Thursday, July 17, 2025
HomeFeaturedजीवनशैलीसावन 2025 के प्रमुख व्रत और त्योहार विधि, तिथि और महत्व सहित...

सावन 2025 के प्रमुख व्रत और त्योहार विधि, तिथि और महत्व सहित पूरी जानकारी 

सावन का महीना हिंदू धर्म के अनुसार काफी पवित्र और फलकारी महीना माना जाता है यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है इस महीने नाग पंचमी, शिवरात्रि, हरियाली तीज जैसे अनेक त्यौहार आते हैं और इस महीने का समापन रक्षाबंधन भाई बहनों के पवित्र त्यौहार से होता है। 

सावन आ चुका है आइए जानते हैं सावन 2025 में आने वाले व्रत और त्योहारों की लिस्ट, उनकी तिथि उनके धार्मिक महत्व और उनकी पूजा विधि। व्रत रखने से पहले एक बार अवश्य पढ़ें।

सावन 2025 के प्रमुख व्रत और त्योहार 

 सावन का महीना हिंदू धर्म के अनुसार काफी पवित्र और फलकारी महीना माना जाता है यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है इस महीने नाग पंचमी, शिवरात्रि, हरियाली तीज जैसे अनेक त्यौहार आते हैं और इस महीने का समापन रक्षाबंधन भाई बहनों के पवित्र त्यौहार से होता है। 

सावन/(जुलाई- अगस्त) 2025 में आने वाले प्रमुख व्रत और त्योहारों की तिथियां 

 

सावन के सोमवार

  • पहला सावन सोमवार 7 जुलाई हो गया है ।
  • दूसरा सावन सोमवार आज 14 जुलाई को होगा।
  • तीसरा सावन सोमवार 21 जुलाई को होगा। 
  • चौथा सावन सोमवार 28 जुलाई को होगा। 
  • वर्ष 2025 में हरतालिका तीज भी सोमवार के दिन ही मनाई जा रही है। जो कि सावन का आखिरी सोमवार होगा।हरियाली तीज 2 अगस्त शनिवार 
  • नाग पंचमी 5 अगस्त मंगलवार 
  • रक्षाबंधन 9 अगस्त शनिवार 
  • श्रावण पूर्णिमा 10 अगस्त रविवार
  • वर लक्ष्मी व्रत 15 अगस्त शुक्रवार 
  • हरतालिका तीज 25 अगस्त सोमवार

तिथियां पंचांग के अनुसार परिवर्तित हो सकती है एक बार स्थानीय पंचांग से मिलान अवश्य करा लें।

प्रमुख व्रतों का महत्व और पूजा विधि 

सावन सोमवार व्रत 

सावन के सोमवार के व्रत भगवान शिव और मां पार्वती को प्रसन्न करने के लिए किए जाते हैं इस व्रत को करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं इस व्रत को कुंवारी कन्याएं सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए करती है और विवाहित महिलाएं अपने पति के प्रेम और अपने अमर सुहाग के लिए करती है। 

पूजा विधि 

प्रातः उठकर गंगाजल से स्नान करें। भगवान शिव को गंगाजल, कच्चा दूध, बेलपत्र, धतूरा शहद अर्पित करें। भगवान शिव के ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें, शिव चालीसा का पाठ करें, भगवान शिव की आरती करें। व्रत का पारण कुछ लोग सिर्फ मीठे से करते हैं तो कुछ लोग सिर्फ फल खाते हैं, कुछ लोग फलाहार करते हैं, कुछ लोग सात्विक भोजन करते हैं जैसी आपकी श्रद्धा और जितनी आपकी क्षमता हो उसी के अनुसार व्रत करें।

हरियाली तीज 

  • हरियाली तीज का व्रत सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती है इस दिन हिंदू धर्म में बेटियों को मायके में बुलाया जाता है उनके ससुराल के लिए सुहाग पिटारी भेजी जाती है। सुहाग पिटारी में सास, ससुर के लिए कपड़े ससुराल में जितने भी लोग होते हैं उनके लिए कपड़े ,घेवर भेजा जाता है। सास भी अपनी बहू को उसके मायके के लिए उपहार भेज कर विदा करती है।
  • हरियाली तीज से लेकर रक्षाबंधन तक लड़कियां अपने मायके में रहती हैं। हरी चूड़ियां पहनती है, मेहंदी लगवाती है। झूला झूलती है सोलह सिंगार करती है। और इस 1 महीने में वह अपने ससुराल को भूलकर फिर से अपने बचपन को जीती है। जब बेटी को वापस ससुराल भेजा जाता है तो उसके साथ चावल जवे, घेवर, फल जिस परिवार की जितनी भी सामर्थ्य होती है उसके अनुसार उसके ससुराल के लिए विदाई भी भेजी जाती है।

