बरसात के मौसम में स्वास्थ्य और ऊर्जा को बनाए रखने के आसान योगासन 

बरसात के मौसम में स्वास्थ्य और ऊर्जा को बनाए रखने के आसान योगासन 

बरसात का मौसम नमी, चिपचिपे पसीने और सीलन का मौसम होता है। जिसके कारण अक्सर सर्दी जुकाम पसीने और थकान की समस्या रहने लगती है। ऐसे में आइए जानें ऐसे योगासन और प्राणायाम जो कि हमारे शरीर के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं।

बरसात के मौसम में योगा करना क्यों आवश्यक है 

मानसिक मानसून का मौसम रिमझिम बारिश का मौसम ऐसे मानसून के मौसम में सभी का चाट पकोड़े, समोसे, जलेबी खाने का मन होता है। और जब हम अपना शरीर देखते हैं तो हम एक जगह पर 1 घंटे बैठे रहते हैं हमें इस भोजन को करने के बाद बहुत नींद आती है बहुत प्यास लगती है हम बहुत थका थका महसूस करते हैं। इन पकोड़ौं, जलेबी के खाने के बाद होने वाले दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए योगासन करना भी आवश्यक होता है बारिश की नमी और सीलन शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। शरीर को ऊर्जा और स्फूर्ति देने के लिए योगासन और प्राणायाम करना आवश्यक है। 

इम्युनिटी बढ़ाने के लिए जरूरी है योगासन और प्राणायाम 

बारिश के मौसम में वायरल इन्फेक्शन का खतरा बहुत होता है ऐसे में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अर्थात इम्यूनिटी का स्ट्रांग होना काफी आवश्यक है। किसी भी व्यक्ति की इम्युनिटी तभी स्ट्रॉन्ग होती है जब उसका शरीर मजबूत होता है। शरीर को अंदर और बाहर से स्वस्थ रखने के लिए योगासन और प्राणायाम करना अनिवार्य है।

बारिश के मौसम में कौन से योगासन करें 

बारिश के मौसम में ना हमारा घर से बाहर जाने का मन होता है नहीं परिस्थितियों के कारण ऐसा संभव हो पाता है। ऐसे में हमें ऐसे योगासन करने चाहिए जिन्हें हम कम से कम जगह पर भी आराम से कर पाए। जिन्हें करते समय हमें ज्यादा थकान ना हो और पसीना और सीलन भी हमें योगासन करने से रोक न पाए। ऐसे में सबसे पहले तो हमें निरंतर व्यायाम करना, अपने शरीर के हर जोड़ को सक्रिय करना आवश्यक है उसके बाद ही हम किसी भी आसान कर सकते हैं। 

मानसून के मौसम में कौन-कौन से योगासन है लाभदायक

मानसून के मौसम में ताड़ासन, भुजंगासन, वज्रासन, सेतुबंध आसन, पवनमुक्तासन, सूर्य नमस्कार जैसे आसनों को कर के हम स्वस्थ रह सकते हैं। इन आसानों को करने से हमें थकान तो कम होगी लेकिन हमारे शरीर को ऊर्जा भरपूर मात्रा में मिलेगी।

प्राणायाम 

सांसों के शरीर के अंदर जाने और बाहर निकालने की प्रक्रिया को प्राणायाम कहा गया है। आयुर्वेद में कई प्रकार के प्राणायाम बताए गए हैं। मानसून के मौसम में हमें ऐसे प्राणायाम करने की आवश्यकता है जिनसे हमें कम थकान हो लेकिन हमारा शरीर ऊर्जा से भरपूर हो। कपालभाति, अनुलोम विलोम, भ्रामरी ऐसे ही प्राणायाम हैं। कपालभाति प्राणायाम हमारे शरीर के पाचन तंत्र व ऊर्जा के लिए अत्यंत आवश्यक है। अनुलोम विलोम प्राणायाम करने से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।अनुलोम विलोम प्राणायाम खांसी सर्दी जुकाम में विशेष लाभ देने वाला प्राणायाम है। भ्रामरी मानसिक तनाव और अशांति को दूर कर भ्रामरी आपको तनाव मुक्त करता है। रात को भ्रामरी प्राणायाम करके सोने के बाद अच्छी नींद आती है। मनुष्य ऊर्जा से परिपूर्ण महसूस करता है।

मानसून में योगाभ्यास करते समय सावधानियां 

मानसून में योगाभ्यास करते हुए कोई सावधानियां अवश्य रखें ऐसी जगह पर व्यायाम न करें जहां पर कीड़े मकोड़े या मक्खी मच्छरों का जहां प्रकोप हो ऐसे खुली जगह पर व्यायाम न करें। बारिश की अगर एक भी बूंद आपको अपने शरीर पर पड़ती दिखे तो फौरन वहां से हट जाए। यह बारिश की एक बूंद भी आपको काफी नुकसान पहुंचा सकती है। किसी भी गीली या नमी वाली जगह पर व्यायाम न करें क्योंकि इससे आपको फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। हाइजीनिकली यह सुरक्षित नहीं है आपको स्किन एलर्जी भी हो सकती है। हल्के आरामदायक और ढीले कपड़े पहने शरीर से चिपके हुए सिंथेटिक कपड़े पहने बारिश के मौसम में ऐसे कपड़े पसीने और सीलन की बड़ी वजह बन सकते हैं। योगाभ्यास सुबह-सुबह करने की आदत डालें। आप शाम को भी योगाभ्यास किया जा सकता है।

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