थाईलैंड और कंबोडिया में कल दूसरे दिन भी युद्ध जारी रहा 14 लोगों की अभी तक मौत हो चुकी हैऔर लाखों लोग सीमावर्ती क्षेत्रों से पलायन कर चुके हैं।। थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद की वजह बना है प्रेह विहार मंदिर आईए जानते हैं इस बारे में
थाईलैंड और कंबोडिया में दूसरे दिन भी जारी रहा युद्ध
थाईलैंड और कंबोडिया में कल दूसरे दिन भी युद्ध जारी रहा। इस युद्ध में अभी तक 14 लोगों की जानें जा चुकी है और 1 लाख से अधिक लोग अपने घरों से पलायन कर चुके हैं। चार सीमावर्ती क्षेत्रों से एक लाख से अधिक लोगों को 380 अस्थाई ठिकानों पर आवास दिया गया है।
थाईलैंड और कंबोडिया में विवाद की वजह क्या एक शिव मंदिर है?
थाईलैंड और कंबोडिया में विवाद की वजह एक शिव मंदिर है जिसे दोनों देश अपना कहते हैं। थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर स्थित प्रेह विहार मंदिर एक हिंदू शिव मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है इसे यूनेस्को की सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान भी प्राप्त है।
क्या है थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद की वजह बना प्रेह विहार मंदिर का इतिहास?
थाईलैंड और कंबोडिया दोनों ही बौद्ध धर्म बहुत देश है। इस मंदिर को 11वीं सदी में इसे खमेर साम्राज्य द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर दांगरेक पर्वत की चोटी पर स्थित है। मंदिर में भगवान विष्णु की भी मूर्तियां है लेकिन बाद में शिव पूजा अधिक होने के कारण इसे शिव मंदिर के नाम से प्रसिद्धि मिली।
क्या है थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद की वजह बना प्रेह विहार मंदिर विवाद कब और कैसे शुरू हुआ?
- 1907 में फ्रांसिसी अधिकारियों ने हथियारबंदी सीमाओं की जगह एक वाटरशेड लाइन पर आधारित नक्शे को तैयार किया और जिसमें इस मंदिर को कंबोडिया की सीमा में माना गया। थाईलैंड ने शुरुआत में तो इस नक्शे को स्वीकार कर लिया लेकिन बाद में उन्होंने इसे स्वाभाविक मानता नहीं दी।
- 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय फैसला दिया कि मंदिर और उसके आसपास की भूमि कंबोडिया की है और थाईलैंड को वहां से सेना हटानी होगी। 2008 में कंबोडिया ने जब इस मंदिर को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित करने का प्रस्ताव रखा तो थाईलैंड ने इसे अपने आसपास की जमीन खोने का प्रयास मानकर अपनी प्रतिक्रिया दी और इसके बाद सीमा पर झड़पें होना शुरू हो गया।
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा विवाद कैसे शुरू हुआ?
2013 में विश्व अदालत ने एक बार फिर से कहा कि मंदिर और उसके आसपास की जमीन पूरी तरह से कंबोडिया की है लेकिन थाईलैंड ने इसे स्वीकार नहीं किया। 2025 में एक कंबोडियन सैनिक की मौत हुई और 28 थाई सैनिकों की मौत लैंडलाइन विस्फोट में हुई इसके बाद थाईलैंड ने इसे कंबोडिया की कार्यवाही बताया। जबकि कंबोडिया का कहना था कि एक पुरानी भूली बिसरी खदान में हुआ विस्फोट था।
अभी 24 जुलाई को विवाद की शुरुआत कैसे हुई है?
24 जुलाई 2025 को इस सीमा विवाद की शुरुआत कब हुई जब मंदिर के पास सीमा पार गोलाबारी शुरू हुई। बताया जा रहा है कि पहले कंबोडिया कि सैनिकों ने पीछे से धमकी दी इसके बाद थाई सेना ने कंबोडिया के सैनिकों पर गोली चलाई। जबकि कंबोडिया का कहना है कि इस हमले की शुरुआत थाई सेना ने की।
थाईलैंड और कंबोडिया में कौन है ज्यादा शक्तिशाली
थाईलैंड
- अगर हम बात शक्ति की करते हैं तो थाईलैंड के पास इस समय 5,85000 सैनिक है
- इसमें से 3,60,000 एक्टिव सैनिक है
- रिजर्व में दो लाख सैनिक है।
- पैरामिलिट्री फोर्स में तकरीबन 25000 लोग शामिल है
- एयरफोर्स में 46000 लोग हैं आर्मी में 4,57000 लोग हैं पास 72 फाइटर जेट है। 258 हेलीकॉप्टर है। 635 टैंक है 16,935 हैवी व्हीकल है।
- नेवी में 84000 है। नेवी के थाईलैंड की नेवी भी कंबोडिया से काफी बेहतर है। 26 रॉकेट मिसाइल है एक हेलीकॉप्टर करियर है 6 कॉर्बेट है
कंबोडिया
- कंबोडिया की मैनपॉवर 2 लाख 31 हजार है
- जिसमें से 2 लाख 21 हजार एक्टिव सिपाही है लेकिन उनके पास एक भी सिपाही रिजर्व में नहीं है।
- पैरामिलिट्री फोर्स में 10000 लोग हैं
- एयरफोर्स में 8500 लोग हैं, के पास 25 एयर क्राफ्ट है। 21 हेलीकॉप्टर हैं।
- आर्मी में 50000 है. 644 टैंक
- नेवी में 2800 मैनपॉवर है
निष्कर्ष
अगर हम सैनिक शक्ति की बात करें तो निश्चित रूप से थाईलैंड कंबोडिया से ताकतवर है और शायद इसीलिए यह सीमा विवाद गहराया है इस सीमा विवाद को सुलझाने में अंतरराष्ट्रीय कानून दो तरफ संवादों की स्थिति और क्षेत्रीय संगठन अपनी भूमिका निभाई तो शायद इस संकट का समाधान हो सकता है।