कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को महाराष्ट्र के परभणी में हिंसा के बाद न्यायिक हिरासत में मृत दलित युवक, सोमनाथ सूर्यवंशी, के परिवार से मुलाकात की। राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि सूर्यवंशी की मौत जातिगत भेदभाव और संविधान की रक्षा के कारण हुई है। यह दावा सरकार के आधिकारिक बयानों से पूरी तरह भिन्न है।
परभणी में 10 दिसंबर को डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा के पास संविधान की एक प्रतिकृति को तोड़े जाने के बाद हिंसा भड़क उठी। यह घटना दंगे और आगजनी में बदल गई, जिसके चलते 50 से अधिक व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें 35 वर्षीय सोमनाथ सूर्यवंशी भी शामिल थे। हिरासत के दौरान, उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की, जिसके बाद उन्हें सरकारी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
राहुल गांधी का दौरा और आरोप
सोमनाथ सूर्यवंशी के परिवार से मिलने के बाद राहुल गांधी ने स्पष्ट रूप से कहा, “सोमनाथ सूर्यवंशी को संविधान की रक्षा करने वाले एक दलित होने के कारण मारा गया। यह 100% हिरासत में हत्या का मामला है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में झूठ बोला, जिससे पुलिस को ऐसे कृत्यों का प्रोत्साहन मिला।”
राहुल गांधी ने इसे एक व्यापक वैचारिक समस्या करार दिया। उन्होंने कहा, “आरएसएस की विचारधारा संविधान को नष्ट करना चाहती है, और यह दुखद घटना उसी मानसिकता का परिणाम है। हम इस मुद्दे पर राजनीति नहीं कर रहे हैं, लेकिन जवाबदेही मांग रहे हैं। मुख्यमंत्री ने गुमराह करने वाले बयान दिए हैं, और यह घटना उनकी जिम्मेदारी है। जो लोग इस हत्या के लिए जिम्मेदार हैं, उन पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए।”
हिंसा, गिरफ्तारी और उसके बाद
परभणी में हिंसा 10 दिसंबर को उस समय भड़की, जब अंबेडकर की प्रतिमा के पास संविधान की कांच से ढकी हुई प्रतिकृति को क्षतिग्रस्त कर दिया गया। यह घटना दंगों और आगजनी में बदल गई। पुलिस ने एफआईआर में 50 पहचाने गए और 300-400 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया।
11 दिसंबर को स्थानीय अपराध शाखा ने सूर्यवंशी को गिरफ्तार किया। 12 दिसंबर को उन्हें अदालत में पेश किया गया, जहां उन्हें 14 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेजा गया। इसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में परभणी जिला जेल में स्थानांतरित कर दिया गया। 15 दिसंबर को तड़के, सूर्यवंशी ने सीने में तेज दर्द की शिकायत की। जेल अधिकारियों ने उन्हें जिला सिविल अस्पताल पहुंचाया, लेकिन वहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
नांदेड़ के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस शाहाजी उमाप ने बताया कि सूर्यवंशी की मौत के पूर्व किसी बाहरी चोट के निशान नहीं मिले और उन्होंने मजिस्ट्रेट के सामने कहा था कि उनके साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं हुआ। हालांकि, राहुल गांधी ने इन दावों को खारिज करते हुए पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और परिवार द्वारा प्रस्तुत सबूतों का हवाला दिया, जो हिरासत में क्रूरता का संकेत देते हैं।
न्यायिक जांच और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पहले ही परभणी की हिंसा और सूर्यवंशी की मौत की न्यायिक जांच की घोषणा की थी। उन्होंने विधानसभा को सूचित किया कि जेल से प्राप्त सीसीटीवी फुटेज में हिंसा का कोई संकेत नहीं मिला और सूर्यवंशी ने मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान में यातना से इनकार किया था।
इन दावों के बावजूद, राहुल गांधी ने सरकारी बयान को एक “कवर-अप” करार दिया और त्वरित जवाबदेही की मांग की। उन्होंने मुख्यमंत्री पर नेतृत्व की विफलता का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से दमनकारी प्रणाली को प्रोत्साहन दिया।
राज्य कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले और अन्य वरिष्ठ पार्टी नेता राहुल गांधी के साथ सूर्यवंशी के परिवार से मिलने गए। उन्होंने दिवंगत को श्रद्धांजलि अर्पित की और परिवार के प्रति एकजुटता प्रकट की। पटोले ने कहा, “यह त्रासदी राज्य के विवेक पर कलंक है।”
जाति और संविधान: व्यापक प्रभाव
राहुल गांधी के बयान ने इस घटना को एक व्यक्तिगत त्रासदी से अधिक के रूप में चित्रित किया। उन्होंने इसे भारत में वंचित समुदायों, विशेष रूप से दलितों, द्वारा झेले जा रहे निरंतर संघर्ष का प्रतीक बताया। गांधी ने कहा, “यह सिर्फ एक व्यक्ति की बात नहीं है। यह एक ऐसी व्यवस्था की बात है जो उन लोगों के जीवन को कम महत्व देती है जो समानता और न्याय के लिए खड़े होते हैं। सूर्यवंशी का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए।”
संविधान की प्रतिकृति का विध्वंस, जो न्याय, समानता और बंधुत्व के मूल्यों पर चोट करने के रूप में देखा गया, ने इस घटना को और अधिक गंभीर बना दिया। यह वैचारिक लड़ाई का प्रतीक बन गया—उन लोगों के बीच जो संविधान के सिद्धांतों को बनाए रखना चाहते हैं और उन ताकतों के बीच जो इन्हें कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं।
न्याय की पुकार
जैसे-जैसे सूर्यवंशी की मौत की जांच आगे बढ़ रही है, न्याय की मांग जोर पकड़ रही है। नागरिक समाज समूह, कार्यकर्ता और विपक्षी दल उनके परिवार के समर्थन में सामने आ रहे हैं, न्यायिक जांच में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।
राहुल गांधी के दौरे ने इन मांगों को और अधिक मुखर बना दिया है, राज्य प्रशासन और उसके इस मामले के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया है। गांधी ने कहा, “अब समय आ गया है कि हमारी संस्थाओं में व्याप्त गहरी पूर्वाग्रहों का सामना किया जाए। सोमनाथ सूर्यवंशी के लिए न्याय, हर उस भारतीय के लिए न्याय है जो संविधान में विश्वास करता है।”
परभणी की यह त्रासदी केवल व्यक्तिगत क्षति की कहानी नहीं है, बल्कि यह इस बात की कड़ी याद दिलाती है कि भारत के संवैधानिक वादे को साकार करने में अभी कितनी चुनौतियां बाकी हैं। न्यायिक जांच के परिणाम आने तक, यह सवाल बना रहेगा कि क्या सूर्यवंशी और उनके परिवार के लिए न्याय होगा या यह घटना जातिगत हिंसा के आँकड़ों में एक और संख्या बनकर रह जाएगी।