थाईलैंड-कम्बोडिया में सीमा विवाद बढ़ गया है। 24 जुलाई 2025 को दक्षिण-पूर्व एशिया के दो पड़ोसी देशों थाईलैंड और कंबोडिया के बीच वर्षों पुराना सीमा विवाद एक बार फिर भड़क उठा। यह विवाद धीरे-धीरे स्थानीय झड़पों से आगे बढ़ते हुए भीषण सैन्य संघर्ष और हवाई हमलों तक पहुंच चुका है, जिसने न सिर्फ क्षेत्रीय स्थिरता को खतरे में डाला है बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता भी बढ़ा दी है।
थाईलैंड-कम्बोडिया में कैसे शुरू हुआ ताजा सीमा विवाद संघर्ष?
थाईलैंड-कम्बोडिया में संघर्ष की शुरुआत तब हुई जब थाईलैंड के सैन्य अधिकारियों ने दावा किया कि कम्बोडियाई सीमा क्षेत्र में भूमि में छिपे बारूदी सुरंगों (Landmines) के कारण उनके दो सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके जवाब में थाई सेना ने कम्बोडियाई क्षेत्र में तोपों से गोले दागे, जिससे कम्बोडियाई चौकियों पर हमला हुआ।
इसके बाद मामला और गंभीर हो गया जब थाईलैंड ने अपने F-16 फाइटर जेट्स से हवाई हमले (airstrikes) किए। इन हमलों में कई कम्बोडियाई सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया।
थाईलैंड-कम्बोडिया में सीमा विवाद में मृत्यु और हानि की जानकारी
थाईलैंड-कम्बोडिया में सीमा विवाद में मृत्यु और हानि अब तक की जानकारी के अनुसार:
- 11 थाई नागरिकों की मौत हो चुकी है, जिनमें एक बच्चा भी शामिल है।
- 1 थाई सैनिक की भी मृत्यु हुई है।
- कम्बोडिया की ओर से भी कई सैनिकों और आम नागरिकों के हताहत होने की आशंका जताई जा रही है, हालांकि वहां की सरकार ने आधिकारिक आंकड़े साझा नहीं किए हैं।
- सैकड़ों लोग घायल हुए हैं और 40,000 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है।
थाईलैंड-कम्बोडिया में सीमा विवाद में सीमा पर पूर्ण नाकाबंदी
थाईलैंड ने विवादित सीमा क्षेत्र को पूरी तरह से सील कर दिया है और सभी व्यापारिक व नागरिक आवाजाही को बंद कर दिया है।
कम्बोडिया ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए थाई सीमा की ओर अपनी सेना को तैनात कर दिया है। दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं और हर क्षण स्थिति के और बिगड़ने का खतरा बना हुआ है।
थाईलैंड-कम्बोडिया में सीमा विवाद में राजनयिक स्तर पर तनाव
घटना के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में भारी गिरावट आई है।
- थाईलैंड ने कम्बोडिया के राजदूत को निष्कासित कर दिया है।
- कम्बोडिया ने भी तुरंत थाईलैंड के दूतावास को बंद कर दिया और अपना राजदूत वापस बुला लिया।
यह पहली बार नहीं है जब सीमा विवाद के चलते दोनों देशों के बीच राजनयिक संपर्क टूटे हैं, लेकिन इस बार हालात कहीं ज्यादा गंभीर हैं।
थाईलैंड-कम्बोडिया में सीमा विवाद में अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
- ASEAN (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संगठन) की अध्यक्षता कर रहे मलेशिया ने तुरंत शांति वार्ता की अपील की है।
- चीन, जो दोनों देशों के साथ व्यापारिक और राजनीतिक संबंध रखता है, ने भी संयम बरतने और बातचीत के ज़रिए समाधान निकालने की बात कही है।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में कंबोडिया ने आपात बैठक की मांग की है और आंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की अपील की है।
थाईलैंड-कम्बोडिया में पुराना है सीमा विवाद
थाईलैंड और कम्बोडिया के बीच का यह सीमा विवाद कोई नया नहीं है। यह विवाद खासकर प्रीह विहार मंदिर (Preah Vihear Temple) के आसपास की भूमि को लेकर है, जिसे दोनों देश अपना बताते हैं। 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने यह मंदिर कम्बोडिया को सौंप दिया था, लेकिन आसपास की भूमि पर विवाद आज तक जारी है।
हर कुछ वर्षों में यह विवाद सैन्य झड़पों में तब्दील होता रहा है, लेकिन 2025 की यह भिड़ंत अब तक की सबसे गंभीर मानी जा रही है।
थाईलैंड-कम्बोडिया में सीमा विवाद में आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
सीमा व्यापार पर पूर्ण रोक लग चुकी है, जिससे दोनों देशों के सीमावर्ती क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है।पर्यटन उद्योग, विशेष रूप से थाईलैंड के सीमावर्ती शहरों का, बुरी तरह प्रभावित हुआ है। कई विदेशी पर्यटकों ने बुकिंग रद्द कर दी हैं। शरणार्थी संकट गहराने की संभावना है क्योंकि सीमावर्ती गांवों से हजारों लोग पलायन कर रहे हैं।
क्या हो सकता है आगे?
थाईलैंड-कम्बोडिया में सीमा विवाद में स्थिति अब युद्ध जैसे हालात की ओर बढ़ रही है, और अगर तुरंत शांति वार्ता नहीं होती, तो यह संघर्ष पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर सकता है। यदि ASEAN सफलतापूर्वक मध्यस्थता करता है, तो संघर्ष सीमित रह सकता है। लेकिन अगर दोनों देश जिद्द पर अड़े रहे तो यह एक पूर्ण सैन्य संघर्ष में बदल सकता है, जिसमें दोनों देशों और उनके नागरिकों की भारी क्षति होगी।
निष्कर्ष
थाईलैंड और कम्बोडिया के बीच वर्तमान सीमा विवाद सिर्फ दो देशों के बीच का भू-राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह दक्षिण-पूर्व एशिया की स्थिरता और शांति के लिए एक गंभीर खतरा बन चुका है।आज की दुनिया में जहां कूटनीति और वार्ता को सबसे बड़ी शक्ति माना जाता है, ऐसे समय में बातचीत और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता ही एकमात्र समाधान हो सकता है।
अगर दोनों देश संयम बरतें, जनता की सुरक्षा को प्राथमिकता दें और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करें, तो इस भयावह स्थिति को रोका जा सकता है।