Tuesday, July 1, 2025
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वर्ष में किस माह में कौन सी एकादशी मनाई जाती है 

वर्ष में किस माह में कौन सी एकादशी मनाई जाती है , एकादशी व्रत भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए रखा जाता है। महीने में दो एकादशी पड़ती है कृष्ण पक्ष की और शुक्ल पक्ष की। वर्ष भर में 24 एकादशी पड़ती है। जिस वर्ष मलमास या अधिक मास होता है उस वर्ष 26 एकादशी मनाई जाती है।

मलमास या अधिक मास में दो एकादशी और होती है एकादशी व्रत की बहुत मान्यता है कहा जाता है कि जो व्यक्ति वर्ष भर की एकादशी करता है वह संकट मुक्त हो जाता है। उसे सुख शांति व वैभव प्राप्त होता है। एकादशी व्रत के उनकी तिथियों के अनुसार अलग-अलग लाभ होते हैं 24 एकादशी करने के 24 लाभ प्राप्त होते हैं। 26 एकादशी करने के 26 लाभ प्राप्त होते हैं आइए जानते हैं किस माह में कौन सी एकादशी मनाई जाती है और उसके क्या लाभ है।

हिंदू धर्म के अनुसार पौष माह में वर्ष की सबसे पहली एकादशी

 पौष माह में पढ़ने वाली पहली एकादशी सफला एकादशी है। सफला एकादशी का व्रत करने से माँ लक्ष्मी आप पर कृपा प्रदान करती है और आपके हर कार्य को सफल बनाती हैं। 

पौष माह में पड़ने वाली एकादशी

 पौष में सफला एकादशी व पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। हर एकादशी अपने आप में अत्यंत महत्वपूर्ण है जब साधक 1 वर्ष तक सभी एकादशी का व्रत करता है तब उसे विधि पूर्वक उसका एकादशी व्रत का पारण अवश्य करना चाहिए। एकादशी व्रत का पारण करने से ही यह व्रत परिपूर्ण होता है। उसके बाद पौष पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है। पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत पुत्र की प्राप्ति के लिए एवं पुत्र की रक्षा के लिए किया जाता है। 

माघ माह में पड़ने वाली एकादशी

 माघ माह में षटतिला एकादशी और जया एकादशी का व्रत किया जाता है। षटतिला एकादशी का व्रत करने से वैभव प्राप्त होता है और दुर्भाग्य का नाश होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है। षटतिला एकादशी के व्रत में तिल का 6 प्रकार से प्रयोग किया जाता है। जया एकादशी का व्रत करने से इंसान भूत पिशाच योनियों में नहीं भटकता और ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त हो जाता है। 

फाल्गुन माह में पड़ने वाली एकादशी

फागुन में विजया व आमलकी एकादशी का व्रत किया जाता है। विजया एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को सांसारिक विघ्न बाधा से मुक्ति मिलती है व उसके शत्रु का विनाश होता है। आमलकी एकादशी में आंवले का दान किया जाता है। आंवले का दान करने से व्यक्ति निरोगी रहता है। उसका घर धन-धान्य से परिपूर्ण रहता है। 

अधिक मास में आने वाली एकादशी

फाल्गुन मास के बाद अधिक मास आता है। हर तीसरे साल में अधिक मास आता है। अधिक मास में पद्मिनी एकादशी और परमा एकादशी का व्रत रखा जाता है। पद्मिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को मां लक्ष्मी अपनी विशेष कृपा से परिपूर्ण करती है। मां लक्ष्मी संतान सुख की प्राप्ति कराती हैं। पद्मा एकादशी का व्रत धन धान्य के साथ सद्लोक गति भी प्राप्त कराता है। 

चैत्र मास में आने वाली एकादशी

चैत्र मास में कामदा और पापमोचनी एकादशी मनाई जाती है। कामदा एकादशी का व्रत करने से भूत पिशाच व राक्षस योनि से मुक्ति मिलती है। इस व्रत को करने से जातक की सभी मनोकामना सिद्ध होती है। पापमोचनी एकादशी से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और वह संकटों से मुक्त होता है।

