इस समय सोने, चांदी का दाम काफी बढ़ गया है पर ऐसा नहीं है कि सिर्फ सोने और चांदी का ही दाम बढ़ रहा है एक ऐसी धातु भी है जो की समय के साथ काफी महंगी होती जा रही है और वेदांत के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल का तो कहना है कि कुछ समय बाद यह अगला सोना बनने वाली है। जानते हैं आप क्या है नाम हैउस धातु का? जी हां तांबा, आपने सही समझा।
अभी तक आप जिस तांबे को सिर्फ पूजा के बर्तनों के लिए ही उपयोगी समझते थे। वहीं तांबा इलेक्ट्रिक वाहनों से लेकर रिन्यूएबल एनर्जी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिफेंस से जुड़े साजो सामान में भी इस्तेमाल हो रहा है। ऐसे में इसकी मांग बढ़ने के साथ-साथ इसके दाम में तेजी आना तो निश्चित ही है तो आईए जानते हैं कुछ और इस चमकीली धातु की दामों में आने वाली तेजी के बारे में
तांबे का प्रयोग हो रहा है हर जगह
तांबे को नए युग की धातु कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि इस समय हर वस्तु में हर तकनीक में तांबे का प्रयोग हो रहा है तांबे को सुपर मेटल भी कहा जा रहा है। इलेक्ट्रिक कार से लेकर इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रॉनिक से लेकर रिन्यूएबल एनर्जी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ओर सेना के हथियार, साजो सामान बनाने वाली सभी कंपनियां तांबे का प्रयोग कर रहीहै। ऐसे में बहुत सारी प्रतिष्ठित कंपनियों भी तांबे के क्षेत्र में आगे आ रही है।
हिंडालको की तरह अदानी, जेएसडब्ल्यू ग्रुप में भी तांबे के क्षेत्र में अपनी किस्मत आजमाने की लगी है होड़
अभी तक तांबे के क्षेत्र में हिंडालको और सरकारी कंपनी हिंदुस्तान कॉपर ही कार्य कर रही थी यह दोनों कंपनियां ही देश के लिए तांबा बनाने का काम कर रही थी अब तांबे की बढ़ती मांग को देखकर कुछ प्रतिष्ठित कंपनियों अदानी ग्रुप, जेएसडब्ल्यू ग्रुपभी इस क्षेत्र में अपनी किस्मत आजमा रही है।
क्या कहा वेदांत के अध्यक्ष ने ?
वेदांत के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने कहा की कॉपर ही अगला सोना है उन्होंने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर एक फोटो शेयर की इसमें उन्होंने लिखा कि कॉपर ही अगला सोना है। अनिल अग्रवाल ने बैरिक गोल्ड कंपनी के विषय में लिखा कि बैरिकलं गोल्ड दुनिया में सोने का उत्पादन करने वाली सबसे दूसरी सबसे बड़ी कंपनी है लेकिन अब बेरिक गोल्ड ने अपने नाम के पीछे से गोल्ड हटा लिया है और अब यह कंपनी सिर्फ बैरिक के नाम से जानी जाएगी
ऐसा बैरिक गोल्ड ने इसलिए किया है क्योंकि अब वह तांबे की माइनिंग पर अधिक ध्यान देना चाहते हैं। अनिल अग्रवाल ने कहा कि तांबा एक नया सुपर मेटल है। इसका प्रयोग हर नई तकनीक में हो रहा है चाहे वह ईवीएस हो आई हो डिफेंस का समान हो या फिर रिन्यूएबल एनर्जी का ढांचा हो। तांबा सभी वस्तुओं को बनाने के काम आ रहा है। भारत में क्रिटिकल और ट्रांजिशन मेटल्स के क्षेत्र में बहुत संभावनाएं हैं। युवा उद्योगपतियों और निवेशकों के लिए तांबे के क्षेत्र में काफी मौके मिल सकते हैं।
तांबे की बढ़ रही है डिमांड
पहले विश्व भर में तांबे की कई खदानें थी लेकिन तांबे का अधिक उपयोग में न होने के कारण वह काफी समय से बंद पड़ी थी जिन्हें फिर से शुरू किया जा रहा है। इतना ही नहीं तांबे को गलाने के लिए भट्टी बनाने का भी कार्य बड़े स्तर पर किया जा रहा है। तांबे की बढ़ती मांग के मद्देनजर इन तांबे की खदानों को पुनः शुरू किया जा रहा है।
लिथियम और कोबाल्ट की तरह तांबा भी है देश की आवश्यकता
लिथियम और कोबाल्ट का प्रयोग रिचार्जेबल बैटरी में होता है लिथियम और कोबाल्ट की तरह ही तांबा भी बहुत आवश्यक है तांबे का प्रयोग सेल फोन, फ्लैट स्क्रीन टीवी, एलइडी लाइट होता है। भारत अभी तक तांबे को आयात कर रहा था भारत अपनी जरूरत का अधिकतर तांबा आयात करता हैं।
2023 में भारत ने तांबे को शामिल किया था महत्वपूर्ण खनिजों में
2023 में भारत ने तांबे को 30 महत्वपूर्ण खनिजों में शामिल किया था। तारों और ट्रांसमिशन लाइनों में तो तांबे का प्रयोग काफी समय से हो रहा हैवेदांत स्टरलाइट कॉपर प्लांट में कॉपर बनाया जाता था लेकिन 2018 में वेदांत का यह कॉपर प्लांट बंद हो गया जिसके बाद से भारत को विदेशों से तांबा आयात करना पड़ता है
वेदांत का यह प्लांट चार लाख टन तांबा बनाता था। भारत में तांबे का उत्पादन 555,000 टन है लेकिन भारत में तांबे के घरेलू खपत 7,50000 टन से अधिक है भारत को हर साल लगभग 5,5000टन तांबाआयात करना पड़ता है।