नई दिल्ली: महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी (SP) के प्रमुख अबू आज़मी ने शनिवार को बड़ा बयान देते हुए कहा कि उनकी पार्टी महा विकास अघाड़ी (MVA) से बाहर हो जाएगी। यह फैसला शिवसेना (UBT) के बाबरी मस्जिद विध्वंस को लेकर दिए गए बयानों और उनकी हालिया सोशल मीडिया पोस्ट के बाद लिया गया। आज़मी ने इसे SP की विचारधारा के खिलाफ बताया।
आजमी ने मीडिया से कहा, “शिवसेना (UBT) ने हाल ही में एक अखबार में विज्ञापन दिया है, जिसमें उन लोगों को बधाई दी गई है जिन्होंने बाबरी मस्जिद को गिराया था। इसके साथ ही उद्धव ठाकरे के एक करीबी सहयोगी ने भी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा की है, जो मस्जिद विध्वंस का समर्थन करती है।”
SP ने MVA में बने रहने पर उठाए सवाल
समाजवादी पार्टी ने शिवसेना (UBT) के इस रुख को पूरी तरह से अस्वीकार्य बताया है। अबू आज़मी ने कहा, “हमने MVA का हिस्सा बनने का निर्णय इसलिए लिया था क्योंकि यह गठबंधन भाजपा की विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ खड़ा था। लेकिन अब यदि गठबंधन में शामिल पार्टियां भी भाजपा जैसी भाषा बोलने लगें, तो हम उनके साथ कैसे बने रह सकते हैं?
उन्होंने आगे कहा, “हम MVA से अलग हो रहे हैं। मैं इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से चर्चा कर रहा हूं और जल्द ही औपचारिक घोषणा की जाएगी।”
मिलिंद नार्वेकर की पोस्ट ने बढ़ाई नाराजगी
समाजवादी पार्टी का यह फैसला शिवसेना (UBT) नेता मिलिंद नार्वेकर की सोशल मीडिया पोस्ट के बाद आया। इस पोस्ट में बाबरी मस्जिद विध्वंस की तस्वीरें साझा की गई थीं। साथ ही, शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे के कथन को शामिल किया गया था, जिसमें लिखा था, “मुझे गर्व है उन पर जिन्होंने यह किया।”
पोस्ट में उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे और मिलिंद नार्वेकर की तस्वीरें भी थीं। यह पोस्ट न केवल SP बल्कि कई अन्य सेक्युलर पार्टियों के नेताओं के लिए भी चिंता का विषय बन गई है।
MVA का अस्तित्व खतरे में
समाजवादी पार्टी की यह नाराजगी MVA के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकती है। SP ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी हालत में ऐसे गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी जो सांप्रदायिक रुख अपनाए। आज़मी ने कहा, “हमने भाजपा के खिलाफ लड़ने के लिए इस गठबंधन का हिस्सा बनने का फैसला किया था। लेकिन जब शिवसेना (UBT) जैसी पार्टियां भी ऐसी बयानबाजी करेंगी, तो हमें इस गठबंधन का कोई फायदा नजर नहीं आता।”
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम
हाल ही में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। 288 सीटों वाली विधानसभा में महायुति ने 230 सीटें हासिल कीं, जिनमें भाजपा ने 132, शिवसेना ने 57 और NCP ने 41 सीटें जीतीं।
इसके विपरीत, MVA गठबंधन सिर्फ 46 सीटों पर सिमट गया। कांग्रेस ने मात्र 16 सीटों का योगदान दिया, जबकि अन्य सहयोगी पार्टियां उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर सकीं।
शिवसेना (UBT) का रुख और गठबंधन की राजनीति
शिवसेना (UBT) का बाबरी मस्जिद विध्वंस को लेकर यह समर्थन न केवल SP के लिए, बल्कि अन्य धर्मनिरपेक्ष दलों के लिए भी मुश्किल खड़ी कर सकता है। गठबंधन की राजनीति में, जहां विचारधारा और उद्देश्यों का मेल महत्वपूर्ण होता है, ऐसे विवादित बयान और पोस्ट गठबंधन को कमजोर कर सकते हैं।
क्या हो सकते हैं राजनीतिक परिणाम?
SP के इस कदम का महाराष्ट्र की राजनीति पर गहरा असर पड़ सकता है। MVA पहले से ही भाजपा के महायुति गठबंधन के सामने कमजोर साबित हुआ है। अब SP का अलग होना MVA को और अधिक कमजोर करेगा।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस कदम से भाजपा को फायदा हो सकता है, क्योंकि विपक्ष में फूट से सत्ताधारी गठबंधन का पलड़ा और भारी हो सकता है। अब देखना होगा कि SP का यह फैसला MVA में शामिल अन्य दलों को किस तरह प्रभावित करता है और आगामी चुनावों में इसके क्या नतीजे सामने आते हैं।
निष्कर्ष
समाजवादी पार्टी का MVA से अलग होने का फैसला महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। यह गठबंधन, जो भाजपा के खिलाफ खड़ा हुआ था, अब खुद अंदरूनी मतभेदों और सांप्रदायिक मुद्दों से जूझता नजर आ रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या MVA इस टूट को संभाल पाएगा या यह राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव लेकर आएगा।