पैटिलोटेंडिनोपैथी गाड़ी चलाते समय पोजीशन का रखें ध्यान, घुटनों में नहीं होगा कभी दर्द , गाड़ी चलाना आज के समय में रोजमर्रा की जरूरत और आदत बन चुका है। लेकिन अगर आप लंबे समय तक गाड़ी चलाते हैं और उसके बाद घुटनों में दर्द महसूस करते हैं, तो यह सामान्य थकान नहीं बल्कि एक विशेष स्थिति हो सकती है जिसे मेडिकल भाषा में ‘पैटिलोटेंडिनोपैथी’ कहा जाता है।
यह समस्या अक्सर उन लोगों में देखी जाती है जो लंबे समय तक एक ही मुद्रा में बैठे रहते हैं या जिनकी बैठने की स्थिति सही नहीं होती।
पैटिलोटेंडिनोपैथी क्या है?
पैटिलोटेंडिनोपैथी घुटने के आगे के हिस्से में मौजूद ‘पैटेला टेंडन’ यानी घुटने की हड्डी और टांग की हड्डी को जोड़ने वाली नस में सूजन या चोट की स्थिति होती है। यह टेंडन बार-बार दबाव या खिंचाव के कारण कमजोर या सूजनयुक्त हो सकता है। इसे ‘जम्पर नी’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह समस्या अधिकतर एथलीट्स या उन लोगों में देखी जाती है जो बार-बार घुटने मोड़ते हैं या दौड़ते-कूदते हैं।
पैटिलोटेंडिनोपैथी गाड़ी चलाने से कैसे जुड़ा है यह रोग?
गाड़ी चलाते समय पैरों की पोजीशन और शरीर की मुद्रा बहुत अहम होती है। अगर आपके घुटने ज्यादा मोड़े हुए हों या आपकी सीट की ऊंचाई गलत हो तो घुटनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है। लंबे समय तक ऐसी मुद्रा में बने रहने से पैटेला टेंडन पर खिंचाव आता है, जिससे धीरे-धीरे वहां दर्द और सूजन शुरू हो सकती है। यह स्थिति शुरुआत में हल्की असहजता के रूप में नजर आती है, लेकिन समय रहते ध्यान न देने पर यह दर्द स्थायी और तेज हो सकता है।
गलत ड्राइविंग पोजीशन के कारण
- कार की सीट बहुत आगे होना या बहुत पीछे होन
- सीट की ऊंचाई का ठीक न होना
- ड्राइविंग करते समय घुटनों का अत्यधिक मुड़ा हुआ रहना
- क्लच या ब्रेक का बार-बार और जोर से इस्तेमाल
- पैरों को पर्याप्त आराम न मिलना
लक्षण
- घुटनों के ठीक नीचे दर्द होना
- विशेषकर सीढ़ियां चढ़ते समय दर्द बढ़ जाना
- लंबे समय तक बैठने के बाद उठते ही घुटने में दर्द महसूस होना
- हल्की सूजन या गर्माहट
- मांसपेशियों में जकड़न
पैटिलोटेंडिनोपैथी उपचार और बचाव
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पोजीशन सुधारें:
ड्राइविंग करते समय आपकी सीट इस तरह होनी चाहिए कि आपके घुटने हल्के मोड़े हुए हों, न बहुत ज्यादा झुके और न ही पूरी तरह सीधे। स्टेयरिंग व्हील और क्लच, ब्रेक को आराम से एक्सेस कर सकें।
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सीट की ऊंचाई ठीक करें:
ऐसी स्थिति रखें कि आपके हिप्स (कमर की हड्डी) घुटनों से थोड़े ऊंचे हों। इससे पैरों को उचित सपोर्ट मिलेगा।
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नियमित रूप से ब्रेक लें:
यदि आप लंबे समय तक ड्राइविंग कर रहे हैं तो हर एक घंटे में 5–10 मिनट के लिए गाड़ी से उतरें, टहलें और पैरों को स्ट्रेच करें।
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स्ट्रेचिंग और व्यायाम:
पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करने वाले व्यायाम करें जैसे कि क्वाड्रिसेप स्ट्रेच, हैमस्ट्रिंग स्ट्रेच, और घुटनों के लिए हल्का योग।
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आइस पैक और आराम:
अगर दर्द हो तो बर्फ की सिकाई करें और कुछ समय के लिए टांग को ऊंचा करके आराम दें। डॉक्टर की सलाह से सूजन कम करने वाली दवाएं भी ली जा सकती हैं।
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फिजियोथेरेपी:
यदि समस्या बढ़ जाए तो फिजियोथेरेपिस्ट से परामर्श लें। वे घुटनों के लिए विशेष व्यायाम करवा सकते हैं।
किन्हें ज्यादा खतरा?
- टैक्सी, ट्रक या कैब ड्राइवर जिन्हें प्रतिदिन घंटों ड्राइविंग करनी होती है
- मैनुअल गियर वाली कार चलाने वाले लोग
- अधिक वजन वाले लोग जिन पर घुटनों पर पहले से दबाव होता है
- बुजुर्ग, जिनकी मांसपेशियां कमजोर हो चुकी होती हैं
क्या यह पैटिलोटेंडिनोपैथी समस्या पूरी तरह ठीक हो सकती है?
समय पर पहचान और सही देखभाल से पैटिलोटेंडिनोपैथी पूरी तरह ठीक की जा सकती है। यदि व्यक्ति समय रहते अपनी पोजीशन और आदतों में सुधार कर ले तो यह स्थायी समस्या नहीं बनती। हालांकि यदि इसे नजरअंदाज किया गया तो घुटनों की कार्यक्षमता पर असर पड़ सकता है और भविष्य में चलने-फिरने में परेशानी हो सकती है।
निष्कर्ष
ड्राइविंग करते समय अक्सर हम अपनी पोजीशन पर ध्यान नहीं देते, लेकिन यह छोटी-सी लापरवाही हमारे जोड़ों पर भारी पड़ सकती है। घुटनों के दर्द को नजरअंदाज न करें और यदि दर्द बार-बार लौटता है, तो समय रहते विशेषज्ञ से सलाह लें। सही मुद्रा, थोड़ी सी सावधानी और व्यायाम के जरिए आप न सिर्फ दर्द से राहत पा सकते हैं बल्कि घुटनों को लंबे समय तक स्वस्थ बनाए रख सकते हैं।