बड़ी खबर: अमेरिका की राजनीति में हलचल
अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई (FBI) ने गुरुवार सुबह मैरीलैंड स्थित जॉन बोल्टन के घर पर छापा मारा। जॉन बोल्टन, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रह चुके हैं और लंबे समय से ट्रंप के आलोचक के रूप में जाने जाते हैं।
छापेमारी का कारण क्या है?
सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई एक “राष्ट्रीय सुरक्षा जांच” का हिस्सा है। एफबीआई अधिकारियों का कहना है कि वे बोल्टन के घर से गोपनीय दस्तावेज़ (classified records) की तलाश कर रहे हैं।
एफबीआई का आधिकारिक बयान
एफबीआई ने बयान जारी करते हुए कहा कि यह “अदालत द्वारा अधिकृत कार्रवाई” है और आम जनता की सुरक्षा को लेकर कोई खतरा नहीं है। इसका मतलब है कि जॉन बोल्टन के निवास स्थान के लिए अदालत से सर्च वारंट लिया गया था।
सोशल मीडिया पर हलचल
एफबीआई निदेशक कश्यप पटेल (Kash Patel) ने ट्वीट किया –
👉 “कानून से ऊपर कोई नहीं… एफबीआई एजेंट अपने मिशन पर हैं।”
वहीं, अटॉर्नी जनरल पैम बॉन्डी ने इस ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा –
👉 “अमेरिका की सुरक्षा समझौते के योग्य नहीं है। न्याय हमेशा होगा।”
एफबीआई के उप निदेशक डैन बॉनजीनो ने भी लिखा –
👉 “सार्वजनिक भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट
न्यूयॉर्क पोस्ट ने सबसे पहले इस छापेमारी की खबर प्रकाशित की। रिपोर्ट के अनुसार, एफबीआई निदेशक कश्यप पटेल ने ही इस जांच का आदेश दिया था।
ट्रंप से जुड़ा विवाद
ध्यान देने योग्य है कि डोनाल्ड ट्रंप पर पहले भी गोपनीय सरकारी दस्तावेज़ अपने साथ मार-ए-लागो क्लब (फ्लोरिडा) में रखने का आरोप लगा था। हालांकि, 2024 के अंत में ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने के बाद न्याय विभाग ने यह केस बंद कर दिया।
जॉन बोल्टन की किताब विवाद में
साल 2020 में ट्रंप प्रशासन ने जॉन बोल्टन के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। उनकी किताब “The Room Where It Happened” ट्रंप प्रशासन की कड़ी आलोचना करती थी। उस समय अमेरिकी न्याय विभाग ने कहा था कि बोल्टन ने गोपनीय सूचनाओं पर लिखकर अपने समझौते का उल्लंघन किया है।
लेकिन जून 2021 में, राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में, यह मुकदमा वापस ले लिया गया।
जॉन बोल्टन का राजनीतिक करियर
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जॉन बोल्टन ने 2018 से 2019 तक ट्रंप सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में काम किया।
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वह जॉर्ज डब्ल्यू. बुश प्रशासन के दौरान संयुक्त राष्ट्र (UN) में अमेरिका के राजदूत भी रह चुके हैं।
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह छापेमारी अमेरिकी राजनीति में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकती है। इससे ट्रंप समर्थकों और विरोधियों के बीच खींचतान और तेज होने की संभावना है।
निष्कर्ष
एफबीआई की इस कार्रवाई ने अमेरिका की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। जॉन बोल्टन पहले से ही ट्रंप के खिलाफ मुखर रहे हैं और अब उनके घर पर हुई छापेमारी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।