से परहेज करें अगर परहेज करना मुश्किल है तो सीमित मात्रा में खाएं।
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ढेर सारे ड्राई फ्रूट्स का सेवन
हम सभी सर्दी के मौसम को खाने पीने का मौसम मानते हैं और इसलिए हम खाते हैं ढेर सारे ड्राई फ्रूट्स इन सारे ड्राई फ्रूट्स को खाकर हमारे शरीर को गर्मी तो मिलती है। जब इनकी मात्रा अधिक हो जाती है तो हमारे शरीर में यह गर्मी को एक्ने या मुंहासे के रूप में दिखाई देती है। इसलिए जब भी ड्राई फ्रूट्स खाएं सीमित मात्रा में खाएं और अगर हो सके तो भिगोकर खाएं।
3. रोज न नहाना और चेहरे की त्वचा को दिन में दो बार न धोना
हमें लगता है कि सर्दियों में रोज नहीं नहाएंगे तो भी काम चलेगा। यह हमारे शरीर के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है। साथ ही साथ हमें लगता है कि अगर हम बार-बार अपने चेहरे को धोएंगे तो वह रुखा हो जाएगा। अगर हम अपने चेहरे की सफाई नहीं रखते हैं तो त्वचा के रोम क्षेत्र में गदंगी इक्ट्ठी हो जाती है और मुंहासे हो सकते हैं। इसलिए एक सौम्य क्लींजर से अपने चेहरे की सुबह और रात को सफाई अवश्य करके सोए। साथ ही साथ बार-बार अपने चेहरे की त्वचा को न छुए ।
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ताकिए चादर समय पर ना बदलना
हम सभी जानते हैं कि हमारे मुंहासे होने की एक वजह गंदगी भी होती है हम सभी सोचते हैं कि हम रोज नहा लिए इसका अर्थ है कि हम रोज साफ रहते हैं। ऐसा नहीं है जैसे हम अपने शरीर के कपड़े रोज बदलते हैं उसी तरह से हमें अपने तकिये के कवर और चादर को भी बदलना होता है। अगर रोज बदलना संभव न हो तब भी आपको दो या तीन दिन में एक बार तो अपना चादर बदल लेना चाहिए। तकिये के ऊपर भी हमें एक सिल्क का कपड़ा लगाकर सोना चाहिए। जिसे हमें नहाते समय धो लेना चाहिए। ऐसा कहना तो आसान है पर लाइफ में इंप्लीमेंट करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है और बात जब जाड़ों की आती है तो फिर नहाने में ही हमें जोर पड़ता है तो तकिये और चादर बदलने की तो सोचना नहीं मुश्किल है। पर अगर आप चाहते हैं कि आपका शरीर भी आपके साथ सर्दियों के मजे ले खुश रहे। आपके चेहरे की त्वचा भी खिलखिलाये तो तकिये और चादर के कवर को समय-समय पर धोना होगा।
सर्दियों में त्वचा को नमी युक्त न रखना
सब्जियों में त्वचा रूखी हो जाती है तो यह भी पिंपल्स और मुंहासे की वजह हो सकती है। त्वचा रूखी होने से त्वचा में सुखे मुंहासे होने लगते हैं। जिनको देखकर आपको लगता है कि पता नहीं ये फुंसियां क्यों हो गई है जबकि हम तो कुछ खा भी नहीं रहे हैं। चेहरे पर भी कुछ भी नहीं लगा रहे हैं। ऐसा तेल के संतुलन के बिगड़ने से होता है इसलिए त्वचा पर रोमछिद्रों को बंद न करने वाले मॉइश्चराइजर का प्रयोग करें।