वेटिकन में सोमवार 21 अप्रैल को ऑफ फ्रांसिस का लंबी बीमारी के बाद 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। पोप फ्रांसिस 2013 में पोप बने थे। पोप फ्रांसिस के निधन के बाद पोप की जगह अब खाली हो गई है।
कौन थे पोप फ्रांसिस और पोप कैसे बने थे
पोप फ्रांसिस ईसाइयों के सबसे बड़े धर्म गुरु थे उन्होंने ईसाई धर्म के प्रचार प्रसार व चर्च की सेवा में अपना जीवन समर्पित किया था। पोप फ्रांसिस अपने अच्छे कार्यों के कारण न केवल अपने धर्म के लोगों में बल्कि पूरे विश्व में काफी पसंद किए जाते थे। फ्रांसिस पहले पोप थे जो कि अमेरिका से आए थे। दक्षिणी गोलार्ध से आने वाले भी वह पहले ही पोप थे। सीरिया के ग्रेगरी तृतीय की 741 में मृत्यु हुई थी उसके बाद से रोम का कोई गैर यूरोपीय व्यक्ति इस गद्दी .पर नहीं बैठा था।
पोप फ्रांसिस ही वे पहले जेसुइट व्यक्ति थे जो सेंट पीटर के सिंहासन पर पहली बार बैठे थे। इतिहास बताता है कि रोम में जेसुइट लोगों को ना पसंद किया जाता था। पोप फ्रांसिस से पहले बेनेडिक्ट 16वें 600 वर्षों में पहले ऐसे व्यक्ति थे जो कि अपनी मर्जी से पोप पद से सेवानिवृत्त हुए थे। 2013 में कार्डिगन बगेंग्लियो पोप फ्रांसिस बन गए थे। कैथोलिको को लगता था कि नया पोप को कोई युवा व्यक्ति बनेगा लेकिन जब पोप फ्रांसिस पोप बने तब उनकी उम्र 70 वर्ष से भी ज्यादा थी।
पोप फ्रांसिस एक समझौतावादी उम्मीदवार के रूप में जाने जाते थे। पोप फ्रांसिस ने यौन मामलों में रूढ़िवादियों का समर्थन किया तो समाज के न्याय हेतु उदारवाद की विचारधारा से सुधारकों के पसंदीदा बने।
पोप फ्रांसिस थे विनम्र
चुनाव जीतते ही पोप फ्रांसिस ने अपने काम करने के तरीके को बदल दिया था उन्होंने कार्डिनल्स का स्वागत बैठकर करने के बजाय खड़े होकर किया था। उन्हें शानो शौकत और भव्यता से रहना अधिक पसंद नहीं था वह विनम्रता में विश्वास करते थे। उन्होंने पोप को मिलने वाली लेमोजिन के बजाय शेयरिंग बस का चुनाव अपनी यात्राओं के लिए किया था।
जार्ज मारियो से पोप बनने का सफर रहा था उतार-चढ़ाव से भरा
पोप फ्रांसिस का जन्म 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना की ब्यूनस आयर्स में हुआ था। बचपन में ही उन्हें निमोनिया की बीमारी हो गई थी जो इतनी भयानक स्थिति में थी कि उनके फेफड़े का एक हिस्सा निकलना पड़ा था इसके बाद जीवन भर उन्हें संक्रमण से बचाव रखना पड़ा था। पोप फ्रांसिस ने स्नातक उपाधि प्राप्त करने से पहले नाइट क्लब बाउंसर और फर्श सफाई कर्मचारी के रूप में भी काम किया था।
जार्ज मारियो रसायन शास्त्र से स्नातक थे। काफी समय बाद उन्हें दीक्षा दी गई थी। 1973 में वह अर्जेंटीना के प्रांतीय सुपीरियर बने थे।
वेटिकन में ईस्टर के अवसर पर दिया था अपना आखिरी सार्वजनिक संबोधन
पोप फ्रांसिस काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे फिर भी उन्होंने अपने कर्तव्य पथ का साथ नहीं छोड़ा था। उन्होंने अपना अंतिम सार्वजनिक संबोधन वेटिकन के सेंट पीटर स्क्वायर में दिया था। उन्होंने अपनी अंतिम सार्वजनिक संबोधन में फिलिस्तीन और इजराइल में ईसाइयों के प्रति हो रही हिंसा और पीड़ित ईसाइयों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की थी। पोप फ्रांसिस ने गाजा की ईसाई आबादी के प्रति चिंता व्यक्त की थी।
गाजा की ईसाई आबादी इस समय युद्ध का सामना कर रही है। साथ ही साथ पोप फ्रांसिस ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से गैर अमेरिकियों के प्रति एक सॉफ्ट कॉर्नर रखने के लिए भी आग्रह किया था।
क्या थी पोप फ्रांसिस की आखिरी अपील
पोप फ्रांसिस ने कहा था युद्ध कर रही सभी पार्टियों से मेरी अपील है युद्ध विराम करो बंधकों को रिहा करो और उन भूखे लोगों की मदद करो जो शांति के भविष्य की उम्मीद कर रहे हैं।
कैसे होगा अगले पोप का चुनाव
पॉप का चुनाव जनरल कांग्रेगेशन के द्वारा होगा। कार्डिनल वेटिकन सिटी में बैठक होती है जिसे कि जनरल कांग्रेगेशन कहा जाता है इन बैठकों में कैथोलिक चर्च की जरूरतों ,चुनौतियों पर चर्चा की जाती है और अगली पोप के चुनाव की तैयारी की जाती है जिसे कौनक्लेव कहा जाता है। ऐसी बैठकों में पोप के अंतिम संस्कार व दफनाने की तैयारी भी की जाती है।