शोधकर्ताओं ने अवसाद से उबरने के लिए बायोमार्कर की खोज की ।अटलांटा में शोधकर्ताओं ने डिप्रेशन से बचने के लिए एक नए बायो मार्कर को बनाया है जो कि दवा मुक्त उपचार की तरफ पहला कदम होगा। इस रिसर्च को नेशनल साइंस फाउंडेशन होम फॉर डिप्रैशन के द्वारा सपोर्ट किया गया है
क्या है यह बायो मार्कर
यह बायो मार्कर एक एआई तकनीक के साथ मिलकर बनवाया गया है। यह एक डीप ब्रेन स्टीमुलेशन डिवाइस की तरह काम करेगा। इसमें प्रत्यारोपित डीबीएस डिवाइस के साथ कनेक्शन किया जाएगा और दिमाग का एम आर आई स्कैन किया जाएगा। इससे इस बायोमार्कर से मरीज के डाटा के द्वारा अवसाद की स्थिति और उसके उपचार की व्यवस्था की जाएगी।इसमें एक टीवीएस लीड को सबकॉलोसल सिंगुलेट कांटेक्स में प्रत्यारोपित किया जाएगा। सबकॉलोसल सिंगुलेट कांटेक्स मस्तिष्क का वह हिस्सा है जो भावनाओं के निर्माण सीखने और स्मृति सिस्टम से जुड़ा होता है। इसी से तंत्रिका तंत्र मस्तिष्क के अन्य भागों में जाते हैं।
क्या काम करेगा यह बायो मार्कर
इस बायोमार्कर के द्वारा वैज्ञानिक अवसाद के लक्षणों को और डीबीएस को ट्रैक कर सकते हैं। जिससे यह आसानी हो जाएगी कि जब मैरिज अवसाद में होता है तो डीबीएस किस तरह से रिएक्ट करता है। इसके द्वारा दवाई मुक्त उपचार आसानी से संभव हो पाएगा। एसबीआई तकनीक के साथ मिलकर बनाया गया है डीप ब्रैंसतुलेशन डिवाइस उपचार प्रतिरोधी अवसाद के लिए थेरेपी का और अच्छा बना सकता है। प्रत्यारोपित डीबीएस डिवाइस के साथ मस्तिष्क का एमआरआई स्कैन करा कर अवसाद के लक्षणों की पहचान हो सकती है।
इस उपचार के नकारात्मक पहलू
अभी अपच सफल होगा कहानी जा सकता है क्योंकि इसमें हमें डीबीएस को मस्तिष्क में प्रत्यारोपित करना पड़ेगा इलेक्ट्रोड को प्रत्यारोपित करने के लिए एक सर्जरी करवानी पड़ेगी। जिसके परिणाम अनूकूल होंगे यह अभी संशय का विषय है। अगर इस मशीन को सही से परत्यारोपित नहीं किया गया हो तो इस तकनीक के दुष्परिणाम भी उठाने पड़ सकते हैं।
क्या है यह अनुसंधान
इस रिसर्च से उपचार प्रतिरोधी अवसाद से पीड़ित 10 व्यक्तियों को शामिल किया गया था सभी ने 6 महीने तक डीसी थेरेपी ली हर मरीज को शुरू में एक ही दो दी गई थी और बाद में उत्तेजना के सर को एक या दो डोज बढ़ा दिया गया था। रिसर्च स्कॉलर्स ने 6 रोगियों में डीबीएस डाटा का संयोजन करने के लिए बायोमार्कर का प्रयोग किया जो कि रोगी के लक्षणों को महसूस करने या रोगी के ठीक होने पर खुद ही बताने में संभव था विशेषज्ञों ने कहा कि उन्हें रिसर्च के द्वारा यह पता लगाना आसान हो गया था कि मरीज अब दोबारा से डिप्रेशन का शिकार हो सकता है या नहीं। एक मरीज में, शोधकर्ताओं ने बायोमार्कर की पहचान की और वे पूर्वव्यापी रूप से यह अनुमान लगाने में सक्षम थे कि एक मरीज चार सप्ताह पहले एक प्रमुख अवसादग्रस्तता प्रकरण में वापस आ जाएगा, जब नैदानिक साक्षात्कारों से पता चला कि उन्हें फिर से अवसाद होने का खतरा है।
ब्रायन एनसीईआरटी के निदेशक जॉन नागे का कहना है कि अध्ययन के द्वारा हमने तकनीक और डाटा संचालन के द्वारा डीबीएस थेरेपी को और अच्छा कर सकते हैं।
नेशनल साइंस फाउंडेशन होम फॉर डिप्रैशन रिसर्च फाऊंडेशन क्या है
यह अनुसंधान नेशनल साइंस फाउंडेशन होम फॉर डिप्रैशन रिसर्च फाऊंडेशन और जार्जिया ट्रैक में जूलियन 3 हाइट टावर चेयर द्वारा जारी किया गया है।और इस ब्रेन इनीशिएटिव का प्रबंधन 10 संस्थानों द्वारा किया जाता है। मलता मस्तिष्क को तंत्रिका तंत्र पर रिसर्च करने वाला देश का एक वित्त पोशाक संस्थान है इसका कार्य मस्तिष्क को तंत्रिका तंत्र के बारे में ज्ञान प्राप्त करना और इस ज्ञान का उपयोग तंत्रिका तंत्र अवसाद संबंधित बीमारियों को दूर करने में प्रयोग करना है।