पूजा विधि 

सुहागन स्त्रियां सुबह मां पार्वती की पूजा करती है शाम को सुहाग पिटारी अर्पण करती है। जो औरतें अपनी ससुराल में होती है उसके बाद अपनी सास के लिए बयाना निकालती है, सुहाग पिटारी निकालती है। वो अपनी सास को कपड़े चूड़ी बिंदी सिंदूर सुहाग पिटारे में देती है।

नाग पंचमी 

हरियाली तीज के बाद नाग पंचमी का त्यौहार आता है जिस दिन नागों की पूजा की जाती है उनसे परिवार की रक्षा और संतान सुख के लिए प्रार्थनाएं की जाती है। प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति में नागों को देवता की उपाधि दी गई है वह उनके घर की उनके खजाने की अप्रत्यक्ष रूप से रक्षा करते थे। नागों को फलों की, फसलों की रक्षा करने वाला भी कहा गया है क्योंकि चूहों को वह फसलों को नुकसान नहीं पहुंचने देते इसलिए सावन के अवसर पर नाग देवता की विशेष पूजा की जाती है। 

पूजा विधि 

सात नागों की तस्वीर दीवार पर गोबर या गेरू से बनाई जाती है उसके बाद उन्हें दूध और लाई अर्पण की जाती है और फिर कटोरी में या मिट्टी के बर्तन में दूध जगह-जगह रखकर छोड़ दिया जाता है इसके पीछे यह मान्यता होती है कि नाग देवता स्वयं आकर दूध ग्रहण कर लेंगे। ओम नमः मंत्र का जप भी किया जाता है।

रक्षा बंधन 

बहन मायके आकर अपने भाई को राखी बांधती है और भाई उसका हर सुख और दुख में साथ निभाना का वचन देता है।रक्षाबंधन का त्यौहार भाई और बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है क्योंकि कोई भी बहन अपने भाई को आगे बढ़ता देखकर ही खुश होती है। अपने मायके की प्रगति में बहन की प्रगति होती है। भाई भी बहन को खुश देख खुश होता है और वक्त पर हमेशा उसके साथ खड़ा होता है। 

पूजा विधि 

गणेश जी को और भगवान शिव परिवार को स्नान कराने के बाद चंदन तिलक लगाया जाता है। कलावे की राखी बांधी जाती है। और भगवान को खीर और घेवर का भोग लगाया जाता है। भगवान को राखी बांधने के बाद भाई को राखी बांधी जाती है और फिर शुरू होती है पूरे दिन की धाम चौकड़ी और खुशियों की शुरुआत।

पूर्णिमा का व्रत 

पूर्णिमा का व्रत भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी जी के लिए किया जाता है। पूर्णिमा का व्रत घर की सुख शांति और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। 

पूजा विधि 

सबसे पहले स्नान करने के बाद गणेश जी महालक्ष्मी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है संकल्प लिया जाता है। शाम के समय गणेश जी विष्णु जी और लक्ष्मी जी की आरती की जाती है व्रत का पारण सात्विक भोजन से किया जाता है।

हरतालिका तीज 

हरतालिका तीज का व्रत एक कठिन व्रत है जिसे सुहागन स्त्रियां निराहार रखती है। व्रत की शुरुआत में सुबह 4:00 बजे उठकर स्त्रियां स्नान करती है भगवान गणेश भगवान शंकर और मां पार्वती की पूजा करती हैं। भगवान की पूजा करने तक स्त्रियां मौन व्रत रखती हैं, अपने हरतालिका व्रत को करने का संकल्प लेती है। इस दिन व्रती महिला अन्न के साथ जल भी ग्रहण नहीं करती है। निराहार महिला शाम के समय पार्वती मां के लिए बेसन और आटे के जेवर बनाती है।

पूजा विधि 

गुजिया, शक्कर पारे,अनरसे जैसे स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं। रात को मंदिर को केले के पत्तों से सजाया जाता है। रात भर पूजा अर्चना की जाती है भगवान को प्रसाद को भेंट रूप में चढ़ाया जाता है। सुहाग सामग्री, चूड़ी, बिंदी, सिंदूर, बिछुए, कपड़े, मां पार्वती को अर्पण किए जाते हैं।अगले दिन सुबह नहाने के बाद व्रत का पारण किया जाता है कुंवारी कन्याओं को सबसे पहले भगवान का प्रसाद का भोग दिया जाता है।

सुहागन स्त्रियां अपनी मान्य स्त्रियों को ऩनद व सास को पैर पड़ कर सुहाग पिटारी अर्पण करती है।

निष्कर्ष 

सावन का महीना हिंदू धर्म में व्रत और त्योहारों का महीना होता है इसी महीने से सारे व्रत और त्योहार शुरू होते हैं। सावन के सोमवार से व्रत त्योहार शुरू होकर रक्षाबंधन पर समाप्त होते हैं।

 

 

 

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments