द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे मजबूत रिश्ते: मॉस्को में बोले एस. जयशंकर

रूस और यूक्रेन युद्ध में क्या संभव है शांति 

भारत-रूस संबंधों पर मॉस्को में अहम वार्ता

भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की और कहा कि भारत-रूस संबंध विश्व युद्ध द्वितीय के बाद से सबसे स्थिर और मजबूत रहे हैं। इस बैठक में दोनों नेताओं ने राजनीतिक रिश्तों, व्यापारिक सहयोग, रक्षा, निवेश, विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर चर्चा की।

“विशेष रणनीतिक साझेदारी” पर जोर

लावरोव ने भारत-रूस रिश्तों को “विशेष रणनीतिक साझेदारी” बताया। उन्होंने कहा कि यह संबंध दोनों देशों के नेताओं की दूरदर्शिता और मजबूत निर्णयों से निर्मित हुए हैं।

व्यापार और निवेश पर अहम चर्चा

जयशंकर मॉस्को पहुंचने से पहले रूस के उप प्रधानमंत्री डेनिस मंतुरोव से व्यापार और आर्थिक वार्ता कर चुके थे। उन्होंने कहा कि भारत और रूस को पारंपरिक तरीकों से आगे बढ़कर नए क्षेत्रों में सहयोग करना चाहिए।

उच्च-स्तरीय मुलाकातों का सिलसिला

विदेश मंत्री ने हाल की मुलाकातों का जिक्र किया, जिनमें 22वां वार्षिक शिखर सम्मेलन और कज़ान में हुई नेतृत्व बैठक शामिल है। साथ ही, अजीत डोभाल, अश्विनी वैष्णव और नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी की रूस यात्राओं ने भी द्विपक्षीय रिश्तों की गहराई को दर्शाया।

बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत-रूस रिश्ते

जयशंकर ने कहा कि आज दुनिया एक बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर बढ़ रही है, जिसमें SCO, BRICS और G20 की भूमिका अहम है। ऐसे में भारत और रूस को अपने सहयोग को और व्यापक करना होगा।

अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव की पृष्ठभूमि

यह बैठक उस समय हुई जब अमेरिका ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में भारत और रूस पर नए व्यापारिक शुल्क लगाए हैं। अमेरिकी कदम से भारत चिंतित है क्योंकि इससे तेल व्यापार और निर्यात पर असर पड़ सकता है।

रूस के साथ सहयोग विस्तार का संकल्प

जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत-रूस को अब सिर्फ “ज्यादा करना” ही नहीं बल्कि “अलग तरीके से करना” भी सीखना होगा। उन्होंने रूसी कंपनियों को भारतीय बाजार में अधिक सक्रिय होने का आह्वान किया।

निष्कर्ष

भारत और रूस के बीच रिश्ते दशकों से मजबूत रहे हैं और मौजूदा समय में बदलते भू-राजनीतिक हालात में यह साझेदारी और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। दोनों देशों के लिए यह आवश्यक है कि वे नए क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाएं और वैश्विक मंच पर एक-दूसरे का समर्थन करें।

Most Popular

About Author