शोधकर्ताओं ने अवसाद के लिए दवा-मुक्त उपचार की खोज की है।
शोधकर्ताओं ने अवसाद से उबरने के लिए बायोमार्कर की खोज की ।अटलांटा में शोधकर्ताओं ने डिप्रेशन से बचने के लिए एक नए बायो मार्कर को बनाया है जो कि दवा मुक्त उपचार की तरफ पहला कदम होगा। इस रिसर्च को नेशनल साइंस फाउंडेशन होम फॉर डिप्रैशन के द्वारा सपोर्ट किया गया है
क्या है यह बायो मार्कर
यह बायो मार्कर एक एआई तकनीक के साथ मिलकर बनवाया गया है। यह एक डीप ब्रेन स्टीमुलेशन डिवाइस की तरह काम करेगा। इसमें प्रत्यारोपित डीबीएस डिवाइस के साथ कनेक्शन किया जाएगा और दिमाग का एम आर आई स्कैन किया जाएगा। इससे इस बायोमार्कर से मरीज के डाटा के द्वारा अवसाद की स्थिति और उसके उपचार की व्यवस्था की जाएगी।इसमें एक टीवीएस लीड को सबकॉलोसल सिंगुलेट कांटेक्स में प्रत्यारोपित किया जाएगा। सबकॉलोसल सिंगुलेट कांटेक्स मस्तिष्क का वह हिस्सा है जो भावनाओं के निर्माण सीखने और स्मृति सिस्टम से जुड़ा होता है। इसी से तंत्रिका तंत्र मस्तिष्क के अन्य भागों में जाते हैं।
क्या काम करेगा यह बायो मार्कर
इस बायोमार्कर के द्वारा वैज्ञानिक अवसाद के लक्षणों को और डीबीएस को ट्रैक कर सकते हैं। जिससे यह आसानी हो जाएगी कि जब मैरिज अवसाद में होता है तो डीबीएस किस तरह से रिएक्ट करता है। इसके द्वारा दवाई मुक्त उपचार आसानी से संभव हो पाएगा। एसबीआई तकनीक के साथ मिलकर बनाया गया है डीप ब्रैंसतुलेशन डिवाइस उपचार प्रतिरोधी अवसाद के लिए थेरेपी का और अच्छा बना सकता है। प्रत्यारोपित डीबीएस डिवाइस के साथ मस्तिष्क का एमआरआई स्कैन करा कर अवसाद के लक्षणों की पहचान हो सकती है।
इस उपचार के नकारात्मक पहलू
अभी अपच सफल होगा कहानी जा सकता है क्योंकि इसमें हमें डीबीएस को मस्तिष्क में प्रत्यारोपित करना पड़ेगा इलेक्ट्रोड को प्रत्यारोपित करने के लिए एक सर्जरी करवानी पड़ेगी। जिसके परिणाम अनूकूल होंगे यह अभी संशय का विषय है। अगर इस मशीन को सही से परत्यारोपित नहीं किया गया हो तो इस तकनीक के दुष्परिणाम भी उठाने पड़ सकते हैं।
क्या है यह अनुसंधान
इस रिसर्च से उपचार प्रतिरोधी अवसाद से पीड़ित 10 व्यक्तियों को शामिल किया गया था सभी ने 6 महीने तक डीसी थेरेपी ली हर मरीज को शुरू में एक ही दो दी गई थी और बाद में उत्तेजना के सर को एक या दो डोज बढ़ा दिया गया था। रिसर्च स्कॉलर्स ने 6 रोगियों में डीबीएस डाटा का संयोजन करने के लिए बायोमार्कर का प्रयोग किया जो कि रोगी के लक्षणों को महसूस करने या रोगी के ठीक होने पर खुद ही बताने में संभव था विशेषज्ञों ने कहा कि उन्हें रिसर्च के द्वारा यह पता लगाना आसान हो गया था कि मरीज अब दोबारा से डिप्रेशन का शिकार हो सकता है या नहीं। एक मरीज में, शोधकर्ताओं ने बायोमार्कर की पहचान की और वे पूर्वव्यापी रूप से यह अनुमान लगाने में सक्षम थे कि एक मरीज चार सप्ताह पहले एक प्रमुख अवसादग्रस्तता प्रकरण में वापस आ जाएगा, जब साक्षात्कारों से पता चला कि उन्हें फिर से अवसाद होने का खतरा है।
ब्रायन एनसीईआरटी के निदेशक जॉन नागे का कहना है कि अध्ययन के द्वारा हमने तकनीक और डाटा संचालन के द्वारा डीबीएस थेरेपी को और अच्छा कर सकते हैं।
नेशनल साइंस फाउंडेशन होम फॉर डिप्रैशन रिसर्च फाऊंडेशन क्या है
यह अनुसंधान नेशनल साइंस फाउंडेशन होम फॉर डिप्रैशन रिसर्च फाऊंडेशन और जार्जिया ट्रैक में जूलियन 3 हाइट टावर चेयर द्वारा जारी किया गया है।और इस ब्रेन इनीशिएटिव का प्रबंधन 10 संस्थानों द्वारा किया जाता है। मलता मस्तिष्क को तंत्रिका तंत्र पर रिसर्च करने वाला देश का एक वित्त पोशाक संस्थान है इसका कार्य मस्तिष्क को तंत्रिका तंत्र के बारे में ज्ञान प्राप्त करना और इस ज्ञान का उपयोग तंत्रिका तंत्र अवसाद संबंधित बीमारियों को दूर करने में प्रयोग करना है।