अभी तक हम ज्यादा खाने को अपने मोटापे की जड़ मानते थे लेकिन अभी रिसर्च से पता चला है कि हमारे तंत्रिका तंत्र के न्यूरॉन्स हमारे मोटापे के लिए जिम्मेदार हैं। वैज्ञानिकों की टीम ने हमारे तंत्रिका तंत्र में ऐसे न्यूरॉन्स की खोज की है जो कि हमारे भोजन के सेवन को नियंत्रित करते है। हमारी भूख को नियंत्रित करते है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि हमारे जबड़े के पीछे तांत्रिक तंत्र का एक समूह है जिसमें तीन न्यूरॉन्स ऐसे हैं जो कि हमारी भूख को नियंत्रित करते हैं। यह तीन न्यूरॉन्स हमारे जबड़े को चबाने के लिए उत्तेजित करने के लिए हमारे जबड़े को भूख लगने वाले हार्मोन से जोड़ते है। जबड़े और तंत्रिका तंत्र के बीच में हाइपोथैलेमस ग्रंथि होती है जिसके अंदर इन न्यूराॅन्स का समूह पाया गया है जब यह न्यूरॉन्स क्षतिग्रस्त होते हैं तब हमें लगातार भूख लगती रहती है। जिसके कारण हम अनावश्यक रूप से खाते रहते हैं और मोटापे का शिकार बनते हैं।
क्या होता है जब यह न्यूराॅन्स क्षतिग्रस्त होते हैं
अगर यह न्यूराॅन्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं तो हमें लगातार भूख लगती है। मनुष्य के अतिरिक्त जानवरों में भी इन न्यूरॉन्स की रिएक्शन देखी गई है। जब यह न्यूरॉन्स क्षतिग्रस्त हो जाते हैं तो जानवरों को भूख लगती है। आपने कई बार देखा होगा कि कई जानवर भोजन सामने न होने पर और खाने की स्थिति ना अपना जबड़ा लगातार चबाते रहते हैं।
न्यूराॅन्स
न्यूरॉन्स का काम शरीर को संकेत देना होता है कि खाने का समय हो गया है। हमारा शरीर खाना देखकर मुंह चलाना शुरु कर देता है। जब हम जबड़े से चबाते हैं तो यह न्यूरॉन्स संकेत देते हैं कि खाने का समय हो गया है। जब यह न्यूरॉन्स समय के साथ कमजोर होने लगते हैं या फिर हमारे शरीर में तंत्रिका तंत्र में कमी आ जाती है तो यह न्यूरॉन्स काम करना बंद कर देते हैं। या कम कर देते हैं। जिसके कारण हमें लगातार भूख लगती रहती है। हमारे न्यूरॉन्स का काम सिर्फ भूख लगना ही नहीं होता बल्कि हमें खाने के स्वाद, गंध और गुण का भी परिचय करना होता है।
क्या कहना है वैज्ञानिकों का
वैज्ञानिकों ने जीनोम विज्ञान संस्था के साथ न्यूयॉर्क और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के रिसर्च स्कॉलरों ने मिलकर न्यूरॉन्स की एक कॉलोनी की खोज की है। यह न्यूरॉन्स लेप्टिन हारमोंस के लिए जिम्मेदार बताए गए हैं। लेप्टिन हार्मोन भूख को दबाने के लिए शरीर के वसा भंडार से मस्तिष्क में भेजा जाता है। जब हमारा शरीर जरूर से ज्यादा खा लेता है तब वह वसा का भंडारण करने लगता है। ऐसे में जब हम खाना खा रहे होते हैं तो मस्तिष्क से कुछ न्यूराॅन्स तंत्रिका तंत्र तक जाते हैं और तंत्रिका तंत्र से यह न्यूराॅन लैप्टिन हार्मोन तक जाते हैं। तंत्रिका तंत्र से ये न्यूरॉन्स लेप्टिन हारमोंस को संकेत भेजते हैं और लेप्टिन हार्मोन भूख दबाने का काम करता है। लैटिन हार्मोन हमारे शरीर को भोजन न करने के लिए कहता है। लेप्टिन हार्मोन हाइपोथैलेमस ग्लैंड में पाया जाता है। रिसर्च स्कॉलर्स का कहना है कि हम जानते हैं कि हाइपोथैलेमस मस्तिष्क में गहराई से स्थित हार्मोन भूख, तनाव प्रक्रियाओं और शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में भूमिका निभाता है लेकिन अब यह भी ज्ञात हुआ है कि यह न्यूरॉन्स और लेप्टिन हार्मोन दोनों मिलकर भूख को दबाने में मदद करते हैं बल्कि भोजन से संबंधित संकेत को भी मस्तिष्क तक पहुंचाते हैं।
क्या कारण है मोटापे का
हम सभी को लगता है कि ज्यादा खाना मोटापे का सबसे बड़ा कारण है लेकिन कभी सोचा है कि कुछ लोगों को बिल्कुल भूख नहीं लगती और कुछ लोग पूरे दिन खाते हैं तो क्या कारण है इन सब की अलग-अलग सोचों का। वैज्ञानिकों की माने तो इसका सबसे बड़ा कारण पर्यावरण, हमारा भोजन और जींस की गतिशीलता है। जो कि हर व्यक्ति में अलग-अलग होती है जींस की गतिशीलता हमारे शरीर के न्यूरॉन्स पर निर्भर करती है।
क्या फायदा हो सकता है इस शोध से
वैज्ञानिकों का दावा है कि अगर हमे न्यूरॉन्स को नियंत्रित कर ले तो हम अपनी भूख को भी नियंत्रित कर लेंगे। जिसके कारण हमें भूख कम लगेगी और हमारा वजन भी संतुलित रहेगा। हमे न्यूरॉन्स को सक्रिय करके अपनी भूख को दबा सकते हैं। वैज्ञानिकों की माने तो यह मोटापे के उपचार के लिए एक कारगर उपाय हो सकता है। हमें न्यूरॉन्स को सक्रिय करके अपनी भूख को कंट्रोल कर सकते हैं। जिसके कारण हमारा वजन संतुलित रह सकता है।