क्या डार्क चॉकलेट खाना टाइप 2 डायबिटीज़ के जोखिम को कम कर सकता है? हालिया शोध कहता है, हां! जबकि ज्यादातर लोग चॉकलेट को एक स्वादिष्ट लेकिन “गिल्टी प्लेज़र” मानते हैं, हार्वर्ड टी.एच. चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के एक अध्ययन ने यह चौंकाने वाला तथ्य उजागर किया है: नियमित रूप से डार्क चॉकलेट का सेवन टाइप 2 डायबिटीज़ के जोखिम को 21% तक कम कर सकता है। आइए जानें कि डार्क चॉकलेट आपकी सेहत के लिए कैसे फायदेमंद हो सकती है।
डार्क चॉकलेट के पीछे का आश्चर्यजनक विज्ञान
भारतीय उपमहाद्वीप में चॉकलेट को आमतौर पर मिठाई के रूप में देखा जाता है और इसे कैंडीज और अन्य शर्करा युक्त खाद्य पदार्थों की श्रेणी में रखा जाता है। लेकिन यह स्वादिष्ट भोजन स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने वाला हो सकता है।
अध्ययन में पाया गया कि जिन लोगों ने दूध वाली चॉकलेट की जगह डार्क चॉकलेट का सेवन किया, उनमें टाइप 2 डायबिटीज़ का जोखिम कम हुआ।
हार्वर्ड में न्यूट्रीशन और एपिडेमियोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर क्यूई सन ने कहा, “डार्क और दूध वाली चॉकलेट के प्रभाव में स्पष्ट अंतर देखकर हम हैरान थे।”
डार्क चॉकलेट बनाम दूध वाली चॉकलेट: अंतर क्या है?
डार्क चॉकलेट को बेहतर बनाने वाले कारण:
- पॉलीफेनॉल्स की ताकत: डार्क चॉकलेट में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में होते हैं, जो चीनी और वसा के नकारात्मक प्रभावों को संतुलित कर सकते हैं।
- वज़न प्रबंधन में मदद: दूध वाली चॉकलेट के विपरीत, डार्क चॉकलेट का सेवन लंबे समय में वजन बढ़ाने से जुड़ा नहीं है।
- कम चीनी सामग्री: डार्क चॉकलेट में आमतौर पर कम चीनी होती है, जिससे इंसुलिन रेजिस्टेंस (डायबिटीज़ का मुख्य कारण) का खतरा कम होता है।
दूध वाली चॉकलेट इन लाभों से वंचित है और यह लंबे समय में वजन बढ़ाने से जुड़ी हुई है।
डार्क चॉकलेट का आनंद कैसे लें?
डार्क चॉकलेट के स्वास्थ्य लाभ उठाने के लिए:
- उच्च कोको सामग्री चुनें: 70% या उससे अधिक कोको वाली चॉकलेट को प्राथमिकता दें।
- पोर्टियन पर ध्यान दें: हर दिन एक छोटा टुकड़ा पर्याप्त है, इससे अधिक न खाएं।
- अतिरिक्त तत्वों से बचें: ऐसी चॉकलेट चुनें जिसमें कम से कम चीनी और कोई अस्वस्थ फिलर्स न हो।