Thursday, June 12, 2025
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वर्क लाइफ बैलेंस एक मिथ या होता है सचमुच कुछ ऐसा संतुलन

वर्क लाइफ बैलेंस एक मिथ या होता है सचमुच कुछ ऐसा संतुलन, अगर आप एक कामकाजी महिला है तो आपको हमेशा एक बात सभी से सुनने को मिलती है कि आपको वर्क लाइफ बैलेंस करना आना चाहिए। पर क्या ऐसा सच में है क्या इतना ही आसान है एक कामकाजी महिला के लिए वर्क लाइफ को बैलेंस करना या वर्क लाइफ बैलेंस सिर्फ एक भ्रम है

यह कोई परफेक्ट इक्वेशन नहीं है बल्कि परिस्थितियों के अनुसार बदलने वाला समीकरण है। कभी यह ऑफिस की तरफ झुक जाता है तो कभी घर की तरह और कभी बच्चों की बीमारियों में सिर्फ उनकी तरफ। आइए जानते हैं क्या है वर्क लाइफ बैलेंस के पीछे का सच

 वर्क लाइफ बैंलेस एक प्रोसेस है

सभी वर्किंग वूमंस के लिए हर दिन एक जैसे नहीं होते किसी दिन मीटिंग होती है तो कभी घर में ढेर सारे काम होते हैं और कभी हम बच्चों के साथ बच्चे बने होते हैं तो ऐसे में खुद के लिए समय निकालना बहुत ही मुश्किल होता है क्या करें जिससे कि हम खुद को भी खुश रख सके। 

बैलेंस की जगह जगह दे अपनी प्राथमिकताओं को जगह

बैलेंस के भ्रम में न रहें, रोज खुद से पूछे आज आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं?

वो काम पहले करें जो जरूरी हो फिर चाहे वह घर के हो या ऑफिस के 

अगर किसी दिन आपके पास ऑफिस में काफी सारा काम है तो घर के कामों को सिर्फ निपटाइए वह भी जो बहुत जरूरी है हर काम को रोज करना जरूरी नहीं है। अगर आपको घर में कुछ बहुत जरूरी काम करना है तो ऐसे में ऑफिस से घर के लिए थोड़ा जल्दी निकलिए अगर जल्दी निकलना संभव नहीं है तो कम से कम सही समय पर निकलिए।

खुद को भी प्यार कीजिए 

आप एक वर्किंग वुमन है और हमेशा गिल्ट में रहती है कि आप अपने बच्चों को अपने घर को पूरा समय नहीं दे पाते। पर आप पर आप इस गिल्ट को खत्म कीजिए और खुद से प्यार करना सीखे जब आप खुद से प्यार करेंगे ना तो आप हर चीज को जितना भी समय देंगे सिर्फ उसी चीज के लिए देंगे तब आपका मन इधर द्वारा नहीं भटकेगी और आप जो भी काम करेंगे खुश होकर मन लगाकर करेंगे। 

कीजिए सुबह के कुछ मिनट अपने नाम 

आप सुबह जब 10 मिनट मेडिटेशन करेंगे 10 मिनट योग करेंगे तो आप देखेंगे कि आप रिलैक्स और तरोताजा महसूस कर रहे हैं।जब आप चाय पीते हैं आप अपने हाथ में मोबाइल लेकर बैठते हैं पर मोबाइल को रखिए कोने में और पलटिए कुछ पेज किताबों के यकीन मानिए यह समय आपके लिए अनमोल हो जाएगा। 

शाम का समय भी थोड़ा सा निकालिए अपने लिए 

 शाम की 10 मिनट की वॉक आपका दिन बना देगी। आप अपने किसी अपने से दोस्त से रिश्तेदार से जिसे भी आपका मन करे दिल खोल कर बातें कीजिए। 

ना कहना सीखें 

ना कहना भी एक कला होती है। जरूरी नहीं की हर काम आप ही करें या आप कोई काम नहीं करेंगे तो पहाड़ टूट पड़ेगा तो बस जब आपका मन ना करें तो कर दीजिए ना। 

 टू डू लिस्ट जरूर बनाएं 

आप उन कामों के लिए टू डू लिस्ट जरूर बनाएं जिन्हें आपको करना है और फिर अपनी प्राथमिकताओं के हिसाब से उन्हें करते जाए जो काम सबसे जरूरी है उन्हें सबसे पहले करें। 

डिजिटल डिटॉक्सिफिकेशन भी जरूरी है 

रात को फोन से नाता तोड़ पाना बहुत मुश्किल है लेकिन करना जरूरी है क्योंकि आजकल हम सभी के लिए फोन बहुत जरूरी हो गया है और फिर एक वर्किंग वुमन के लिए तो रात का समय ही उसका अपना समय होता है। जब वह फोन देखते हुए रिलैक्स फील करती है पर आप इस समय को कुछ काम तो कर ही सकती है

 रात के कुछ मिनट सिर्फ अपने फोन के लिए रखें और फिर अब उसके बाद खुद को कर ले डिजिटली डिटॉक्सिफाई। पर याद रखें की मिनट घंटे में ना बदले और इसके लिए एक टाइमर सेट करके सिर्फ इतनी देर के लिए समय निकालें।

 

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