✈️ दिल्ली से श्रीनगर: एक डरावनी उड़ान, जो खत्म हुई हिम्मत के साथ
21 मई को इंडिगो की फ्लाइट 6E-2142 दिल्ली से श्रीनगर के लिए रवाना हुई थी। इस विमान में 220 से अधिक यात्री सवार थे। उड़ान के दौरान विमान को गंभीर तूफान और ओलावृष्टि का सामना करना पड़ा। पठानकोट के पास मौसम बेहद खराब था, लेकिन पायलटों ने समझदारी और साहस का परिचय देते हुए विमान को सुरक्षित लैंडिंग के साथ श्रीनगर पहुंचाया।
🌩️ क्या हुआ था उस दिन आसमान में?
तूफान में फंसा विमान
जब विमान 36,000 फीट की ऊंचाई पर था, तब वह एक गंभीर तूफान और ओलावृष्टि में घुस गया। पायलटों ने भारतीय वायुसेना के उत्तरी नियंत्रण केंद्र से कोर्स बदलने की अनुमति मांगी लेकिन उन्हें अनुमति नहीं मिली।
लाहौर ATC से भी मिला इनकार
पायलटों ने बाद में लाहौर ATC से भी अपने हवाई क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति मांगी, ताकि खराब मौसम से बचा जा सके, लेकिन वहां से भी मना कर दिया गया।
वापसी की सोची, लेकिन तय किया श्रीनगर जाना
पायलटों ने पहले दिल्ली लौटने का मन बनाया, लेकिन खराब मौसम के बहुत पास होने की वजह से वापस लौटना संभव नहीं था, इसलिए उन्होंने श्रीनगर की ओर बढ़ना ही बेहतर समझा।
🛑 तकनीकी चुनौतियाँ और चेतावनियाँ
विमान को उड़ाते समय पायलटों को कई खतरनाक चेतावनियाँ मिलीं:
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Maximum Operating Speed Warning
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Angle of Attack Fault
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Autopilot Disengagement
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Alternate Law Protection Lost
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Backup Speed Scale Unreliable
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Repeated Stall Warnings
Manual Flight Mode में उड़ान
इन चेतावनियों के बाद ऑटोपायलट बंद हो गया और पायलटों ने विमान को मैन्युअली उड़ाना शुरू किया। एक समय पर विमान की Rate of Descent (अवरोह की दर) 8,500 फीट प्रति मिनट तक पहुँच गई।
📉 ‘PAN PAN’ आपातकालीन कॉल और लैंडिंग की रणनीति
जब स्थिति गंभीर हो गई, तो पायलटों ने श्रीनगर ATC को ‘PAN PAN’ (उत्कट स्थिति का संकेत) भेजा और रडार सहायता माँगी। ऑटो थ्रस्ट प्रणाली सामान्य रूप से काम कर रही थी, जिससे लैंडिंग संभव हो सकी।
✅ सभी यात्री सुरक्षित
इस भीषण स्थिति में भी किसी भी यात्री को चोट नहीं आई। लैंडिंग के बाद जब विमान की जांच की गई, तो पाया गया कि विमान का नोज़ कोन (रेडोम) ओलों से टकराकर क्षतिग्रस्त हो गया था।
📋 DGCA का क्या कहना है?
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है और कहा है कि:
“पायलटों ने सभी मानकों और चेकलिस्ट का पालन किया और सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित की। ऐसी स्थिति में जो भी निर्णय लिए गए, वो तत्कालीन हालात के अनुसार उचित थे।”
🛡️ निष्कर्ष: बहादुरी और तकनीकी कौशल का अद्भुत उदाहरण
इंडिगो फ्लाइट 6E-2142 का यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि भारतीय एविएशन इंडस्ट्री में काम कर रहे पायलट न केवल तकनीकी रूप से दक्ष हैं बल्कि साहसिक निर्णय लेने में भी सक्षम हैं। ऐसी घटनाएं हमें बताती हैं कि पायलटों की त्वरित प्रतिक्रिया और समझदारी से सैकड़ों जानें सुरक्षित बचाई जा सकती हैं।
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