वैशाख माह में मनाई जाने वाली एकादशी

 वैशाख माह में वरुधिनी और मोहिनी एकादशी मनाई जाती है। वरुधिनी एकादशी सुख सौभाग्य देने वाली और मोक्ष प्रदान करने वाली होती है। मोहिनी एकादशी का व्रत करने से विवाह योग्य कन्या का विवाह शीघ्र होता है। मोहिनी एकादशी का व्रत करने से कन्या का विवाह, सुख समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। मोहिनी एकादशी मोह माया के बंधन से मुक्त कराने वाली होती है व मोक्ष प्राप्त करने वाली होती है

ज्येष्ठ माह मैं पड़ने वाली एकादशी

 ज्येष्ठ माह में अपरा और निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है। अपरा एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को पापों से मुक्ति मिलती है। निर्जला एकादशी का व्रत करने से जातक की सभी मनोकामना पूर्ण होती है। 

आषाढ़ मास में मनाई जाने वाली एकादशी

आषाढ़ मास में योगिनी और देव शयनी एकादशी मनाई जाती है। योगिनी एकादशी का व्रत समस्त पापों से मुक्ति पाने के लिए करते हैं। योगिनी एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को सभी सांसारिक सुख प्राप्त होते हैं। देवशयनी एकादशी का व्रत करने से मनोकामना सिद्ध होती है।

देवशयनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति सारी परेशानियों से मुक्त होकर सुखी होता है। देवशयनी एकादशी का विशेष महत्व है इस दिन से भगवान विष्णु शेषनाग की सैया पर 6 महीने के लिए विश्राम करते हैं।

सावन मास में पड़ने वाली एकादशी

 सावन मास में कामिका और पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है। कामिका एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति सभी पापों से मुक्त हो जाता है और उसका पुनर्जन्म एक अच्छी योनि में होता है। पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान सुख के लिए रखा जाता है।

भाद्रपद मास में पड़ने वाली एकादशी

 भाद्रपद में अजा एकादशी और परिवर्तनी एकादशी का व्रत आता है। अजा एकादशी में पुत्र निरोगी रहता है उसके ऊपर कोई विपत्ति नहीं आती। दरिद्रता और दुख भक्तों को कभी नहीं सताते। अगर साधक का कुछ खो भी जाता है तो वह उसे प्राप्त हो जाता है। परिवर्तनी एकादशी के व्रत से मनुष्य के सभी संकट दूर हो जाते हैं। उसे सभी दुखों से मुक्ति मिलती है और वह परमधाम को प्राप्त होता है।

आश्विन माह में आने वाली एकादशी

आश्विन माह में इंदिरा एवं पापांकुशा एकादशी मनाई जाती है। इंदिरा एकादशी का व्रत पितरों को मुक्ति प्रदान करने के लिए रखा जाता है। इस व्रत को करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती हैऔर पितरों को भी मोक्ष प्रदान होता है। पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को धन वैभव एवं सम्मान प्राप्त होता है।

कार्तिक माह में पड़ने वाली एकादशी

 कार्तिक माह में रमा एकादशी व प्रबोधिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। रमा एकादशी का व्रत करने से सुख व ऐश्वर्य की प्राप्त होती है। प्रबोधिनी एकादशी को देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु शेषनाग की सैया से जागृत होते हैं। इस एकादशी को वर्ष की सबसे बड़ी एकादशी कहा जाता है कहते हैं कि जो व्यक्ति इस एकादशी का व्रत रख लेता है उसे साल की सभी एकादशी का पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन तुलसी पूजा भी की जाती है।

 मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाली एकादशी

 इस माह में उत्पन्ना और मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाता है । उत्पन्ना एकादशी करने से अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है जिससे देवता प्रसन्न होते हैं उनकी कृपा हम पर बनी रहती हैं। मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 

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