एक ऐतिहासिक शपथ:
काश पटेल ने शुक्रवार को अमेरिका की प्रतिष्ठित जांच एजेंसी, फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) के नौवें निदेशक के रूप में शपथ ली। इस अवसर को खास बनाने के लिए उन्होंने अपने हाथों में हिंदू धर्मग्रंथ भगवद गीता लेकर शपथ ली। यह कदम न केवल उनके व्यक्तिगत विश्वास को दर्शाता है, बल्कि उनकी सांस्कृतिक जड़ों से उनके गहरे जुड़ाव का प्रतीक भी है।
एफबीआई निदेशक के रूप में पुष्टि:
काश पटेल की नियुक्ति अमेरिकी सीनेट में हुए कड़े मतदान के बाद हुई, जहां उन्हें 51 वोटों का समर्थन और 49 वोटों का विरोध मिला। इस तरह वे एफबीआई के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पद ग्रहण करने वाले कुछ चुनिंदा व्यक्तियों में शामिल हो गए।
ट्रंप का भरोसा:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने काश पटेल पर विश्वास जताते हुए कहा कि वह अब तक के “सबसे बेहतरीन” एफबीआई निदेशक साबित होंगे। ट्रंप के मुताबिक, पटेल की देशभक्ति और मजबूत नेतृत्व क्षमता एजेंसी को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।
राम मंदिर विवाद पर तीखी प्रतिक्रिया:
काश पटेल का नाम हाल ही में तब चर्चा में आया जब उन्होंने अयोध्या के राम मंदिर के निर्माण पर पश्चिमी मीडिया की रिपोर्टिंग की कड़ी आलोचना की। कई विदेशी मीडिया संस्थानों ने 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर के उद्घाटन को “हिंदू राष्ट्रवाद के उदय” के प्रतीक के रूप में दिखाया। इस पर पटेल ने तीखा विरोध जताते हुए कहा कि यह कवरेज एकतरफा है और अयोध्या की ऐतिहासिक विरासत को नजरअंदाज करती है।
इतिहास को अनदेखा करने का आरोप:
पटेल ने मीडिया पर आरोप लगाया कि वे केवल बाबरी मस्जिद विध्वंस के 50 वर्षों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जबकि राम जन्मभूमि स्थल की 500 वर्षों की समृद्ध हिंदू विरासत को पूरी तरह भुला दिया गया है। “चाहे आप हिंदू हों या मुसलमान, यह ऐतिहासिक तथ्य है कि 1500 के दशक में यहां भगवान राम का मंदिर था, जिसे गिरा दिया गया था। हिंदू समुदाय पिछले पांच सौ वर्षों से इसे फिर से बनाने का प्रयास कर रहा है,” पटेल ने कहा।
“डिसइंफॉर्मेशन कैंपेन” का आरोप:
काश पटेल ने अमेरिकी मीडिया पर भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ “डिसइंफॉर्मेशन कैंपेन” चलाने का आरोप लगाया। उनके मुताबिक, अमेरिकी मीडिया जानबूझकर तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही है ताकि भारत की छवि खराब की जा सके। “वाशिंगटन की मीडिया ने इतिहास के इस महत्वपूर्ण हिस्से को नजरअंदाज किया और एक पक्षपाती दृष्टिकोण अपनाया। वे मोदी और ट्रंप के बीच समानता खोजने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उनके खिलाफ नकारात्मक माहौल तैयार किया जा सके,” पटेल ने कहा।
भारतीय संस्कृति से जुड़ाव:
काश पटेल ने कई मौकों पर अपने भारतीय मूल और हिंदू परंपराओं के प्रति गर्व व्यक्त किया है। सीनेट की पुष्टि सुनवाई के दौरान उन्होंने अपने माता-पिता के चरण स्पर्श कर भारतीय संस्कृति की झलक दिखाई। यही नहीं, उन्होंने अपने भाषण के अंत में ‘जय श्री कृष्ण’ का उद्घोष कर अपने धार्मिक विश्वास को भी सार्वजनिक रूप से व्यक्त किया।
ट्रंप के अहमदाबाद दौरे में भूमिका:
काश पटेल ने राष्ट्रपति ट्रंप के भारत दौरे के दौरान अहम भूमिका निभाई थी। अहमदाबाद में हुए कार्यक्रम के लिए उन्होंने ट्रंप के भाषण में भारतीय संस्कृति से जुड़े कई संदर्भ जोड़े। उन्होंने सचिन तेंदुलकर और स्वामी विवेकानंद जैसे महान भारतीयों का उल्लेख कर भारतीय जनता से जुड़ने की कोशिश की थी। इस कदम को दोनों देशों के बीच मित्रता को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा गया।
संस्कृति और कर्तव्य का अनूठा संगम:
काश पटेल का एफबीआई निदेशक के रूप में शपथ ग्रहण और उनके सांस्कृतिक मूल्यों का सार्वजनिक प्रदर्शन इस बात का प्रतीक है कि कोई भी व्यक्ति अपनी जड़ों से जुड़े रहकर भी वैश्विक स्तर पर सफल हो सकता है। भगवद गीता पर शपथ लेना उनके आध्यात्मिक विश्वास का प्रमाण है और यह उनके नेतृत्व की नैतिकता को भी दर्शाता है।
निष्कर्ष:
काश पटेल की एफबीआई निदेशक के रूप में नियुक्ति न केवल अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय समुदाय के लिए भी गर्व का क्षण है। उनकी स्पष्टवादी सोच, सांस्कृतिक जुड़ाव और निष्पक्ष दृष्टिकोण उन्हें इस चुनौतीपूर्ण पद के लिए उपयुक्त बनाते हैं। अयोध्या राम मंदिर मुद्दे पर उनकी मुखर राय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह सच्चाई के पक्ष में खड़े होने से नहीं कतराते, चाहे मामला कितना भी संवेदनशील क्यों न हो। उनकी नेतृत्व क्षमता और सांस्कृतिक मूल्यों के बीच यह संतुलन उन्हें आने वाले वर्षों में एक प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित कर सकता है।