Tuesday, December 3, 2024
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ट्रम्प की धमकी से हिला बाजार! चीन से आयात पर सजा के शुल्क की चेतावनी के बाद सेंसेक्स भारी गिरावट में

सोमवार को सेंसेक्स लगातार सातवें दिन गिरावट के साथ बंद हुआ, जिससे यह “मंदी क्षेत्र” में प्रवेश कर गया। यह गिरावट मुख्य रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति-निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियों को लेकर बढ़ती चिंताओं और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा लगातार बिकवाली के कारण हुई। 30-शेयर वाला यह प्रमुख सूचकांक 241.30 अंक (0.31%) गिरकर 77,339.01 पर बंद हुआ, जो एक अस्थिर कारोबारी सत्र के बाद आया।

मंदी क्षेत्र का क्या अर्थ है?

“मंदी क्षेत्र” वह स्थिति है जब कोई प्रमुख सूचकांक, जैसे सेंसेक्स, अपने हाल के उच्चतम स्तर से 10% या अधिक की गिरावट दर्ज करता है। सेंसेक्स ने 27 सितंबर को अपने 85,978.25 के उच्चतम स्तर से 10% से अधिक की गिरावट दर्ज की, जिससे यह महत्वपूर्ण सीमा 77,380.42 के नीचे चला गया।
पिछले सप्ताह, निफ्टी ने भी इसी मंदी के क्षेत्र में प्रवेश किया, जिससे विश्लेषकों ने भविष्यवाणी की कि आने वाले दिनों में शेयर बाजार और गिरावट का सामना कर सकता है।

ट्रंप की नीतियां: वैश्विक बाजारों में अस्थिरता

इस गिरावट के पीछे एक प्रमुख कारण राष्ट्रपति-निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप की बयानबाजी है, जिसमें उन्होंने चीन से आयात पर भारी शुल्क लगाने की धमकी दी है। ट्रंप ने चीनी सामानों पर 60% टैरिफ लगाने का सुझाव दिया है, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित होने और उभरते बाजारों, विशेषकर भारत, पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।
इस प्रकार की संरक्षणवादी नीतियां अमेरिका में मुद्रास्फीति को बढ़ा सकती हैं, जिससे यह फेडरल रिजर्व के 2% लक्ष्य से आगे निकल सकती है। यह स्थिति दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं को सीमित कर सकती है।

एफपीआई की लगातार बिकवाली

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली ने बाजार की स्थिति को और खराब किया है। स्टॉक एक्सचेंज से प्राप्त अस्थायी आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को एफपीआई ने ₹1,403.40 करोड़ के शेयर बेचे। नवंबर माह में अब तक, उन्होंने $2.83 बिलियन मूल्य के शेयरों की बिक्री की है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बिकवाली कमजोर दूसरी तिमाही के कॉरपोरेट नतीजों और मई में हुए आम चुनावों के बाद स्टॉक वैल्यूएशन में तेजी से वृद्धि के कारण हो रही है। उच्च मूल्यांकन और धीमी आय वृद्धि का यह मिश्रण निवेशकों के विश्वास को कमजोर कर रहा है।

आईटी सेक्टर पर दबाव

आईटी सेक्टर ने सबसे अधिक दबाव झेला, क्योंकि ट्रंप की संभावित नीतियों से तकनीकी अनुबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है।

  • टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) सोमवार को सबसे बड़ा नुकसान झेलने वाला स्टॉक रहा, जो 3.05% गिर गया।
  • अन्य प्रमुख आईटी कंपनियों जैसे इन्फोसिस, एचसीएल टेक्नोलॉजीज और टेक महिंद्रा ने भी गिरावट दर्ज की।

वित्तीय और फार्मा सेक्टर भी इस बिकवाली से अछूते नहीं रहे। एक्सिस बैंक, बजाज फिनसर्व, सन फार्मा और इंडसइंड बैंक जैसे स्टॉक्स में भी गिरावट दर्ज की गई। यहां तक कि रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भी 2.82% की गिरावट झेली।

