भारत में आज फ्रांस के साथ 26 अप्रैल विमान की डील साइन कर ली है। भारत की तरफ से यह डील रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने साइन की। इस डील के अंतर्गत भारत फ्रांस से बाईस सिंगल सीटर और चार डबल सीटर राफेल विमान खरीदेगा। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अभी खत्म नहीं हुआ है इसी बीच चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी (PLA) ने समुद्र में अभ्यास आरंभ कर दिया है। इस अभ्यास में चीन में पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग किया है।
कब फाइनल हुआ था भारत और फ्रांस के बीच राफेल विमान की डील के विषय में ?
23 अप्रैल को सुरक्षा समिति की मीटिंग में राफेल विमान की खरीद को मंजूरी मिली थी। पहलगाम हमले के बाद सुरक्षा समिति की मीटिंग बुलाई गई थी। फ्रांस भारत को राफेल विमान को 2028 29 से देना शुरू करेगा और 2031 32 तक सारे विमान भारत को दे दिए जाएंगे।
कैसे होंगे फ्रांस के राफेल विमान
फ्रांस के राफेल विमान में परमाणु बम को डालने की क्षमता होगी। ये विमान 50,000 फीट ऊंचाई तक उड़ते हैं। फ्रांस के साथ भारत की यह डील 63,000 करोड रुपए में हो रही है। इन राफेल विमानों की रेंज 3700 किलोमीटर होगी । इन राफेल विमानों की रफ्तार 2200 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। यह विमान एंटी-शिप स्ट्राइक कर सकते हैं। ये विमान परमाणु बम डालने की क्षमता से लैस होंगे। यह विमान मिड एयर रिफ्यूलिंग और एडवांस्ड रडार टेक्नोलॉजी से दक्ष होंगे।
बहुत कम जगह पर यह विमान लैंड कर सकते हैं। इन विमानों की फ्रेंम काफी मजबूत है इनमें लैंडिंग गियर और टेल हुक जैसे स्पेयर पार्ट्स भी मौजूद है। यह राफेल विमान 10 घंटे तक फ्लाइट डाटा की रिकॉर्डिंग कर सकते हैं। इन विमानों में नौ टन तक के हथियार ले जाया जा सकते हैं। राफेल मरीन विमान में पायलट के हेलमेट के ऊपर डिस्प्ले है। यह डील 63000 करोड रुपए में हो रही है। भारत की फ्रांस के साथ हथियारों के मामले में यह सबसे बड़ी डील है।
कहां तैनात होंगे राफेल मरीन?
राफेल मरीन आईएनएस विक्रांत किए जाएंगे। दसॉ एविएशन ने इन विमानों को बनाया है। कंपनी ने इन विमान में भारत की जरूरत के हिसाब से कई बदलाव किए हैं। इन बदलावों के अलावा यह कंपनी भारत को हथियार प्रणाली, स्पेयर पार्ट्स और एयरक्राफ्ट के आवश्यक टूल भी देगी।
भारत ने फ्रांस से पहले भी खरीदे हैं हथियार
भारत स्थान से पहले भी हथियार खरीद चुका है एयरफोर्स के लिए भारत में फ्रांस से 36 राफेल जेट खरीदे हैं। यह डील 2016 मैं हुई थी। 2022 में सभी विमान भारत पर पहुंच गए थे। यह राफेल विमान अंबाला और हशिनारा एयरवेज में संचालित किए जाते हैं। यह दिल 58000 करोड रुपए में हुई थी। राफेल मरीन विमान एयरफोर्स के राफेल विमान से ज्यादा एडवांस है
चीन ने समुद्र में डीगॉसिंग अभ्यास किया
चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी ने समुद्र में एक डीगॉसिंग अभ्यास किया इस अभ्यास में युद्धपोत को क्षतिग्रस्त स्थिति में मानते हुए उसके चुंबकीय प्रभाव को कम करने की प्रक्रिया को पूरा किया गया। इस अभियान में चीनी सैनिकों ने चुंबकीय डिटेक्टर, पोजिशनिंग उपकरण और डीगॉसिंग वायर जैसे उपकरणों का प्रयोग किया।
क्या कहना है चीन का इस डीगॉसिंग अभ्यास के विषय में?
चीन का कहना है की यह अभ्यास उन सैनिकों के लिए था जो हाई लेवल खतरों की परिस्थितियों में ट्रेनिंग कर रहे थे। इस ट्रेनिंग से चीन के सैनिक आने वाले युद्ध की स्थिति में तेज सटीक निर्णय ले पाएंगे।
डीगॉसिंग अभ्यास क्या है?
डीगॉसिंग एक तकनीक है इस तकनीक के द्वारा युद्धपोंतों का चुंबकीय आकर्षण कम किया जाता है। इसके द्वारा युद्धपोत चुंबकीय समुद्रिय खान व सेंसर से बच जाती है। चीन कीज्ञपीपुल्स लिब्रेशन आर्मी का कहना है कि युद्धपोत की चुंबकीय पहचान समय के साथ बढ़ जाती है जिस समय-समय पर कम करना जरूरी होता है