रूस-यूक्रेन युद्ध अब तक दुनिया के लिए सबसे गंभीर भू-राजनीतिक संकटों में से एक बन चुका है। इस युद्ध ने न केवल यूरोप की स्थिरता को हिलाकर रख दिया है, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था, ऊर्जा आपूर्ति, और सैन्य संतुलन पर भी बड़ा प्रभाव डाला है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो अब फिर से राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में हैं, इस युद्ध को समाप्त करने के लिए अपनी टीम को सक्रिय कर चुके हैं। उनकी टीम ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के पास 30 दिनों के युद्धविराम का प्रस्ताव भेजा है, जिससे यह उम्मीद जगी है कि शायद युद्ध का अंत निकट हो सकता है। लेकिन क्या रूस इसे स्वीकार करेगा?
ट्रंप की शांति योजना: एक संक्षिप्त विश्लेषण
डोनाल्ड ट्रंप लंबे समय से यह दावा करते आ रहे हैं कि अगर वे राष्ट्रपति होते, तो रूस-यूक्रेन युद्ध कभी शुरू ही नहीं होता। उनका तर्क है कि जो बाइडेन प्रशासन की कमजोर विदेश नीति और रूस पर पर्याप्त दबाव बनाने में असफलता के कारण ही यह युद्ध हुआ। अब, अपनी चुनावी रणनीति के तहत, ट्रंप इस युद्ध को जल्द समाप्त करने के लिए एक ठोस योजना के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
ट्रंप की टीम के अनुसार, युद्धविराम प्रस्ताव में निम्नलिखित प्रमुख बिंदु शामिल हैं:
- 30 दिनों के लिए सभी सैन्य कार्रवाइयों को रोकना – यह एक अस्थायी युद्धविराम होगा, जिसके दौरान दोनों पक्षों को शांति वार्ता के लिए तैयार किया जाएगा।
- यूक्रेन की नाटो सदस्यता पर अस्थायी रोक – इस प्रस्ताव के तहत, यूक्रेन को अगले 20 वर्षों तक नाटो में शामिल न होने की गारंटी देनी होगी।
- शांति सेना की तैनाती – ब्रिटेन और यूरोपीय संघ की सेना को एक बफर ज़ोन के रूप में तैनात किया जाएगा, ताकि किसी भी पक्ष द्वारा युद्धविराम का उल्लंघन न किया जाए।
- रूस को प्रतिबंधों में आंशिक राहत – यदि रूस इस प्रस्ताव को स्वीकार करता है, तो अमेरिका और यूरोप द्वारा लगाए गए कुछ आर्थिक प्रतिबंधों को आंशिक रूप से हटाया जा सकता है।
रूस की प्रतिक्रिया: पुतिन क्या चाहते हैं?
रूस की सरकार ने फिलहाल इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इस प्रस्ताव को ‘अव्यावहारिक‘ करार दिया है और कहा है कि रूस यूक्रेन की नाटो सदस्यता पर सिर्फ 20 वर्षों की रोक नहीं, बल्कि स्थायी प्रतिबंध चाहता है। रूस का यह भी मानना है कि युद्धविराम से यूक्रेन को अपने सैनिकों को पुनर्गठित करने और अधिक सैन्य सहायता प्राप्त करने का अवसर मिलेगा, जिससे रूस की रणनीतिक स्थिति कमजोर हो सकती है।
पुतिन की मुख्य मांगें इस प्रकार हैं:
- यूक्रेन को हमेशा के लिए नाटो से बाहर रखा जाए।
- रूस द्वारा अधिग्रहित क्षेत्रों (डोनेट्स्क, लुहांस्क, खेरसॉन, और ज़ापोरिज्जिया) को आधिकारिक रूप से रूसी क्षेत्र के रूप में मान्यता दी जाए।
- अमेरिका और यूरोपीय देशों द्वारा लगाए गए सभी बड़े आर्थिक प्रतिबंध हटाए जाएं।
ट्रंप की चेतावनी: अमेरिका की नई रणनीति
डोनाल्ड ट्रंप ने पुतिन को स्पष्ट कर दिया है कि यदि रूस इस प्रस्ताव को अस्वीकार करता है, तो अमेरिका के पास ऐसे कई विकल्प हैं जो रूस को वित्तीय और सैन्य रूप से कमजोर कर सकते हैं। ट्रंप के अनुसार, अगर पुतिन युद्धविराम के लिए तैयार नहीं होते हैं, तो अमेरिका रूस की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से नष्ट करने की योजना बना सकता है।
हालांकि, यह रणनीति भी कई सवाल खड़े करती है:
- क्या अमेरिका वास्तव में रूस पर इतने कठोर आर्थिक प्रतिबंध लगा सकता है कि वह झुक जाए?
- क्या इससे रूस और चीन की नजदीकी और नहीं बढ़ेगी?
- क्या यूरोप इस प्रस्ताव का समर्थन करेगा, जबकि वह पहले ही यूक्रेन को अरबों डॉलर की सहायता दे चुका है?
यूक्रेन का नजरिया: ज़ेलेंस्की की दुविधा
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की इस प्रस्ताव को लेकर सावधानी बरत रहे हैं। वे इसे एक सकारात्मक कदम मानते हैं, लेकिन उनकी सरकार की मुख्य चिंता यह है कि युद्धविराम के दौरान रूस अपनी सैन्य स्थिति मजबूत कर सकता है और बाद में और अधिक हमले कर सकता है। यूक्रेन चाहता है कि कोई भी शांति समझौता उसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करे।
भविष्य की संभावनाएं और निष्कर्ष
अब गेंद पूरी तरह से रूस के पाले में है। यदि पुतिन इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं, तो यह युद्धविराम एक स्थायी शांति समझौते की ओर पहला कदम हो सकता है। लेकिन अगर वे इसे अस्वीकार करते हैं, तो आने वाले महीनों में अमेरिका और रूस के बीच तनाव और बढ़ सकता है।
ट्रंप की यह पहल उन्हें आगामी अमेरिकी चुनावों में फायदा पहुंचा सकती है, क्योंकि अमेरिकी मतदाता भी इस युद्ध के शीघ्र अंत की उम्मीद कर रहे हैं। लेकिन क्या यह प्रस्ताव वास्तव में युद्ध को समाप्त करने में सक्षम होगा, यह आने वाले हफ्तों में स्पष्ट हो जाएगा।