मजबूती दिखाने वाले स्टॉक्स

हालांकि, बाजार में कुछ स्टॉक्स ने मजबूती दिखाई। टाटा स्टील, हिंदुस्तान यूनिलीवर, महिंद्रा एंड महिंद्रा, नेस्ले इंडिया और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जैसे शेयरों ने मामूली बढ़त हासिल की। हालांकि, ये लाभ व्यापक बाजार में गिरावट को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं थे।

अस्थिरता ने बढ़ाई चिंता

कारोबारी सत्र के दौरान भारी अस्थिरता देखी गई। सेंसेक्स 615.25 अंक गिरकर 76,965.06 के इंट्राडे निचले स्तर पर पहुंच गया। इसी तरह, निफ्टी 78.90 अंक गिरकर 23,453.80 पर बंद हुआ। इन उतार-चढ़ावों ने निवेशकों के बीच बढ़ती अनिश्चितता को उजागर किया।

आर्थिक प्रभाव और भविष्य की दिशा

हाल की गिरावट ने भारतीय शेयर बाजार की लचीलापन पर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर वैश्विक और घरेलू चुनौतियों के मद्देनजर।
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप की व्यापार नीतियां भारत के निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं, विशेषकर आईटी और फार्मास्युटिकल सेक्टर में, जो वैश्विक बाजारों पर बहुत अधिक निर्भर हैं।
इसी के साथ, घरेलू मुद्दे जैसे कमजोर आय वृद्धि, उच्च मुद्रास्फीति और राजकोषीय अनुशासन की चिंताएं भी निवेशकों के विश्वास को प्रभावित कर रही हैं।

निवेशकों के लिए रणनीति

इस समय, विशेषज्ञ सतर्क और विविधीकृत निवेश दृष्टिकोण अपनाने की सलाह देते हैं। जबकि मंदी का दौर मजबूत फंडामेंटल वाले स्टॉक्स में खरीदारी का मौका प्रदान कर सकता है, व्यापक अनिश्चितता जोखिमों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन आवश्यक बनाती है।
निवेशकों को ध्यान रखना चाहिए:

  1. वैश्विक आर्थिक घटनाक्रम: अमेरिका की व्यापार नीतियों से संबंधित किसी भी ठोस घोषणा पर नजर रखनी होगी।
  2. घरेलू आर्थिक संकेतक: मुद्रास्फीति, औद्योगिक उत्पादन और राजकोषीय घाटे से संबंधित डेटा निकट भविष्य में बाजार की दिशा तय करेंगे।
  3. कॉरपोरेट आय: आगामी तिमाहियों में आय वृद्धि का रुख निवेशकों का विश्वास बहाल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

निष्कर्ष

सेंसेक्स का मंदी क्षेत्र में प्रवेश मौजूदा बाजार भावनाओं की नाजुकता को दर्शाता है, जो बाहरी और आंतरिक दोनों चुनौतियों से प्रेरित है।
जबकि वैश्विक बाजार ट्रंप प्रशासन की संभावित नीतिगत बदलावों के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं, भारतीय बाजार अनिश्चितताओं के चौराहे पर खड़ा है।
हालांकि, आने वाला रास्ता चुनौतियों से भरा हो सकता है, यह उन निवेशकों के लिए अवसर भी प्रदान करता है, जो अस्थिरता के बीच रणनीतिक रूप से निवेश कर सकते हैं। फिलहाल, बाजार सतर्क रहेगा और हर आर्थिक और राजनीतिक घटनाक्रम पर पैनी नजर रखेगा।

ABHISHEK KUMAR ABHAY
ABHISHEK KUMAR ABHAY
I’m Abhishek Kumar Abhay, a dedicated writer specializing in entertainment, national news, and global issues, with a keen focus on international relations and economic trends. Through my in-depth articles, I provide readers with sharp insights and current developments, delivering clarity and perspective on today’s most pressing topics.
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